UPSC में लेटरल एंट्री: सरकारी नौकरी है, आरक्षण तो होना ही चाहिए... भर्ती पर NDA के भीतर बवाल
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UPSC में लेटरल एंट्री: सरकारी नौकरी है, आरक्षण तो होना ही चाहिए... भर्ती पर NDA के भीतर बवाल

UPSC Lateral Entry Recruitment 2024: यूपीएससी के 'लेटरल एंट्री' के जरिए 45 पदों पर भर्ती के फैसले पर सियासी बवाल हो गया है. सत्ताधारी एनडीए के भीतर, सरकारी नौकरियों में भर्ती के इस तरीके पर सहमति नहीं है.

UPSC में लेटरल एंट्री: सरकारी नौकरी है, आरक्षण तो होना ही चाहिए... भर्ती पर NDA के भीतर बवाल

Lateral Entry In UPSC: 'लेटरल एंट्री' से केंद्र सरकार में 45 वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति का प्रस्ताव विवादों में उलझ गया है. संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के नोटिफिकेशन पर विपक्षी दलों के साथ-साथ सत्ताधारी NDA के भीतर भी विरोध के स्वर उठे हैं. नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) और चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास पासवान) ने इस कदम का विरोध किया है. उनके मुताबिक, किसी भी सरकारी भर्ती में आरक्षण से जुड़े प्रावधान होने ही चाहिए. हालांकि, ब्यूरोक्रेसी में 'लेटरल एंट्री' पर चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी (TDP) समर्थन में है. कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी समेत कई विपक्षी दलों ने भी लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती पर आपत्ति जताई है.

UPSC ने शनिवार को लेटरल एंट्री के जरिए 45 पदों पर भर्ती का विज्ञापन निकाला था. लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने रविवार को इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया. फिर सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी विरोध में आवाज बुलंद की. लेटरल एंट्री पर सोमवार तक एनडीए के घटक दलों की अनबन भी सामने आ गई.

'सरकारी नौकरी में आरक्षण होना चाहिए'

LJP (रामविलास) के अध्‍यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि वह केंद्र के सामने यह मुद्दा उठाएंगे.  पासवान ने PTI से कहा, 'किसी भी सरकारी नियुक्ति में आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए. इसमें कोई किंतु-परंतु नहीं है. निजी क्षेत्र में आरक्षण नहीं है और अगर सरकारी पदों पर भी इसे लागू नहीं किया जाता है... यह जानकारी रविवार को मेरे सामने आई और यह मेरे लिए चिंता का विषय है.' पासवान की पार्टी केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाले NDA का हिस्सा है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जहां तक उनकी पार्टी का सवाल है, वह इस तरह के कदम के बिल्कुल समर्थन में नहीं है.

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'विपक्ष को बैठे-बैठे मुद्दा दे रही सरकार'

जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, 'हम ऐसी पार्टी हैं जो शुरू से ही सरकारों से आरक्षण भरने की मांग करती रही है. हम राम मनोहर लोहिया के अनुयायी हैं. जब सदियों से लोग सामाजिक रूप से वंचित रहे हैं, तो आप योग्यता क्यों मांग रहे हैं? सरकार का यह आदेश हमारे लिए गंभीर चिंता का विषय है.' त्यागी ने कहा कि ऐसा करके सरकार विपक्ष को मुद्दा थमा रही है. उन्होंने कहा, 'एनडीए का विरोध करने वाले लोग इस विज्ञापन का दुरुपयोग करेंगे. राहुल गांधी सामाजिक रूप से वंचितों के हिमायती बन जाएंगे. हमें विपक्ष के हाथों में हथियार नहीं देना चाहिए.'  

'आरक्षण छीनकर संविधान बदलने का भाजपाई चक्रव्यूह है लेटरल एंट्री'

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 'लेटरल एंट्री'’ के जरिए भर्ती पर कहा कि यह आरक्षण छीनकर संविधान को बदलने का 'भाजपाई चक्रव्यूह' है. खरगे ने X पर पोस्ट किया, 'मोदी सरकार का, लेटरल एंट्री का प्रावधान संविधान पर हमला क्यों है? सरकारी महकमों में रिक्तियां भरने के बजाय, पिछले 10 वर्षों में अकेले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में ही भारत सरकार के हिस्सों को बेच-बेच कर, 5.1 लाख पद भाजपा ने खत्म कर दिए है.'

उन्होंने दावा किया, 'अनुबंधित भर्ती में 91 प्रतिशत इजाफा हुआ है. SC, ST, OBC के 2022-23 तक 1.3 लाख पद कम हुए है. हम लेटरल एंट्री गिने-चुने विशेषज्ञों को कुछ विशेष पदों में उनकी उपयोगिता के अनुसार नियुक्त करने के लिए लाए थे. पर मोदी सरकार ने लेटरल एंट्री का प्रावधान सरकार में विशेषज्ञ नियुक्त करने के लिए नहीं, बल्कि दलित, आदिवासी व पिछड़े वर्गों का अधिकार छीनने के लिए किया है.'

UPSC ने 'लेटरल एंट्री' से 45 विशेषज्ञों की विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उपसचिव जैसे प्रमुख पदों पर नियुक्ति का नोटिफिकेशन जारी किया है. आमतौर पर ऐसे पदों पर अखिल भारतीय सेवाओं - भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS) और भारतीय वन सेवा (IFOS) - और अन्य 'ग्रुप A' सेवाओं के अधिकारी तैनात होते हैं. 

'मनमोहन सिंह, मोंटेक अहलूवालि भी 'लेटरल एंट्री' के जरिए आए थे'

केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सोमवार को राहुल गांधी के आरोपों का जवाब दिया. मेघवाल ने याद दिलाया कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को 1976 में 'लेटरल एंट्री' के जरिए ही वित्त सचिव बनाया गया था. मेघवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने UPSC को नियम बनाने का अधिकार देकर 'लेटरल एंट्री' प्रणाली को व्यवस्थित बनाया. उन्होंने कहा कि पहले शासन में इस तरह के प्रवेश के लिए कोई औपचारिक व्यवस्था नहीं थी. उन्होंने बीकानेर में PTI से कहा, 'जो भी नियुक्ति या भर्ती या चयन होना है, यूपीएससी करेगा. इसमें भाजपा, आरएसएस का मुद्दा कहां है? निराधार आरोप लगाए जा रहे हैं.'

मेघवाल ने कहा, 'डॉ. मनमोहन सिंह भी 'लेटरल एंट्री' का हिस्सा थे. आपने 1976 में उन्हें सीधे वित्त सचिव कैसे बना दिया?' उन्होंने कहा कि तत्कालीन योजना आयोग उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया 'लेटरल एंट्री' के ज़रिए सेवा में आए थे. मेघवाल ने कहा कि कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी को राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) का प्रमुख बनाया गया था. उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, 'प्रधानमंत्री का पद संवैधानिक है. क्या एनएसी एक संवैधानिक संस्था है.' उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री से ऊपर रखा गया था. मंत्री ने आरोप लगाया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 1961 में आरक्षण का विरोध किया था और विपक्ष के नेता के रूप में राजीव गांधी ने लोकसभा में ओबीसी आरक्षण का विरोध किया था.

मेघवाल ने कहा कि ये संविदा पद हैं. उन्होंने कहा, 'मान लीजिए कि कोई पर्यावरण विशेषज्ञ उप-सचिव बन जाता है, तो इसमें क्या समस्या है...व्यक्ति को किसी विशेष क्षेत्र का विशेषज्ञ होना चाहिए.' उन्होंने कहा कि 'लेटरल एंट्री' सभी के लिए खुली है. मेघवाल ने कहा, 'एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के लोग भी आवेदन करते हैं. आईएएस की रिक्तियां अलग हैं. उनका दावा है कि हम आरक्षण खत्म कर रहे हैं. जब आप भर्ती कर रहे थे तो आप क्या कर रहे थे? अचानक उनका ओबीसी के प्रति प्रेम सामने आ गया है. वे एससी, एसटी, ओबीसी छात्रों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं.'

'कांग्रेस 'लेटरल एंट्री' पर गुमराह कर रही'

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इस कदम से अखिल भारतीय सेवाओं में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की भर्ती प्रभावित नहीं होगी. वैष्णव ने कहा कि नौकरशाही में ‘लेटरल एंट्री’ 1970 के दशक से कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों के दौरान होती रही है और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और मोंटेक सिंह अहलूवालिया अतीत में की गई ऐसी पहल के प्रमुख उदाहरण हैं. मंत्री ने तर्क दिया कि प्रशासनिक सेवाओं में ‘लेटरल एंट्री’ के लिए प्रस्तावित 45 पद भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की कैडर संख्या का 0.5 प्रतिशत हैं, जिसमें 4,500 से अधिक अधिकारी शामिल हैं और इससे किसी भी सेवा की सूची में कटौती नहीं होगी. ‘लेटरल एंट्री’ वाले नौकरशाहों का कार्यकाल तीन साल है जिसमें दो साल का संभावित विस्तार शामिल है.

वैष्णव ने कहा कि मनमोहन सिंह ने 1971 में तत्कालीन विदेश व्यापार मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में ‘लेटरल एंट्री’ से प्रवेश किया था और वित्त मंत्री बने और बाद में प्रधानमंत्री पद तक पहुंचे. उन्होंने कहा कि इस रास्ते से सरकार में शामिल हुए अन्य लोगों में सैम पित्रोदा और वी कृष्णमूर्ति, अर्थशास्त्री बिमल जालान, कौशिक बसु, अरविंद विरमानी, रघुराम राजन और अहलूवालिया हैं. जालान सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार और बाद में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे. विरमानी और बसु को भी क्रमशः 2007 और 2009 में मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था.

राजन ने मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में भी काम किया और बाद में 2013 से 2016 तक भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में कार्य किया. अहलूवालिया को शैक्षणिक और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से सरकारी भूमिकाओं में लाया गया था. उन्होंने 2004 से 2014 तक योजना आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया. वैष्णव ने कहा कि इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि को 2009 में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण का प्रमुख नियुक्त किया गया था. (एजेंसी इनपुट्स)

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