आरएसएस के विचारक तरुण विजय ने कहा- भारत को चीन के करीब ला रहा बुद्ध और योग
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आरएसएस के विचारक तरुण विजय ने कहा- भारत को चीन के करीब ला रहा बुद्ध और योग

तरुण विजय ने कहा भारत और चीन दो महान सभ्यताओं को ट्रैक टू डिप्लोमेसी के माध्यम से लोगों के बीच अधिक से अधिक संपर्क बढ़ाने की जरूरत है.

बुद्ध और योग भारत और चीन को एक दूसरे के करीब ला रहा है. (प्रतीकात्मक फोटो)

बीजिंगः भारत-चीन सांस्कृतिक संबंधों को लेकर चीन के छंगतू स्थित सछ्वान विश्वविद्यालय में एक व्याख्यान का आयोजन हुआ. इस मौके पर भारत से आए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) के विचारक और भाजपा के पूर्व सांसद तरुण विजय ने कहा कि हम दोनों देशों की संस्कृति ही है जो लोगों को एकजुट करती है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत और चीन दो महान सभ्यताओं को ट्रैक टू डिप्लोमेसी के माध्यम से लोगों के बीच अधिक से अधिक संपर्क बढ़ाने की जरूरत है.

बकौल तरुण विजय, "नरेंद्र मोदी हमारे समय के महान नेता के रूप में उभरे हैं, जिन्होंने योग को एक बेहतर और स्वस्थ दुनिया के लिए लोकप्रिय बनाया है. इसने सांस्कृतिक धागों को पहले से कहीं अधिक मजबूत किया है."

विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों व विद्यार्थियों की मौजूदगी में तरुण विजय ने कहा कि चीनी विद्वानों ने अकादमिक बातचीत के माध्यम से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा को समझना शुरू कर दिया है और यह बदलते समय में एक सकारात्मक संकेत है. उन्होंने कहा, "चीनी विचारकों को प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत में होने वाले नए परिवर्तनों को समझने के लिए पं. दीनदयाल उपाध्याय और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का अध्ययन करना चाहिए." उन्होंने कहा कि वह सछ्वान विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में उपाध्याय और मुखर्जी के साहित्य भेंट करेंगे.

इसके साथ ही तरुण विजय ने दोनों देशों के बीच प्राचीन सांस्कृतिक संबंधों पर विस्तार से बात करते हुए कहा, "युगों से भारत के कुमारजीव, बोधिधर्म, कश्यप, मतंगा और चीन के ह्वेनत्सांग और फा-ह्यान जैसे आध्यात्मिक भिक्षुओं ने एक सांस्कृतिक, सभ्यतागत संबंध की नींव रखी. जिसने दोनों देशों की दोस्ती का मजबूत आधार तैयार किया. आधुनिक भारत ने टैगोर को भारत चीन संबंधों के लिए सबसे बड़े सांस्कृतिक राजदूत के रूप में देखा है, जिनकी विरासत को शांति निकेतन के एक चीनी विद्वान, प्रोफेसर तान युनशान और उनके बेटे प्रो. तान चुंग ने आगे बढ़ाया."

वहीं इंस्टीट्यूट ऑफ साउथ एशियन स्टडीज (आईएसएस) की कार्यकारी निदेशक प्रो. ली ताओ और दक्षिण एशिया अध्ययन केंद्र के निदेशक, स्छवान विश्वविद्यालय के लियू जिया वेई ने तरुण विजय द्वारा नरेंद्र मोदी की जीवनी पर लिखित पुस्तक के मंदारिन संस्करण में उनके केंद्र की सक्रिय भागीदारी की पेशकश की.

व्याख्यान का आयोजन इंस्टीट्यूट ऑफ साउथ एशियन स्टडीज द्वारा किया गया था. आईएसएएस की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (सुश्री) ली थाओ ने उनका स्वागत किया और इस दिशा में भारत के साथ काम करने की बात कही.

गौरतलब है कि सीआईआई-इंडिया चाइना फोरम के अध्यक्ष तरुण विजय ने दो वर्ष तक संसद भवन में भारत चीन संसदीय समूह का नेतृत्व किया था. वह भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त भारत चीन प्रख्यात प्रतिनिधि समूह के सदस्य भी रह चुके हैं.

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