Khatu Shyam Ji: खाटू श्याम का दो दिवसीय मासिक मेला शुरू, लाखों भक्तों ने बाबा के किए दर्शन
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Khatu Shyam Ji: खाटू श्याम का दो दिवसीय मासिक मेला शुरू, लाखों भक्तों ने बाबा के किए दर्शन

Khatu Shyam Ji:  राजस्थान के सीकर जिले के खाटूश्यामजी का शुक्ल पक्ष की एकादशी व द्वादशी का दो दिवसीय मासिक मेला शुरू हुआ. एकादशी के दिन बाबा श्याम के दरबार में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा. 

Khatu Shyam Ji Mela

Khatu Shyam Ji: राजस्थान के सीकर जिले के खाटूश्यामजी में विश्व प्रसिद्ध बाबा श्याम के दरबार मे शुक्ल पक्ष की एकादशी व द्वादशी का दो दिवसीय मासिक मेला शुरू हुआ. इसमें एकादशी पर श्याम भक्तों का सैलाब बाबा श्याम के दरबार में उमड़ पड़ा.

खाटू बाबा श्याम की चौखट पर पहुंच शीश नवाकर दर्शन कर अपने परिवार की मनोकामनाएं की दुआएं मांगी. इलाके में पड़ रही भीषण गर्मी में भी लाखों श्याम श्रद्धालु बाबा के दीदार के लिए दरबार में पहुंच रहे हैं. 

वहीं, गर्मी के इस मौसम में श्री श्याम मंदिर कमेटी द्वारा श्रद्धालुओं के लिए अतिरिक्त व्यवस्थाएं करते हुए बड़े कूलर, बड़े पंखे, ठंडा पानी, छाया की व्यवस्थाएं की गई हैं. 

इसके साथ-साथ नंगे पांव चलने वाले श्रद्धालुओं के लिए श्याम मंदिर, मुख्य बाजार से लेकर तोरण द्वार तक कालीन बिछाईं गई हैं, जिससे नंगे पांव आने वाले श्रद्धालुओं को कोई परेशानी नहीं हो. 

इसके साथ ही सुरक्षा व्यवस्था को लेकर थानाधिकारी राजाराम के नेतृत्व में पुलिस थाने का जाब्ता, होमगार्ड, श्री श्याम मंदिर कमेटी के सुरक्षा गार्ड्स, पुलिस लाइन का अतिरिक्त जाब्ता श्याम श्रद्धालुओं की सुरक्षा व्यवस्था में तैनात है. बाबा श्याम को विभिन्न रंगीन सतरंगी फूलों से मनमोहक श्रृंगार किया गया है, जिसके भक्त दर्शन कर आनंदित हो रहे हैं. 

कहानियों के अनुसार, खाटू श्याम बाबा महाभारत के महान योद्धा बर्बरीक हैं. महाभारत के युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से शीश दान में मांग लिया था और बर्बरीक ने खुशी-खुशी अपना शीश काटकर उनके हाथ में रख दिया था. इससे प्रसन्न होकर भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को कलियुग में उनके नाम से पूजे जाने का वरदान दिया था. 

इसी के चलते खाटू श्याम बाबा को कलियुग का देवता भी कहा जाता है. इसके अलावा बाबा को शीश का दानी, हारे का सहारा, खाटू नरेश जैसे कई सारे नामों से जाना जाता है. बाबा के भव्य मंदिर में रोजाना हजारों भक्त दर्शन करने आते हैं. कहते हैं कि बाबा के दरबार से कोई भक्त खाली नहीं जाता है. 

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