ब्रह्मर्षि नारद के कहने पर माता ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए सहस्त्रों वर्ष कठोर तप किया था और इसी वजह से माता का एक नाम ब्रह्मचारिणी हुआ. ब्रह्मशक्ति को समझने व तप की महिमा जानने के लिए इस दिन मां के इस स्वरूप की आराधना की जाती है.
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नई दिल्ली : Zee आध्यात्म में आज हम बात करेंगे शक्ति के महापर्व के दूसरे दिन की पूजा उपासना की. आज मां दुर्गा के नौ स्वरूपों में से देवी ब्रह्मचारिणी का पूजन दुनिया भर में हो रहा है. शारदीय नवरात्र इस साल 8 दिन के हैं इसलिए महाअष्टमी और नवमी एक ही तिथि को होगी.
'द्वितीयं ब्रह्मचारिणी'
मां सभी के दुख दूर करती हैं, माता को प्रसन्न करने के लिए देशभर में भक्ति की शक्ति दिख रही है. भारतीय विधान में शक्ति की पूजा के अलग अलग उपाए बताए गए हैं. आज दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की आराधना से भक्तों की तप करने की शक्ति बढ़ती है. इस स्वरूप में माता ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में माला और बाएं हाथ में कमंडल है. शास्त्रों के अनुसार माता भगवती ने पार्वती के रूप में पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री बनकर जन्म लिया था.
ब्रह्मर्षि नारद के कहने पर माता ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए सहस्त्रों वर्ष कठोर तप किया था और इसी वजह से माता का एक नाम ब्रह्मचारिणी हुआ. ब्रह्मशक्ति को समझने व तप की महिमा जानने के लिए इस दिन मां के इस स्वरूप की आराधना की जाती है. योग-शास्त्र में यह शक्ति स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित होती है. इसलिए मां की आराधना से सर्वत्र विजय प्राप्त होती है.
ब्रह्मचारिणी देवी के मंत्र
मां ब्रह्मचारिणी की उपासना के समय पीले वस्त्र पहनें. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय सबसे पहले मां का ध्यान करें और प्रार्थना करते हुए इस मंत्र को दोहराएं.
ध्यान मंत्र
वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम।
जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम॥
गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम।
धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम॥
दिव्य मंत्र
वहीं भक्त 'ऊं ब्रह्मचारिण्यै नम:' का भी जाप कर सकते हैं.
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इस मंत्र के मंत्र के निर्धारित जप के बाद मां को प्रसाद चढ़ाएं और आचमन करवाएं. परिक्रमा के साथ मां का आरती करें और क्षमा प्रार्थना के बाद प्रसाद बांट दें.
विशेष इंतजाम
दुनियाभर में फैली कोरोना महामारी को देखते हुए इस बार मंदिरों में सावधानी बरती जा रही है. मंदिर के बाहर भक्तों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा जा रहा है. सेनेटाइजेशन की व्यवस्था की गई है लेकिन इस बार श्रद्धालुओं की ज्यादा संख्या की अनुमति नहीं है इसलिए भक्त घर पर ही स्थापित देवी और शुभ कलश के सामने मां की आराधना कर रहे हैं. शक्ति के महापर्व पर समस्त मानव जाति के कल्याण के लिए श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ भी किया जा रहा है.