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नई दिल्ली : आज तक हमारे खगोलविदों ने जितने भी एक्सोप्लैनेट यानि बाह्यग्रहों की खोज की है, वे सभी हमारी गैलेक्सी के ग्रह थे. हालांकि ये सौरमंडल से बाहर के ग्रह हैं लेकिन गैलेक्सी के अंदर के बाह्यग्रह हैं. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने ऐसे एक्सोप्लैनेट की खोज की है जो कि हमारी गैलेक्सी से बाहर का है. दिलचस्प बात ये है कि इस एक्सोप्लैनेट के बारे में वैज्ञानिकों के पास पहले ही से जानकारी मौजूद है. चलिए जानते हैं इस अलग ग्रह के बारे में.
हाल के दशकों में खगोलविदों ने 4,000 से अधिक एक्सोप्लैनेट या दुनिया को अन्य सितारों की परिक्रमा करते हुए पाया है. वे एक्सोप्लैनेट छोटे, चट्टानी ग्रहों से लेकर विशाल गैस तक हैं, लेकिन उन सभी में एक चीज समान है कि वे हमारी अपनी मिल्की वे गैलेक्सी में दिखे हैं.
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किसने खोजा इस एक्सोप्लैनेट को अब हार्वर्ड-स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के वैज्ञानिकों ने रोसने डि स्टेफानो के नेतृत्व में एक्स-रे डेटा का उपयोग एक्सट्रैगैलेक्टिक स्पेस में बड़ा कदम उठाने के लिए किया है, ताकि किसी अन्य गैलेक्सी में सितारों की परिक्रमा करने वाले ग्रह का पहला सबूत मिल सके.
ग्रह को M51-ULS-1b लेबल दिया गया है और इसका साइज़ शनि ग्रह से थोड़ा छोटा होने का अनुमान है. यह ग्रह अपने तारों की परिक्रमा पृथ्वी से सूर्य की दूरी से लगभग 10 गुना अधिक करता है. यह पहली बार 20 सितंबर, 2012 को नासा के चंद्र एक्स-रे ऑब्जर्वेटरी द्वारा पता लगाया गया था, लेकिन उस समय डेटा सेट में किसी का ध्यान नहीं गया. यह केवल बाद में डि स्टेफानो और अन्य सहयोगियों द्वारा देखा गया.
इस खोज का नेतृत्व करने वाले सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स की शोधकर्ता रोजाने डि स्टीफानो का कहना है कि हम इस तरह एक्स रे वेवलेंथ के जरिए कैंडिडेट एक्सोप्लैनेट्स की खोज करके दूसरी दुनिया के द्वार खोलने की कोशिश कर रहे हैं. इस तरह से हम दूसरी गैलेक्सी में कई अन्य एक्सोप्लैनेट्स को ढूंढ पाएंगे.
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खगोलविदों का ये भी कहना है कि इस ग्रह का भी अन्य ग्रहों की तरह एक इतिहास होना चाहिए. हो सकता है कि ये सुपरनोवा विस्फोट से बचकर निकला हो जिससे न्यूट्रॉन तारा या ब्लैक होल बना होगा.