दागी नेताओं को टिकट ना दिए जाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार, कहा 'EC जाओ'
Advertisement
trendingNow1491100

दागी नेताओं को टिकट ना दिए जाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार, कहा 'EC जाओ'

याचिका में राजनीति के बढ़ते अपराधीकरण का हवाला देते हुए लोकसभा व राज्य विधानसभाओं में दागियों के आंकड़े दिये गये थे.

फाइल फोटो

नई दिल्लीः गंभीर अपराध के आरोपियों को चुनाव में टिकट न दिए जाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. याचिकाकर्ता की मांग थी कि राजनीतिक दल को ऐसे लोगों को टिकट देने से रोका जाए, जिनके ऊपर चुनाव से साल भर पहले से गंभीर अपराध में आरोप तय हैं. इस मामले पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा- आप ये मांग चुनाव आयोग में रखें.

इस याचिका में कहा गया था कि गंभीर अपराध का मतलब पांच वर्ष या इससे ज्यादा की सजा के अपराध में अदालत से आरोप तय होना है. यह जनहित याचिका वकील और बीजेपी नेता अश्वनी कुमार उपाध्याय ने दाखिल की थी. याचिका में राजनीति के बढ़ते अपराधीकरण का हवाला देते हुए लोकसभा व राज्य विधानसभाओं में दागियों के आंकड़े दिये गये थे.

याचिका में मांग की गई थी कि कोर्ट चुनाव आयोग को निर्देश दें कि वह चुनाव चिन्ह आदेश 1968 और चुनाव आचार संहिता के नियमों में बदलाव करके राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय मान्यता के लिए राजनैतिक दलों पर गंभीर अपराध में आरोपी लोगों को टिकट न दिये जाने की शर्त शामिल करे. इसके लिए चुनाव चिन्ह आदेश 6ए, 6बी और 6सी में अपराधियों को टिकट न देने की शर्त शामिल की जाए.कहा गया था कि चुनाव आयोग को संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत इस बारे में निर्देश जारी करने का व्यापक अधिकार है. इसके अलावा चुनाव आयोग चुनाव चिन्ह आदेश के पैराग्राफ 2 में आपराधिक चरित्र की परिभाषा में यह शामिल करे कि जिन लोगों के खिलाफ अदालत से पांच या उससे अधिक वर्ष की सजा वाले अपराध में एक वर्ष पहले आरोप तय हो चुके हैं उन्हें आपराधिक चरित्र वाला माना जाएगा.

याचिका में ये भी कहा गया था कि उपरोक्त आदेश देने से न तो किसी संवैधानिक प्रावधान का उल्लंघन होगा और ना ही चुनाव आयोग को इसके लिए अलग से कोई जांच पड़ताल करने की जरूरत पड़ेगी क्योंकि नियम के मुताबिक उम्मीदवार नामांकन दाखिल करते वक्त लंबित मुकदमों का ब्योरा और उनकी स्थिति बताता है साथ ही उसमें धाराओं का भी जिक्र होता है जिनमें वह आरोपित होता है.

चुनाव चिन्ह आदेश में संशोधन कर उपरोक्त शर्त जोड़ने से राजनैतिक दलों पर राज्य और राष्ट्रीय स्तर की पार्टी की मान्यता के लिए अपराधी को टिकट न देने की सिर्फ एक अतिरिक्त शर्त शामिल हो जाएगी. इसका किसी कानून से टकराव भी नहीं होगा क्योंकि फिलहाल इस बारे में कोई कानून नहीं है.

Trending news