ZEE जानकारी: जल संकट पर नीति आयोग की रिपोर्ट देश के लिए खतरे का अलार्म!
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ZEE जानकारी: जल संकट पर नीति आयोग की रिपोर्ट देश के लिए खतरे का अलार्म!

दुनिया हर साल 22 मार्च को जल दिवस मनाती है. लेकिन भारत में आज से इस पर गंभीरता से सोचने की ज़रूरत है.

ZEE जानकारी: जल संकट पर नीति आयोग की रिपोर्ट देश के लिए खतरे का अलार्म!

आपके घर में पानी खत्म हो जाता है तो आप फ़ौरन परेशान हो जाते हैं.. कभी आपने सोचा है कि अगर आपके शहर में या देश में पानी खत्म हो गया तो आप क्या करेंगे?
इस वक़्त दुनिया की आधी से ज़्यादा आबादी...यानी क़रीब 400 करोड़ लोगों के जीवन में पानी का संकट है. और इन 400 करोड़ लोगों में से 100 करोड़ भारतीय हैं. इन 100 करोड़ लोगों में आप भी हो सकते हैं.

दुनिया हर साल 22 मार्च को जल दिवस मनाती है. लेकिन भारत में आज से इस पर गंभीरता से सोचने की ज़रूरत है. 18 जून को हमने DNA में भारत में होने वाले जनसंख्या विस्फोट के बारे में बताया था. हमने बढ़ती आबादी पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट का विश्लेषण किया था. आज हम नीति आयोग की रिपोर्ट की बात करेंगे. ये संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट जैसी ही विस्फोटक है.

नीति आयोग ने देश में जल संकट पर ऐसी रिपोर्ट जारी की है जो पूरे देश के लिये ख़तरे के अलार्म की तरह है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2030 तक देश की 40 प्रतिशत आबादी के पास पीने का पानी नहीं होगा.
इनमें दिल्ली, बैंगलुरु, चेन्नई और हैदराबाद समेत देश के 21 शहर शामिल हैं. ये जल संकट देश की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह बर्बाद कर देगा. इसकी वजह से GDP को 6 प्रतिशत का नुक़सान होगा.

आज हमारी अर्थव्यवस्था, जो क़रीब 6 प्रतिशत की रफ़्तार से बढ़ रही है, उसके Negative Growth में जाने का ख़तरा है. यानी शून्य से भी नीचे. भारत में हर साल दो लाख लोग साफ़ पानी नहीं मिलने की वजह से मर जाते हैं. इसलिये ये रिपोर्ट और भी डराने वाली है. क्योंकि अगले 11 सालों में देश के 60 करोड़ से ज़्यादा लोगों को पीने का पानी मिलना मुश्किल हो जाएगा.

जिस तरह मछली बिना पानी के तड़पती है, ठीक उसी तरह भारत आने वाले वर्षों में बिना पानी के तड़पने पर मजबूर हो सकता है. हमें पानी के महत्व को समझना होगा और अपनी विशाल जनसंख्या, जो अगले 11 सालों में 160 करोड़ के पार पहुंच जाएगी...उसकी प्यास बुझाने का इंतज़ाम करना होगा.

जल संकट के मामले में इस वक़्त चेन्नई और दिल्ली के हालात बहुत ख़राब हैं. हमारे ये शहर दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन बनने की राह पर चल रहे हैं. जनवरी 2018 में केपटाउन में हालात इतने ख़राब हो गये थे कि पानी भी राशन की तरह मिलने लगा था. हर व्यक्ति को रोज़ सिर्फ़ 50 लीटर पानी मिलता था. और फिर वहां पानी ख़त्म होने की डेडलाइन भी दी गई जिसे Day Zero कहा गया.

अंतरराष्ट्रीय संस्था Water Aid की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2030 तक दुनिया के 21 शहरों में Day Zero जैसे हालात बन जाएंगे. और 2040 तक भारत समेत 33 देश पानी के लिये तरसने लगेंगे. जबकि वर्ष 2050 तक दुनिया के 200 शहर ख़ुद को Day Zero वाले हालात में पाएंगे.

इसलिये अगर हम अपने शहरों को बचाना चाहते हैं...तो पानी को भी बचाना पड़ेगा. लेकिन चेन्नई जहां क़रीब 6 महीनों से बारिश नहीं हुई है...वहां हालात अच्छे नहीं हैं. चेन्नई की आबादी क़रीब एक करोड है...और यहां के क़रीब 46 लाख लोगों को पीने का पानी नहीं मिल पा रहा है. दक्षिण चेन्नई में लोगों को एक बाल्टी पानी के लिए 3 घंटे इंतज़ार करना पड़ रहा है. यहां टैंकर माफ़िया पानी सप्लाई कर रहा है और एक टैंकर पानी के लिये तीन से चार हज़ार रुपये वसूले जा रहे हैं.

चेन्नई में रोज़ 130 करोड़ लीटर पानी की ज़रूरत है. और वहां अभी सिर्फ़ 83 करोड़ लीटर पानी ही सप्लाई हो रहा है. अब चेन्नई में ट्रेन से रोज़ 1 करोड़ लीटर पानी लाने की योजना बनाई जा रही है. इसके अलावा केरल ने तमिलनाडु से कहा है कि वो उसे हर दिन 20 लाख लीटर पानी देगा. लेकिन चेन्नई की ज़रूरत 130 करोड़ लीटर पानी की है...ऐसे में उसका 20 लाख लीटर पानी से क्या होगा?

बारिश कम होने से चेन्नई शहर के आस-पास की 4 झीलें सूख चुकी हैं. इनमें एक प्रतिशत पानी भी नहीं बचा है. सरकार ने हालात बेहतर करने के लिये केंद्र सरकार से एक हज़ार करोड़ रुपये का पैकेज भी मांगा है.

चेन्नई में बड़ी-बड़ी कंपनियों, होटलों और बहुमंज़िला इमारतों में लोगों को काफ़ी परेशानी झेलनी पड़ रही है. पिछले 30 सालों में ये चेन्नई के लिये सबसे बड़ा जल संकट है.

चेन्नई की हालत देखकर अगर दिल्ली बेफ़िक्र है...तो उसे पता होना चाहिये कि यहां भी केपटाउन जैसे Day Zero वाले हालात बन रहे हैं.

अभी दिल्ली को रोज़ क़रीब 450 से 470 करोड़ लीटर पानी चाहिये...लेकिन सप्लाई सिर्फ़ 75 प्रतिशत ही है. सप्लाई होने वाले क़रीब 340 से 350 करोड़ लीटर पानी का आधा हिस्सा हरियाणा से आता है. जबकि बाक़ी पानी गंगा नदी और Ground Water के ज़रिये मिलता है. चिंता की बात ये है कि दिल्ली का 90 प्रतिशत Ground Water Level गंभीर स्थिति में पहुंच गया है. दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में Ground Water दो मीटर तक प्रति वर्ष के हिसाब से घट रहा है. दिल्ली का 15 प्रतिशत इलाक़ा अब Critical Zone में है.

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ वर्ष 2028 तक दिल्ली टोक्यो को पीछे छोड़कर सबसे ज़्यादा आबादी वाला शहर बन जाएगा. 

तब दिल्ली की जनसंख्या 3 करोड़ 72 लाख हो जाएगी. अभी दिल्ली की आबादी क़रीब ढाई करोड़ है. यानी तब दिल्ली में पानी की कमी 40 प्रतिशत ज़्यादा बढ़ जाएगी.

हम मई 2018 में शिमला में हुई पानी की क़िल्लत को याद कर सकते हैं. मई 2018 में लोगों ने पानी ना मिलने की वजह से धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया था. हालात इतने ख़राब थे कि कुछ लोगों ने आत्मदाह तक की चेतावनी दे दी थी. इसलिये इस वक़्त जब आप अपने घर में बैठकर DNA की ये ख़बर देख रहे हों, तो आपको अपनी रसोई और बाथरूम के अलावा घर में रखी पानी की बोतलों का ख़्याल ज़रूर आना चाहिये. 

US Geological Survey के मुताबिक़ 
दुनिया में 32 करोड़ ट्रिलियन गैलन पानी है. 
एक गैलन में 3.7 लीटर पानी होता है.
इस संख्या को अगर लीटर में तब्दील करेंगे तो ये आंकड़ा होगा
126 और उसके आगे 19 शून्य . ये एक ऐसी संख्या है जिसे हमारे लिये टीवी स्क्रीन पर फिट करना भी आसान नहीं है. लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि दुनिया में मौजूद कुल पानी का केवल 2 प्रतिशत ही पीने लायक़ है.

और इसमें से आधे यानी एक percent पानी तक हमारी पहुंच आसान है.

इसमें भी भारत के पास सिर्फ़ 4 प्रतिशत ही पानी है. जबकि भारत में दुनिया के 18 फ़ीसदी लोग रहते हैं. और ज़मीन के लिहाज़ से भारत के पास पृथ्वी का केवल 2.5 per cent हिस्सा है. दुनिया में पीने के पानी का बड़ा हिस्सा Ground water से मिलता है. और भारत में ज़रूरत से 70 प्रतिशत ज़्यादा Ground Water निकाला जा रहा है. Central Ground Water board के मुताबिक़ भारत में भूमिगत जल का स्तर तेज़ी से गिर रहा है. 
दुनिया भर के कुल Ground Water का 24 प्रतिशत हिस्सा भारत के लोग ही इस्तेमाल कर रहे हैं. 

इसलिये एक मिनट के लिये ये सोचिये कि आपके शहर में अब पानी खत्म हो चुका है. अब आपके घर में पानी नहीं आएगा. अब आपको पानी ख़रीदकर पीना होगा, पानी ख़रीदकर कपड़े धोने होंगे. कार साफ़ करने से लेकर घर के दूसरे कामों के लिए...अब आपको पानी की हर बूंद की क़ीमत चुकानी होगी. तो आप क्या करेंगे. ज़ाहिर है आप पानी बचाना शुरू कर देंगे और पानी के खर्च को कम कर देंगे. वैसे ये काम आपको आज से ही शुरू कर देना चाहिए क्योंकि पानी को मुफ़्त का माल समझने से आपको भविष्य में बहुत नुकसान होगा. इसलिये हमें अभी से सावधान होना होगा.

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