आज के दौर में ही नेताओं की जमानत नहीं होती जब्‍त, पहले आम चुनाव में 4 नेताओं से हुई थी इसकी शुरुआत
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आज के दौर में ही नेताओं की जमानत नहीं होती जब्‍त, पहले आम चुनाव में 4 नेताओं से हुई थी इसकी शुरुआत

आजादी के बाद पूरे देश में नेशनल कांग्रेस पार्टी का बोलबाला था. इस बोलबाले के बावजूद,, चुनावी मैदान में कांग्रेस को चुनौती देने के लिए 52 राजनैतिक दलों के 1396 उम्‍मीदवार सामने खड़े थे.

आज के दौर में ही नेताओं की जमानत नहीं होती जब्‍त, पहले आम चुनाव में 4 नेताओं से हुई थी इसकी शुरुआत

नई दिल्‍ली: लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Election 2019) के नतीजों से पहले बात करते हैं देश के पहले लोकसभा चुनाव की. देश का पहला लोकसभा चुनाव आजादी से 4 साल बाद 1951 में लड़ा गया. 489 संसदीय सीटों पर हुए इस चुनाव में नेशलन कांग्रेस पार्टी ने 364 सीटों जीत दर्ज की. 1951 में कांग्रेस पार्टी की इस जीत के दो पहलू थे. पहला यह कि देश के पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने प्रचंड बहुमत के साथ जीत दर्ज की. वहीं इस जीत का एक दूसरा पहलू भी था. दरअसल, यह वह दौर था जब देश को आजादी मिले कुछ साल ही गुजरे थे. 

  1. 1874 में से 745 उम्‍मीदवारों की जब्‍त हुई थी जमानत
  2. कांग्रेस के 125 उम्‍मीदवारों को चुनाव में मिली शिकस्‍त
  3. डॉ. भीमराव अंबेडकर मुंबई से नहीं जीत सके थे चुनाव

कांग्रेस का पूरे देश में बोलबाला था. इस बोलबाले के बावजूद, चुनावी मैदान में कांग्रेस को चुनौती देने के लिए 52 राजनैतिक दलों के 1396 उम्‍मीदवार सामने खड़े थे. इस चुनाव में कांग्रेस के 479 प्रत्‍याशियों में से 364 को जीत मिली, ज‍बकि 125 प्रत्‍याशियों को हार का सामना करना पड़ा. इतना ही नहीं, देश के पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के चार प्रत्‍याशी ऐसे भी थे, जिनकी जमानत भी जब्‍त हो गई थी. चुनावनामा में जानते हैं कि कांग्रेस के उन नेताओं के बारे में जिनकी देश के पहले चुनाव में जमानत जब्‍त हुई.

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1874 में से 745 उम्‍मीदवारों की जब्‍त हुई थी जमानत
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 1951 में हुए पहले चुनाव में मद्रास, पश्चिम बंगाल, हैदराबाद और त्रिपुरा की एक-एक संसदीय क्षेत्रों से कांग्रेस को न केवल शिकस्‍त मिली, बल्कि पार्टी के उम्‍मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा सके. कांग्रेस के जिन 4 नेताओं की जमानत जब्‍त हुई, उनमें मद्रास की ओंगल सीट से चुनाव लड़ने वाले सुंदरराम रेड्डी और पश्चिम बंगाल की बेरहमपुर सीट से चुनाव लड़ने वाले नलिनाक्षा सान्‍याल भी शामिल हैं.

इसके अलावा, हैदराबाद की नालगोंडा संसदीय सीट से चुनाव लड़ने वाले पी.महेंद्रनाथ और त्रिपुरा वेस्‍ट से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रहे सुंकुवार चक्रवर्ती की भी जमानत जब्‍त हो गई थी. अपनी जमानत जब्‍त कराने वाले कांग्रेस के इन प्रत्‍याशियों को महज 12 से 14 फीसदी के बीच वोट मिले थे. उल्‍लेखनीय है कि 1951 में हुए देश के पहले आम चुनाव में कुल 745 प्रत्‍याशियों की जमानत जब्‍त हुई थी. इस चुनाव में 54 राजनैतिक दलों से कुल 1874 प्रत्‍याशी मैदान में थे.

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1951 में शिकस्‍त पाने वाले भारतीय राजनीति के तीन बड़े नाम
1951 में हुए देश के पहले आम चुनाव में तीन बड़ी हस्तियों को भी हार का मुंह देखना पड़ा था. इन तीन बड़ी हस्तियों में एक नाम देश के पहले कानून मंत्री डॉ. भीमराव अंबेडकर का भी है. वहीं शिकस्‍त का सामने करने वाली दूसरी हस्‍ती का नाम आचार्य कृपलानी का था. डॉ. भीम राव अंबेडकर ने यह चुनाव शिड्यूल्‍ड कास्‍ट फेडरेशन की टिकट पर उत्‍तर-पश्चिम बंबई (वर्तमान में मुंबई) से लड़ा था. 

इस चुनाव में कांग्रेस के प्रत्‍याशी नारायण सदोबा काजरोलकर 1 लाख 38 हजार 137 वोट मिले थे, जबकि डॉ. भीमराव अंबेडकर को 1 लाख 23 हजार 576 वोट मिले थे. इसी तरह, किसान मजदूर प्रजा पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे आचार्य कृपलानी को उत्‍तर प्रदेश की फैजाबाद संसदीय सीट से हार का सामना करना पड़ा था. वहीं, नई दिल्‍ली संसदीय सीट से किसान मजदूर प्रजा पार्टी की टिकट चुनाव लड़ रही सुचिता कृपलानी ने कांग्रेस की मनमोहनी सगहल को शिकस्‍त देने में कामयाब रहीं थी.

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