मुसलमानों के तमाम संगठनों की अम्ब्रेला संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिसे मशावरत ने भी कांग्रेस से अपनी नाराज़गी जाहिर की है.
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नई दिल्लीः लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र जहां तमाम राजनैतिक पार्टियों ने अपनी कमर कस ली है, वही उत्तर प्रदेश में महागठबंधन का हिस्सा ना बनने के बावजूद कांग्रेस की मुश्किले कम होने का नाम नहीं ले रही. खासतौर पर जैसे-जैसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर रही है वैसे-वैसे मुस्लिम संगठनों और मुस्लिम वोटरों की तरफ से ये आशंका जाहिर की जा रही है कि मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर कांग्रेस का चुनाव लड़ना सीधे बीजेपी को फायदा पहुंचाएगा.
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मुसलमानों के तमाम संगठनों की अम्ब्रेला संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिसे मशावरत ने भी कांग्रेस से अपनी नाराज़गी जाहिर की है. मुशावरत के अध्यक्ष नवेद हामिद ने कांग्रेस से अपील की है कि वो अमरोहा और मुरादाबाद सीट उम्मीदवारों के नाम वापस ले, नवेद हामिद ने मुरादाबाद सीट से शायर इमरान प्रतापगढ़ी की जगह किसी स्थानीय कांग्रेसी नेता को टिकट देने की वकालत की है. इससे पहले मुशावरत ने मुरादाबाद से राजबब्बर के चुनाव लड़ने का इसलिए विरोध किया था, क्योंकि उनका मानना है इस सीट से एक मुसलमान चुनाव जीतकर सांसद बन सकता है.
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दरअसल यूपी की मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर कांग्रेस और महागठबंधन के अलग अलग चुनाव लड़ने से मुस्लिम वोटरों में बैचेनी है. मुस्लिम संगठनों का मानना है, कि सहारनगुर, बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, संभल, रामपुर समेत कई ऐसी सीटें है जहां से बीजेपी को आसानी से हराया जा सकता है, लेकिन कांग्रेस और महागठबंधन दोनों ही चुनाव लड़ रहे है और इससे वोटों का बंटवारा होगा जिसका सीधा फायदा बीजेपी को होगा.
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हालांकि महागठबंधन ने अमेठी औऱ रायबरेली से अपना उम्मीदवार ना उतारने का वादा कर रखा है तो वही इसके बदले कांग्रेस ने सात सीटों को छोड़ने की बात कह रखी है, लेकिन पश्चिमी यूपी की कई सीटों के समीकरण लगातार बदल रहे हैं और जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आएंगे सियासी माहौल और ज्यादा गर्माएगा.