लोकसभा चुनाव 2019: कुछ अलग है मयूरभंज सीट का राजनीतिक इतिहास
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लोकसभा चुनाव 2019: कुछ अलग है मयूरभंज सीट का राजनीतिक इतिहास

यह एक ऐसी सीट है जहां कांग्रेस, बीजेपी, बीजेडी और झारखंड मुक्ति मोर्चा को सफलता हाथ लगती रही है.

लोकसभा चुनाव 2019: कुछ अलग है मयूरभंज सीट का राजनीतिक इतिहास

मयूरभंज: ओडिशा की मयूरभंज सीट पर चुनावी जंग अक्सर दिलचस्प रही है. इस सीट का चुनावी इतिहास भी अपने आप में अनूठा ही है. यह एक ऐसी सीट है जहां कांग्रेस, बीजेपी, बीजेडी और झारखंड मुक्ति मोर्चा को सफलता हाथ लगती रही है. शायद यही वजह रही है कि वह इस बार बीजेपी और बीजेडी दोनों ने अपना उम्मीदवार बदल दिया है. 

मयूरभंज सीट पर इस बार बीजेपी और बीजेडी दोनों ने ही अपना प्रत्याशी बदल दिया है. 2014 में इस सीट से बीजेडी के रामचंद्र हांसदा जीते थे, इस बार पार्टी ने यहां से डॉ देवाशीष मरांडी को टिकट दिया है. बीजेपी ने इस सीट से विशेषश्वर टुडु को मैदान में उतारा है. जबिक पिछली बाहर डॉ.नेपॉल रघु मुर्मू को टिकट दिया है. 

2104 में बीजेडी के रामचंद्र हांसदा को 3,93,779 वोट मिले थे जबकि दूसरे नंबर पर रहे बीजेपी के डॉ.नेपॉल रघु मुर्मू को 2,70,913 को वोट मिले थे. 

ओडिशा की यह एक ऐसी सीट पर जहां झारखंड मुक्ति मोर्चा खासा दबदबा रखती है. पिछले चुनाव में जेएमएम यहां से तीसरे स्थान पर रही थी. इस बार यहां से जेएमएम को अंजनी सोरेन को टिकट दिया है.

कैसा रहा है इस सीट का राजनीतिक इतिहास 
2014 और 2009 में यहां से बीजेडी को कामयाबी हाथ लगी थी. 2004 के लोकसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने यह सीट जीती थी. 1999 और 1998 में यहां बीजेपी ने बाजी मारी.  

यह दिलचस्प है मयूरभंज देश की ऐसी सीट रही है जहां आजादी के बाद कांग्रेस को कामयाबी नहीं मिल पाई. इस सीट पर पहला चुनाव 1951 में हुआ लेकिन कांग्रेस को यह सीट जीतने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा. 1980 के चुनाव में कांग्रेस का इंतजार खत्म हुआ और यह सीट पार्टी ने जीत ली. इसके बाद 1984, 1989, 1991, 1996 के चुनावों में यहां से कांग्रेस जीतती रही. लेकिन 1998 में यह सीट बीजेपी के खाते में गई तब से अब तक इस सीट पर कांग्रेस जीत नहीं सकी है. 

 

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