वैज्ञानिकों का कहना है कि यह ब्लैक होल सोलर सिस्टम से कई गुना बड़ा है. इसका भारत सूर्य के भार से 6.5 बिलियन (अरब) गुना ज्यादा है.
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नई दिल्ली: आज तक ब्लैक होल केवल एक थ्योरी ही था, लेकिन इसकी कोई तस्वीर सामने नहीं आई थी. समय-समय पर इस थ्योरी पर तरह-तरह के सवाल और तर्क दिए जाते रहे हैं. लेकिन, अब ब्लैक होल की पहली तस्वीर दुनिया के सामने है. खगोलविदों (Astronomers) ने ब्लैक होल की पहली तस्वीर ली है. ब्लैक होल करीब 500 मिलियन ट्रिलियन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जिसे आठ अलग-अलग टेलीस्कोप की मदद से तस्वीरों में कैद किया गया है. ब्लैक होल M87 गैलेक्सी का हिस्सा है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह ब्लैक होल सोलर सिस्टम से कई गुना बड़ा है. इसका भार सूर्य के भार से 6.5 बिलियन (अरब) गुना ज्यादा है. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह सबसे बड़ा ब्लैक होल होगा. आकार की बात करें तो यह पृथ्वी के आकार से 30 लाख गुना ज्यादा बड़ा है.
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ब्लैक होल अंतरिक्ष का वह क्षेत्र है जहां गुरुत्वाकर्षण बल बहुत ज्यादा होता है. गुरुत्वाकर्षण बल इतना ज्यादा होता है कि इससे लाइट भी नहीं गुजर पाती है, जिसकी वजह से यह अदृश्य होता है. इसका साइज बहुत बड़ा और बहुत छोटा दोनों हो सकता है.
कैसे बनता है ब्लैक होल?
अगर किसी बड़े तारे का केंद्र अपने आप टूट जाता है तो इसका निर्माण होता है. इस प्रक्रिया को सुपरनोवा (Supernova) के नाम से जाना जाता है. इसका आकार बहुत बड़ा होता है. ब्लैक होल को लेकर वैज्ञानिकों का कहना है कि यह खाली जगह नहीं है. यह जगह भरा हुआ है, जिसका घनत्व बहुत ज्यादा है. अंतरिक्ष में ब्लैक होल
ब्लैक होल की परिकल्पना किसने दी?
सदी के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आईंस्टीन के 'थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी' के बाद ब्लैक होल की परिकल्पना की गई. हालांकि, इसको लेकर आइंस्टीन खुद किसी मजबूत पक्ष के साथ नहीं खड़े थे.