मिशन शक्ति' नाम के इस मिशन को डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने सफल बनाया है. अब तक दुनिया के तीन देश अमेरिका, रूस और चीन को यह उपलब्धि हासिल थी अब भारत चौथा देश है, जिसने यह सफलता प्राप्त की है.
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नई दिल्ली: 'मिशन शक्ति' की सफलता के बाद डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठ) ने 'मिशन शक्ति' से जुड़ा एक Presentation पेश किया है. डीआरडीओ की तरफ पेश Presentation में दिखाया गया है कि कैसे 'मिशन शक्ति' को सफल बनाया गया. इसमें कौन-कौन लोग शामिल रहे. Presentation में बताया कि इस मिशन के लिए डीआरडीओ ने पीएम मोदी से 2014 में ही बात की थी. पीएम मोदी की अनुमति के बाद इस मिशन को सफल बनाने के लिए 200 वैज्ञानिकों की टीम ने दिन-रात मेहनत की. 27 मार्च को धरती से 300 किमी दूरी पर स्थित एक लाइव सैटेलाइट को मार गिराकर वैज्ञानिकों ने इस मिशन को सफल बनाया.
#WATCH Defence Research and Development Organisation releases presentation on #MissionShakti pic.twitter.com/4llQ1t3JUG
— ANI (@ANI) April 6, 2019
मिशन शक्ति' नाम के इस मिशन को डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने सफल बनाया. अब तक दुनिया के तीन देश अमेरिका, रूस और चीन को यह उपलब्धि हासिल थी अब भारत चौथा देश है, जिसने यह सफलता प्राप्त की है.
डीआरडीओ के प्रमुख जी. सतीश रेड्डी
वहीं दूसरी तरफ डीआरडीओ के प्रमुख जी. सतीश रेड्डी ने कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए शानिवार को कहा कि मिशन शक्ति की प्रकृति ऐसी है कि इसे किसी भी सूरत में गोपनीय नहीं रखा जा सकता है. क्योंकि उपग्रह को दुनिया भर के कई स्टेशनों द्वारा ट्रैक किया जाता है. उन्होंने यह भी कहा कि इस मिशन के लिए सभी जरूरी अनुमति ली गई थी.
कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने मोदी सरकार पर साधा निशाना
दरअसल, इस मिशन पर कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने बीते दिनों मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि उपग्रह को मार गिराने की हमारे पास क्षमता कई वर्षों से रही है. सूझबूझ वाली सरकार देश की इस क्षमता को गोपनीय रखती है। केवल नासमझ सरकार ही देश की रक्षा क्षमता का खुलासा करती है. डीआरडीओ प्रमुख ने कहा कि अंतरिक्ष को सैन्य क्षेत्र में भी महत्व मिला है.
जब भारत जैसे देश ने इस तरह का अभ्यास किया और स्पेस में लक्ष्य की पहचान करके उसे मार गिराया तो इससे प्रदर्शित हुआ कि आप इस तरह के ऑपरेशनों को अंजाम देने में सक्षम हैं. डीआरडीओ प्रमुख के मुताबिक, अंतरिक्ष में ध्वस्त किए गए उपग्रह का मलबा 45 दिनों के भीतर ही नष्ट हो जाएगा. उन्होंने कहा कि देश ने जमीन से स्पेस में उपग्रह को ध्वस्त करके अपनी प्रतिरोधक क्षमता का परिचय दिया है. यह रक्षा क्षेत्र के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है.
भारत ने उपग्रह रोधी परीक्षण के लिए निम्न कक्षा चुनी : डीआरडीओ
डीआरडीओ के प्रमुख जी सतीश रेड्डी ने शनिवार को कहा कि भारत ने “क्षमता प्रदर्शन’’ और वैश्विक अंतरिक्षीय संपत्तियों को मलबे के खतरे से बचाने के लिए मिशन शक्ति के दौरान 300 किलोमीटर से भी कम दायरे वाली निम्न कक्षा का चयन किया. उनकी इस टिप्पणी से कुछ दिन पहले नासा ने उपग्रह भेदी मिसाइल परीक्षण (ए-सैट) से मलबे के खतरे पर चिंता जाहिर की थी .
भारत ने 27 मार्च को यह परीक्षण किया था. यहां डीआरडीओ भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में रेड्डी ने कहा कि मिसाइल में 1,000 किलोमीटर के दायरे वाली कक्षा में उपग्रहों को रोकने की क्षमता है. रेड्डी ने कहा, “क्षमता प्रदर्शन के लिए परीक्षण हेतु करीब 300 किलोमीटर की कक्षा चुनी और इसका मकसद वैश्विक अंतिरक्षीय संपत्तियों को मलबे से खतरा पहुंचाने से रोकना है.”
उन्होंने कहा, “परीक्षण के बाद पैदा हुआ मलबा कुछ हफ्तों में नष्ट हो जाएगा.” मंगलवार को नासा ने उसके एक उपग्रह को भारत की तरफ से मार गिराए जाने को “भयावह” बताया और कहा कि इस मिशन के चलते अंतरिक्ष में मलबे के 400 टुकड़े बिखर गए.
इनपुट भाषा से भी