Digital Attendance: सीएम योगी से क्या चाहते हैं शिक्षक? एक क्लिक में पढ़ें उनकी मुख्य मांगें
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Digital Attendance: सीएम योगी से क्या चाहते हैं शिक्षक? एक क्लिक में पढ़ें उनकी मुख्य मांगें

Digital Attendance: उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में शिक्षकों ने ऑनलाइन अटेंडेंस (ऑनलाइन उपस्थिति) के विरोध में प्रदर्शन किया और कलेक्ट्रेट पर डीएम को ज्ञापन सौंपा। सोमवार को राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश के प्रतिनिधिमंडल ने महानिदेशक स्कूल शिक्षा से मिलकर अपना ज्ञापन सौंपा.  आइए जानते हैं कौन सी वो प्रमुख मांगें है, जो शिक्षक सरकार से मनवाना चाहते हैं.

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Digital Attendance: प्राइमरी स्कूलों में डिजिटल अटेंडेंस का मामला हल होता नहीं दिख रहा है.  पूरे प्रदेश के शिक्षक इस बात पर अड़ गए हैं कि वह मांगे नहीं माने जाने तक ऑनलाइन हाजिरी नहीं लगाएंगे. ऑनलाइन अटेंडेंस को लेकर शिक्षक सरकार से बेहद नाराज है. ऑनलाइन हाजिरी के आदेश को अव्यावहारिक बताते हुए इस आदेश को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं. आइए जानते हैं डिजीटल अटेंडेंस को लेकर क्या अपडेट है और कौन सी मांगें हैं जो सरकार के सामने रखी गई हैं.

सीएम को ज्ञापन
बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में 8 जुलाई से शुरू हुई ऑनलाइन अटेंडेंस के आदेश को रद्द करने की मांग को लेकर शिक्षक शिक्षामित्र अनुदेशक कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने मुख्यमंत्री योगी को ज्ञापन भेजा है. 

23 जुलाई को पूरे प्रदेश में बड़ा प्रदर्शन
इस बीच लखनऊ में प्रदर्शनकारी शिक्षकों ने कहा कि अगर सरकार उनकी मांगे नहीं मानी गई तो 23 जुलाई को पूरे प्रदेश में इससे बड़ा प्रदर्शन करेंगे.  शिक्षकों का कहना है कि उनकी मांगें पूरी होने के बाद ही वो ऑनलाइन अटेंडेंस शुरू करेंगे.  इस आदेश के लिए कई संगठन भी आ गए हैं.  इस आदेश का विरोध कर रहे शिक्षक 7 सूत्रीय मांगों का मुख्यमंत्री योगी को ज्ञापन सौंपा. इसके साथ ही स्पष्ट किया कि उनकी ईएल, सीएल, हाफडे, मेडिकल जैसी मांगे मानी जाने तक वह डिजिटल अटेंडेंस का बहिष्कार जारी रखेंगे. शिक्षकों का कहना है कोरोना महामारी में भी सबसे ज्यादा काम शिक्षकों से लिया गया, जिसके चलते कई शिक्षक मौत के आगोश में समा गए. लेकिन मौजूदा सरकार शिक्षकों पर जबरन तरह-तरह के काम कराती चली आ रही है.

कई जिलों में पैदल मार्च और प्रदर्शन
शिक्षक, शिक्षामित्र, अनुदेशक, कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के आह्वान परऔरैया, झांसी, फिरोजाबाद,  जौनपुर, बरेली, गोंडा, बलरामपुर, बाराबंकी, रामपुर, कन्नौज, चित्रकूट, कुशीनगर, पीलीभीत, फर्रुखाबाद, ललितपुर, हाथरस, प्रतापगढ़ आदि जिलों में काफी संख्या में टीचरों ने पैदल मार्च निकालकर नारेबाजी औऱ प्रोटेस्ट किया.  इनका नेतृत्व प्राथमिक शिक्षक संघ, यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा), जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ, अटेवा, शिक्षामित्र संघ और विशिष्ट बीटीसी एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने किया.

संयुक्त मोर्चा ने यह सात प्रमुख मांगें जो मुख्यमंत्री के सामने रखी हैं...

ऑनलाइन डिजिटल उपस्थिती तत्काल निरस्त
ऑनलाइन डिजिटल उपस्थिती शिक्षकों की सेवा के परिस्थितियों के दृष्टिगत अव्यावहारिक है, नियमों और सेवा शर्तों के विपरीत है, इसे तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए.

नियमित किया जाए
शिक्षामित्र अनुदेशक जो वर्षों से कम मानदेय पर विभाग को पूर्ण कालिक सेवाएं दे रहे हैं, उन्हें नियमित किया जाए और जब तक यह कार्य पूर्ण नहीं होता. 

सभी स्कूलों में प्रधान अध्यापक का पद बहाल करते हुए सालों से लंबित पदोन्नति प्रक्रिया जल्दी पूरी की जाए.  पदोन्नति प्राप्त शिक्षकों को पदोन्नति तिथि से ग्रेड पे के अनुरूप न्यूनतम मूल वेतन 17140/18150 निर्धारित हो.

समस्त शिक्षक कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल की जाए. जो शिक्षक साथी सेवानिवृत्त हुए हैं जिनकी पेंशन मात्र 1 हजार रुपये से 2000 बन रही है. ऐसे में उनका बुढ़ापा इतने कम पेंशन में कैसे कटेगा.

सभी परिषदीय शिक्षक शिक्षणेत्तर कर्मियों को अन्य कर्मचारियों की तरह हर साल 30 अर्जित अवकाश, हाफ डे सीएल, अवकाश अवधि में विभागीय सरकारी कार्य के लिए बुलाने पर समायोजन छुट्टी अवश्य प्रदान की जाए. अर्जित अवकाश की व्यवस्था न होने से शिक्षक विवाह, 13 दिवसीय संस्कार, परिजन के अस्पताल में भर्ती आदि जैसी समस्या में कौन सा अवकाश लेंगे.

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प्रतिकर अवकाश 
ये भी मांग है कि छुट्टी के दिन काम करने पर प्रतिकर अवकाश दिया जाए. आकस्मिक घटना या आपदा में एक घंटे की अवधि में अनुपस्थित न माना जाए.

स्थानांतरण का मौका 
शिक्षकों को उनके मूल जनपद में स्थानांतरण का मौका दिया जाए.

निःशुल्क कैशलेश चिकित्सा सुविधा
शिक्षकों को राज्य कर्मचारियों की भांति निःशुल्क कैशलेश चिकित्सा सुविधा दी जाए. सामान्य कार्य सामान्य वेतन के आधार पर मानदेय निर्धारित किया जाए, बिहार की तरह चिकित्सीय अवकाश का लाभ भी उन्हें मिले. आरटीआई एक्ट 2009 व राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार, परिषदीय शिक्षकों को समस्त गैर शैक्षणिक कार्यों से तत्काल मुक्त किया जाए.

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