Rajasthan: राजस्थान का अनोखा चुनाव, एक ही अस्पताल के डॉक्टर-नर्स एक दूसरे खिलाफ बने उम्मीदवार
Advertisement
trendingNow11960287

Rajasthan: राजस्थान का अनोखा चुनाव, एक ही अस्पताल के डॉक्टर-नर्स एक दूसरे खिलाफ बने उम्मीदवार

Elections in Rajasthan: राजस्थान विधासभा चुनाव में डूंगरपुर जिले में अनोखा मुकाबला देखन को मिल रहा है. यहां सरकारी अस्पताल में तैनात डॉक्टर और नर्स एक- दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं.

 

Rajasthan: राजस्थान का अनोखा चुनाव, एक ही अस्पताल के डॉक्टर-नर्स एक दूसरे खिलाफ बने उम्मीदवार

Rajasthan Elections 2023: राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए 25 नवंबर को वोट डाले जाने हैं. ऐसे में सभी राजनैतिक दलों के साथ निर्दलीय प्रत्याशी जोर-शोर से चुनाव प्रचार के लिए जुटे हुए हैं. वहीं, कई विधानसभा सीटों पर अनोखा मुकाबला देखने को मिल रहा है. ऐसा ही एक मुकाबला राजस्थान के डूंगरपुर जिले में हो रहा है. यहां विधानसभा चुनाव में अनोखे मोड़ में पहुंच चुका है. इस विधानसभा में एक ही अस्पताल में तैनात पुरुष नर्स और एक डॉक्टर एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं.

बीजेपी और बीटीपी के प्रत्याशी

पुरुष नर्स का नाम बंशीलाल कटारा है, जो बीजेपी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं, डॉ. दीपक घोगरा भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. दोनों उम्मीदवारों की पृष्टभूमि आदिवासी है और दोनों पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं. डॉ. घोगरा के चचेरे भाई कांग्रेस पार्टी के मौजूदा विधायक हैं. उनकी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के बावजूद, दोनों उम्मीदवारों का जिला में स्वास्थ्य सेवा में सुधार का एक ही लक्ष्य है.

पिछले 10 साल से हैं सहकर्मी

दोनों उम्मीदवार पिछले 10 साल से एक साथ कार्य कर रहे हैं. नर्स-डॉक्टर मुकाबले को राजस्थान चुनाव में इस तरह के पहले टकराव के रूप में देखा जा रहा है. बंशीलाल कटारा (41) ने बीजेपी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने के लिए सरकारी सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली है. जबकि डॉ. दीपक घोगरा (43) राजस्थान उच्च न्यायालय से चुनाव में भाग लेने की अनुमति मिलने के बाद भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. बता दें कि डूंगरपुर में आदिवासी आबादी काफी है.

सरकारी अस्पताल में हैं तैनात

डुंगरपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पताल के मेडिकल ऑफिसर घोगरा ने कहा कि हम सहकर्मी थे और साथ में मरीजों का इलाज करते थे, लेकिन अब हम राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी हैं. 10 साल की बॉन्डिंग अब अतीत की बात हो गई है.

मरीजों से मिलेगा समर्थन

वहीं, कटारा का कहना है कि घोगरा अगर चुनाव में हार जाते हैं तो वह सरकारी सेवा में फिर से वापस आ जाएंगे, लेकिन मैंने लोगों की सेवा के लिए राजनीति के माध्यम से सेवा करने के लिए इस्तीफा दे दिया है. हालांकि, दोनों को उम्मीद है कि वे अपने मरीजों के बीच लोकप्रिय हैं, इसलिए वे ऐसे लोगों से समर्थन हासिल करने में सफल होंगे. दोनों का एक ही मिशन है- डूंगरपुर को "स्वस्थ" जिला बनाना. बता दे कि जब 2018 में कांग्रेस के गणेश ने डूंगरपुर सीट जीती थी, तो दूसरे नंबर पर बीजेपी के माधवलाल वराहट रहे थे. बीटीपी के वेराराम तीसरे स्थान पर आए थे. इस बार बीजेपी और बीटीपी ने उम्मीदवार बदल दिए हैं.

Trending news