अमेठी लोकसभा सीट: राहुल गांधी और स्मृति ईरानी के बीच हो सकती है रोमांचक जंग
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अमेठी लोकसभा सीट: राहुल गांधी और स्मृति ईरानी के बीच हो सकती है रोमांचक जंग

साल 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए चुनाव में राजीव गांधी एक बार फिर उतरे, जिनको टक्कर देने के लिए संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी भी मैदान में उतरी. 

अमेठी लोकसभा सीट पर एक बार फिर से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी प्रत्याशी हैं. उनके सामने बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को अपना उम्मीदवार बनाया है.

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) अपने अंतिम दौर में है और 23 मई को चुनावी नतीजों के साथ तय हो जाएगा कि देश में किसी सरकार बनेगी. इन सबके बीच उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट चर्चाओं में बनी हुई है. दरअसल, उत्तर प्रदेश की राजनीति में अमेठी को कांग्रेस का दुर्ग कहा जाता है. अमेठी का चुनावी इतिहास देखे तो साफ पता चलता है कि यहां कांग्रेस का एकाधिकार रहा है और गांधी परिवार के सदस्य रिकॉर्ड मतों से जीतकर संसद में पहुंचते रहे हैं. 

2014 में चली मोदी लहर भी कांग्रेस के इस किले को नहीं ढहा सकी. अमेठी लोकसभा सीट पर एक बार फिर से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी प्रत्याशी हैं. उनके सामने बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को अपना उम्मीदवार बनाया है. बता दें कि स्मृति ईरानी को 2014 के लोकसभा चुनाव में अमेठी से हार का सामना करना पड़ा था. 

2014 में ये था समीकरण
साल 2014 में राहुल गांधी ने स्मृति ईरानी को पराजित किया था. आम आदमी पार्टी (आप) के कुमार विश्वास भी यहां से चुनाव लड़े थे, जिनकी जमानत जब्त हो गई थी. समाजवादी पार्टी ने इस सीट से अपना प्रत्याशी नहीं उतारा था. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को 4,08,651 वोट मिले थे. जबकि बीजेपी की उम्मीदवार स्मृति ईरानी को 3,00,74 वोट मिले थे. इस तरह जीत का अंतर 1,07,000 वोटों का ही रह गया. जबकि 2009 में कांग्रेस अध्यक्ष की जीत का अंतर 3,50,000 से भी ज्यादा का रहा था.

कुछ ऐसा है राजनीतिक इतिहास 
अमेठी लोकसभा सीट साल 1967 में परिसीमन के बाद वजूद में आई. अमेठी से पहली बार कांग्रेस के विद्याधर वाजपेयी सांसद बने. इसके बाद उन्होंने साल 1971 में भी उन्होंने जीत हासिल की, लेकिन साल 1977 में कांग्रेस ने संजय सिंह को चुनावी मैदान में उतारा, लेकिन जीत कांग्रेस को नसीब न हो सकी. साल 1980 में इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी चुनावी मैदान में उतरे और इस तरह से इस सीट को गांधी परिवार की सीट में तब्दील कर दिया. हालांकि, साल 1980 में ही उनका विमान दुर्घटना में निधन हो गया. इसके बाद 1981 में हुए उपचुनाव में इंदिरा गांधी के बड़े बेटे राजीव गांधी अमेठी से सांसद चुने गए.

साल 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए चुनाव में राजीव गांधी एक बार फिर उतरे, जिनको टक्कर देने के लिए संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी भी मैदान में उतरी. उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा. लेकिन जीत नहीं सकीं, राजीव गांधी 3 लाख वोटों से जीते जबकि उन्हें महज 50 हजार ही वोट मिल सके. कांग्रेस नेता और प्रधानमंत्री रहे राजीव गांधी ने साल 1989 और साल 1991 में चुनाव जीते. लेकिन, साल 1991 के नतीजे आने से पहले उनकी हत्या कर दी गई, जिसके बाद कांग्रेस के कैप्टन सतीश शर्मा चुनाव लड़े और जीतकर लोकसभा पहुंचे. साल 1996 में कैप्टन सतीश शर्मा फिर यहां से लड़े और संसद तक पहुंचे. साल 1998 में हुए चुनावों में बीजेपी ने इस सीट पर अपना कब्जा जमाया और संजय सिंह यहां से सांसद चुने गए. 

साल 1999 में राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी चुनाव मैदान में उतरीं और अमेठी की सांसद बनीं और संजय सिंह भारी मतों से यहां हारे. साल 2004 में अमेठी से पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बेटे राहुल गांधी पहली बार सांसद चुने गए. साल 2009 और 2014 के चुनाव में भी फिर राहुल गांधी यहां से सांसद चुने गए. वह तीन बार से लगातार यहां से सांसद हैं. 

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