अरुण जेटली ने कहा कि ज्यादातर केंद्रीय योजनाएं 60:40 के अनुपात में होती हैं.
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नई दिल्ली (दुष्यंत कुमार): 2019 के बजट में मोदी सरकार ने किसानों को बड़ा तोहफा दिया. सरकार ने छोटे किसानों को सालाना 6 हजार रुपए देने का ऐलान किया. लेकिन इस स्कीम की विपक्ष ने जमकर आलोचना की और कहा कि सरकार किसानों को हर दिन 17 रुपए देकर उनका अपमान कर रही है. जब विपक्ष की इस आलोचना पर केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली से सवाल किया गया, तो उन्होंने साफ कह दिया कि कांग्रेस ने तो किसानों के लिए कुछ किया नहीं, और अगर उन्हें लगता है कि इतनी राशि कम है तो सरकार के साथ मिलकर किसानों के लिए और फायदे का रास्ता क्यों नहीं निकालती? अरुण जेटली ने इसके लिए एक फॉर्मूला भी दिया.
क्या है जेटली का फॉर्मूला?
अरुण जेटली ने कहा कि ज्यादातर केंद्रीय योजनाएं 60:40 के अनुपात में होती हैं. अगर 60 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार दे रही है, तो 40 परसेंट सहायता राज्य सरकारें भी करें. इस तरह से अगर केंद्र किसानों को हर महीने 500 रुपए की व्यवस्था कर रहा है, तो इसमें 40% यानि 200 रुपए की व्यवस्था राज्य सरकारों को भी करनी चाहिए. ऐसे में किसानों को 500 की बजाय हर महीने 700 रुपए तक की इनकम हो जाएगी. अरुण जेटली ने कहा कि विपक्ष को आलोचना करने की जगह राज्य सरकारों से कहना चाहिए कि इसमें 40% सहायता वो भी दें.
भविष्य में बढ़ सकता है पैसा
केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने संकेत दिया कि किसानों को सालाना 6,000 रुपए की न्यूनतम सहायता राशि को भविष्य में बढ़ाया जा सकता है. जैसे-जैसे सरकार के संसाधन बढ़ेंगे, भविष्य में किसानों को दी जाने वाली सालाना राशि को बढ़ाया जा सकता है. जेटली ने कहा कि ये राशि किसानों को सब्सिडी पर खाद्यान्न देने, मुफ्त चिकित्सा सुविधा देने, मुफ्त साफ-सफाई की सुविधा देने, बिजली, सड़क, गैस कनेक्शन देने की योजना के अतिरिक्त है.
12 करोड़ किसानों को फायदा
वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने 2019-20 के बजट में किसानों को सालाना 6,000 रुपये की न्यूनतम सहायता देने की घोषणा की है. किसानों को यह राशि तीन किस्तों में दी जाएगी. इस हिसाब से यह 500 रुपए मासिक बैठती है और इससे 12 करोड़ छोटे किसानों को फायदा होगा.
कांग्रेस बताए क्या किया?
बजट के बाद दिए गए एक इंटरव्यू में अरुण जेटली ने कहा कि कांग्रेस बताए कि उसने किसानों के लिए क्या किया है. पी चिदंबरम ने 70,000 करोड़ रुपए का कृषि ऋण माफ करने की घोषणा की थी. लेकिन वास्तव में सिर्फ 52,000 करोड़ रुपए वितरित किए गए. ऊपर से कैग की रिपोर्ट कहती है कि इसमें एक बड़ी राशि व्यापारियों और कारोबारियों के पास चली गयी. इस तरह से किसानों के साथ धोखाधड़ी थी.