लोकसभा चुनाव 2019 : ओवैसी को है जीत की उम्मीद, 15 सालों में कोई नहीं भेद सका हैदराबादी किला
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लोकसभा चुनाव 2019 : ओवैसी को है जीत की उम्मीद, 15 सालों में कोई नहीं भेद सका हैदराबादी किला

एक बयान में ओवैसी ने कहा था कि, ‘‘मैं अपने किए कामों के दम पर चुनाव लड़ा और काफी काम अभी किया जाना बाकी है

इस बार औवैसी के लिए अपना किला बचा पाना इतना आसान नहीं है. (फाइल फोटो)

नई दिल्लीः हैदराबाद की राजनीति में गहरी पकड़ रखने वाले असदुद्दीन ओवैसी एक ऐसे राजनेता हैं, जिन्होंने धीरे-धीरे ही सही, लेकिन देश की एक बड़ी राजनैतिक शक्ति बनकर उभरे हैं. हैदराबाद के इतिहास का एक अटूट हिस्सा बन चुके ओवैसी लगभग पांच दशकों से राजनीति में एक्टिव हैं और आज राजनीति के क्षेत्र का बड़ा नाम भी हैं. हैदराबाद पर 1984 से कब्जा जमा कर बैठे ओवैसी की पार्टी एईएमईएम को आम तौर पर मुस्लिम राजनैतिक संगठन के रूप में जाना जाता है. वहीं हैदराबाद में बड़ी संख्या में मुस्लिम वोटर्स होने के चलते अक्सर ही ओवैसी को इसका फायदा मिलता रहा है.

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जीवन परिचय
हैदराबाद से वर्तमान सांसद असदुद्दीन औवैसी का जन्म  13 मई 1969 को हैदराबाद के एक उच्च वर्गीय मुस्लिम परिवार में हुआ. आंध्रप्रदेश के निज़ाम कॉलेज से स्‍नातक करने के बाद औवेसी ने लंदन से वकालत की डिग्री हासिल की. ओवैसी की शादी फ़रहीन ओवैसी से हुई है। दंपति के छह बच्चे हैं जिनमें एक बेटा, सुल्तान uddin ओवैसी (2010 का जन्म) और पांच बेटियां शामिल हैं. लेकिन वकालत करने की जगह उन्हें राजनीति में अपना करियर बेहतर दिखाई देने लगा, जिसके चलते उन्होंने राजनीति की ओर रुख कर लिया और इसी का नतीजा है कि आज वह देश की राजनीति में एक बड़े नाम के तौर पर जाने जाते हैं.

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राजनीतिक  जीवन
ओवैसी पहली बार 2004 में हैदराबाद लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए थे. उसके बाद वे 2009 और 2014 के आम चुनाव में भी हैदराबाद क्षेत्र से सांसद चुने गए. 2014 के आम चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी को 5,13,868 वोट मिले थे. जो करीब 52.87 मत प्रतिशत था. बीजेपी के डॉ. भगवंत राव को 3,11,414 वोट मिले थे. यह वोटिंग का कुल 32.04 फीसदी था. कांग्रेस के प्रत्याशी एस कृष्णा रेड्डी को 49,310 वोट ही मिले थे. 

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एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को भरोसा है कि विकास कार्यों और लोगों के साथ मजबूत जुड़ाव के दम पर वह चौथी बार हैदराबाद लोकसभा सीट से विजयी रहेंगे जबकि भाजपा और कांग्रेस का दावा है कि लोगों को बांटने की राजनीति और ‘‘गुंडागर्दी’’ के कारण ओवैसी को इस बार हार का स्वाद चखना पड़ेगा. हैदराबाद निर्वाचन क्षेत्र पारम्परिक रूप से अखिल भारतीय मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) का गढ़ रहा है और 2004 से ओवैसी इस सीट पर जीत का परचम लहराते आए हैं.

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इस बार औवैसी के लिए अपना किला बचा पाना इतना आसान नहीं है. एक बयान में ओवैसी ने कहा था कि, ‘‘मैं अपने किए कामों के दम पर चुनाव लड़ा और काफी काम अभी किया जाना बाकी है. और हमारी पार्टी ने लोगों के घरों में पैदल जा जा कर कामों को पहुंचाया है.’ बीजेपी ने एक बार फिर से डॉ. भगवंत राव पर भरोसा जताया है. तेलंगाना के सीएम के चंद्रखेखर राव की पार्टी टीआरएस ने इस सीट पर पी श्रीकांत को प्रत्याशी बनाया है. कांग्रेस ने इस सीट पर मोहम्मद फिरोज खान को अपना उम्मीदवार बनाया है.

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