सूरत में गुरुवार को एक साथ आठ लड़कियां दीक्षा लेकर संयम के मार्ग पर निकल चुकी हैं. गुणरत्नेशवर महाराज के सानिध्य में सभी ने दीक्षा लेकर करोड़ों रुपये की संपत्ति छोड़कर दुनिया की मोह माया से नाता तोड़ दिया था.
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चेतन पटेल/ नई दिल्ली : सूरत में गुरुवार को एक साथ आठ लड़कियां दीक्षा लेकर संयम के मार्ग पर निकल चुकी हैं. गुणरत्नेशवर महाराज के सानिध्य में सभी ने दीक्षा लेकर करोड़ों रुपये की संपत्ति छोड़कर दुनिया की मोह माया से नाता तोड़ दिया था. सूरत में ऐसा लग रहा हैं कि दीक्षा लेने का मौसम चल रहा है. उसमे भी लड़कियां दीक्षा लेने में अगे लग रही हैं. सूरत के नानपुरा जैन संघ में गुरुवार को एक साथ 8 लड़कियों ने दीक्षा ग्रहण करके संयम के मार्ग पर निकल चुकी थी. आज मिजल साह, ध्रुवी कोठरी, पूजा साह, खुसी जैन, स्वीट सघ्वी, पूजा छाजडे, स्नेही कोठरी और महक जैन ने एक साथ दीक्षा ग्रहण की.
संसार की मोहमाया छोड़ने का मन बनाया
ये सभी लड़कियां उपधान के लिए महाराज के पास गई थी. वहां महाराजसा की जीवन शैली देखकर इन सभी को संसार की मोहमाया छोड़ने का मन हुआ. तीन साल तक कड़ी तपस्या करने के बाद आखिर सभी लड़किया दीक्षा लेने के लिए तैयार हो गई. सभी लड़कियां करोड़पति परिवार के साथ लग्जीरियस लाइफ जीने वाली थी. आज जब महाराज गुणरत्नेश्वर सूरीश्वर जी के सानिध्य में दीक्षा ग्रहण की है तो सारी दुनिया की मोह माया, पैसा छोड़कर केवल संयम के मार्ग पर निकलकर प्रभु भक्ति में जुड़ गई.
ढोल नगाड़ों के साथ हुआ स्वागत
हजारों की सख्या में जैन भक्त आज सुबह से दीक्षा समारोह में उपस्थित रहे. ढोल नगाड़ों के साथ सभी लड़कियों का जैन साध्वी के वेश में स्वागत किया गया. दीक्षा लेने से पहले पहने हुए लाखों रुपये के जेवर निकालकर सादगी भरे वेष में मंच पर आगे थी. वह महाराज सा का आशीर्वाद लेकर संयम के मार्ग पर निकल गई. महाराजशा गुणरत्नेश्वर जी के सानिध्य में अब तक 414 लोग दीक्षा ले चुके हैं. आज 8 और लोगों के दीक्षा लेने के साथ ही यह आंकड़ा 442 का हो गया.
पिछले एक सप्ताह में सात लोगों ने इसके लिए पहल की है, जबकि गुरुवार को 8 बेटियों ने दीक्षा ली है. इन आठ बेटियों में से 5 बेटियों का परिवार करोड़पति है. जो शुरू से ही शानदार जीवनशैली व्यतीत कर रहे हैं. महाराज के संपर्क में आने के बाद उन्होंने अपनी जीवनशैली में बदलाव किया. उन्होंने माना कि सांसारिक जीवन में दुख के अलावा कुछ भी नहीं है, जिससे वह सार्इं के मार्ग पर चलकर सच्चा सुख प्राप्त करना चाहते थे.