गुजरात में मोरबी जिले के हणवद तालुका के चुपणी गांव में दो पड़ोसी परिवारों के बीच एक सरकारी जमीन को लेकर काफी समय से विवाद चल रहा था.
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मोरबी (गुजरात): आज 21वीं सदी में भी अंधश्रद्धा के कई किस्से सुनने में आते है. लोग अंधश्रद्धा के नाम पर अपने आपको ऐसा जख्म देने को तैयार हो जाते है कि अगर उस जख्म को उन्हें पूरी जिंदगी झेलना भी पड़ जाय तब भी अपने आप के लिए एक बार भी नहीं सोचते है. ऐसा ही अंधश्रद्धा का एक किस्सा गुजरात से सामने आया है.
गुजरात में मोरबी जिले के हणवद तालुका के चुपणी गांव में दो पड़ोसी परिवारों के बीच एक सरकारी जमीन को लेकर काफी समय से विवाद चल रहा था. एक परिवार रैयाभाई भरवाड़ का है और दूसरा परिवार गेलाभाई भरवाड़ का है. दोनों परिवार इस जमीन को अपने प्राणियों को बांधने के लिए इस्तेमाल करते थे. इस बीच एक दिन रैयाभाई के द्वारा गेलाभाई के बेटे को धमकी दी गई थी. इससे पहले रैयाभाई द्वारा गेलाभाई की पत्नी को भी परेशान किया गया था.
जिसका आरोप गेलाभाई लगा रहे है. इसके बाद रैयाभाई भरवाड़ और गेलाभाई भरवाड़ के बीच जमीन की मालिकी का दावा करने के लिए अंधश्रद्धा का रास्ता चुना गया.
जमींन पर किसका हक़ है उसे साबित करने के लिए माताजी की चौखट पर जाकर गरम तेल में से 1 रुपए का सिक्का निकालना था. गरम तेल में से पहले गेलाभाई की पत्नी को सिक्का निकालने को कहा गया. जिससे गेलाभाई की पत्नी ने किया भी और सिक्का निकालने में सफल भी रहीं. फिर जब रैयाभाई की बारी आई तो उन्होंने गरम तेल गेलाभाई की पत्नी पर ही डालने की कोशिश की (ऐसा आरोप गेलाभाई और उसके परिवार द्वारा रैयाभाई पर लगाया जा रहा है)
गरम तेल में हाथ डालने के बाद गेलाभाई की पत्नी के हाथ बुरी तरह जल गए है. आखिर लोग कब तक इस तरह की अंधश्रद्धा को मानते रहेंगे. कब तक लोग अंधश्रद्धा के नाम पर अपने आपको जख्म देते रहेंगे.