Fatehpur: सीकर जिले में निभाई जा रही है बेटियों की बिंदौरी निकालने की रस्म
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Fatehpur: सीकर जिले में निभाई जा रही है बेटियों की बिंदौरी निकालने की रस्म

बेटा-बेटी एक समान का संदेश देने के मकसद से इन दिनों शादी समारोहों में पारंपरिक रीति रिवाजों में बदलाव देखने को मिल रहा है. बेटियों को शादी से पहले होने वाली रस्मों में बेटियों को घोड़ी पर बैठाकर बिंदौरी निकली जा रही है. 

माया की बिंदौरी

Fatehpur: बेटा-बेटी एक समान का संदेश देने के मकसद से इन दिनों शादी समारोहों में पारंपरिक रीति रिवाजों में बदलाव देखने को मिल रहा है. बेटियों को शादी से पहले होने वाली रस्मों में बेटियों को घोड़ी पर बैठाकर बिंदौरी निकली जा रही है. 

सीकर जिले में आजकल यह रस्म खूब निभाई जा रही है.
सीकर के फतेहपुर के मण्डावा रोड के समीप रहने वाले धन्ना राम मीणा ने भी यह रस्म अपनी बेटी की शादी से पहले निभाई और समाज मे बेटा-बेटी एक समान का संदेश दिया. फतेहपुर के मीणो के मोहल्ला निवासी धन्नाराम मीणा ने अपनी बेटी की शादी से पहले घोड़ी पर बैठा कर डीजे की धुन और मंगल गीतो के साथ बंदौरी निकाली. दुल्हन माया की बिंदौरी में रिश्तदारों ने जमकर लुत्फ उठाया और गीतों पर जमकर डांस किया. माया ने शेरवानी पहनी और सिर पर साफ़ा पहना और घोड़ी पर सवार हुई. सजेधजी बनिठनी माया की पूरे शहर में गाजेबाजे के साथ बिंदौरी निकली. 

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धन्नाराम मीणा ने बताया की बेटी-बेटों से कम नही है, बेटा-बेटी एक समान है. धन्नाराम मीणा की बेटी माया झूहारपूरा की राज्यकीय स्कूल मे अध्यापिका हैं. माया की आज शादी है. शादी से पहले बुधवार को सांयकाल गाजे बाजे के साथ माया को घोडी पर बैठा कर बंदौरी निकाल कर बेटी बचाओ बेटी बढाओ का संदेश दिया. बेटियों को लेकर समाज मे आ रहे सकारात्मक बदलाव की लोगों ने सराहना करते हुए अनुकरणीय कार्य बताया. माया की बिंदौरी की इलाके में काफी चर्चा है. हम आपको बता दे कि बेटों की शादी में पहले ही यह रस्म अदा होती थी लेकिन पिछले दिनों में बेटियों की शादी पर भी यह रस्म निभाई जाने लगी है.

Reporter: Ashok Shekhawat

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