खाटू श्याम बाबा ने शीश का दान कहां दिया था? चुलकाना, सीसवाल या फिर सिसला धाम
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खाटू श्याम बाबा ने शीश का दान कहां दिया था? चुलकाना, सीसवाल या फिर सिसला धाम

Khatu Shyam Ji: खाटू श्याम बाबा का असली नाम बर्बरीक है, जिन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को शीश दान में दिया था. यह बात ज्यादातर भक्तों को पता है लेकिन बाबा ने शीश का दान कहां दिया था इसको लेकर लोगों द्वारा अलग-अलग कहानियां बताई जाती है. 

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Khatu Shyam Ji: राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गांव में बाबा श्याम का भव्य मंदिर है, जहां रोजाना हजारों भक्त दर्शन करने आते हैं. कहते हैं कि बाबा के दरबार से कोई भक्त निराश नहीं लौटता है. बाबा की कहानी महाभारत से जुड़ी हुई है. 

बाबा का असली नाम बर्बरीक है, जिन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को शीश दान में दिया था. यह बात ज्यादातर भक्तों को पता है लेकिन बाबा ने शीश का दान कहां दिया था इसको लेकर लोगों द्वारा अलग-अलग कहानियां बताई जाती है. 

बाबा के शीश के दान को तीन जगहों से जोड़ा जाता है, जिसमें हरियाणा के इलाके चुलकाना, सीसवाल और सिसला धाम का नाम शामिल है. इन तीनों जगहों पर ही बाबा की पूजा की जाती है. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि बाबा ने शीश का दान कहां दिया था. 

चुलकाना धाम 
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चुलकाना धाम की कहानी महाभारत से  जुड़ी है. मान्यता है कि चुलकाना धाम में वह पीपल का पेड़ आज भी है, जिसके सारे पत्तों में सिर्फ एक बाण से बर्बरीक ने छेद कर दिए थे, जो आज भी नजर आते हैं. पीपल के पेड़ पर लोग अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए मन्नत का धागा बाधते हैं और परिक्रमा करते हैं. कहानियों के अनुसार कहा जाता है कि इस जगह पर ही बाबा ने शीश का दान दिया था. 

सीसवाल धाम 
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सीसवाल धाम कुरुक्षेत्र-हस्तिनापुर जितना पुराना है. लगभग 5,150 साल पहले महाभारत काल में अज्ञातवास के दौरान पांडव सीसवालिय वनों में रहे. कहते हैं कि मां कुंती शिव भक्त थी, उन्होंने प्रवास के दौरान शिवलिंग की स्थापना की थी. यह मंदिर आज भी मौजूद है. भगवान शिव के साथ यहां बर्बरीक यानी खाटू श्याम की पूजा होती है. यहां के लोगों को कहना है कि इस जगह पर बाबा ने शीश दान दिया था. 

सिसला धाम 
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कहानियों के अनुसार, महाभारत के युद्ध का अंत होने के बाद दंडक ऋषि वीर बर्बरीक शीश को लेकर आए, जो वर्तमान में यह स्थान कैथल के गांव सिसला में है. बर्बरीक की पूजा सिसला गांव में बाबा श्याम के नाम पूजा होती है. लोगों का कहना है कि बर्बरीक द्वारा इस जगह पर शीश का दान दिया गया था. सिसला गांव का यह मंदिर करीब 5600 साल पुराना बताया जाता है. सिसला धाम में बाबा श्याम की मूर्ति प्राचीन दंडक ऋषि के टीले से मिली थी. 

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