अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों व प्रवासियों की पहचान कर उन्हें देश से बाहर निकालने की मांग वाली याचिका पर भी सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट.
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नई दिल्ली: रोहिंग्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट अगस्त में अंतिम सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सभी पक्षों को लिखित में दलीलें पेश करने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि लिखित में दलीलें पेश होने के बाद अंतिम सुनवाई अगस्त माह में होगी. इसके अलावा अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों व प्रवासियों की पहचान कर उन्हें देश से बाहर निकालने की मांग वाली याचिका पर भी सुनवाई होगी.
दरअसल, बीजेपी प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दायर कर केंद्र सरकार के उस रुख का भी समर्थन किया है, जिसमें भारत में रह रहे 40 हजार से ज्यादा रोहिंग्या मुस्लिमों की पहचान कर उन्हें म्यांमार वापस भेजने की बात कही गई है. याचिका में केंद्र और राज्य सरकारों को बांग्लादेशी नागरिकों और रोहिंग्या समेत सभी घुसपैठियों व अवैध प्रवासियों की पहचान करने, हिरासत में लेने और उन्हें वापस उनके देश भेजने का निर्देश देने की भी मांग की गई है.
राष्ट्रीय सुरक्षा हो रही प्रभावित
याचिका में कहा गया है कि विशेष रूप से म्यांमार और बांग्लादेश से बड़े पैमाने पर आए अवैध प्रवासियों ने सीमावर्ती जिलों की जनसांख्यिकीय संरचना को खतरे में डाल दिया है. इसने सुरक्षा और राष्ट्रीय एकीकरण को भी गंभीर रूप से प्रभावित किया है. याचिका में केंद्र और राज्य सरकार को बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों समेत सभी अवैध अप्रवासियों और घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें उनके देश वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश देने की मांग की थी.
रोहिंग्या मुख्य मामले में केंद्र का रहा है सख्त रूख
साल2017में रोहिंग्या मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था. इस हलफनामे में केंद्र की ओर से भारत में रोहिंग्या समुदाय के प्रवेश पर चिंता जतायी गई थी. केंद्र ने 18 पन्ने के इस हलफनामे में कहा था कि भारत में अवैध प्रवासी रोहिंग्या समुदाय का रहना देश की सुरक्षा के प्रति खतरा है. केंद्र ने कोर्ट में कहा था कि जहां तक रोहिंग्या समुदाय की बात है, म्यांमार और भारत के बीच की सीमा के जरिए वे यहां घुसे. भारत में इस तरह के कुल अवैध प्रवासियों की संख्या लगभग 40 हजार से अधिक है.