कम्युनिस्ट बैंडिट और 50 सेंट पार्टी, ये दोनों शब्द चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के लिए अपमानजनक हैं और शी जिनपिंग के लोग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से उनकी आलोचनाओं को बाकायदा फिल्टर कर रहे हैं यानी हटा रहे हैं.
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नई दिल्ली: चीन (China) अब आपकी Youtube गतिविधियों में हस्तक्षेप कर रहा है. आप कुछ कमेंट सिर्फ इसलिए पोस्ट नहीं कर सकते क्योंकि वे चीन को पसंद नहीं.
वेब को मुक्त और निष्पक्ष माना जाता है, लेकिन Youtube पर जाएं और मेंडेरिन में गोंगफेई (Gongfei ) या वू माओ (Wu Mao) कमेंट करें. वीडियो पर ही जरूरी नहीं, आप एक लाइवस्ट्रीम पर भी कमेंट कर सकते हैं. अब, अगर 15 सेकंड के अंदर कमेंट हटा दिए जाएं तो हैरान मत होना, ये कोई जादू नहीं है.
यह चीनी कम्युनिस्ट पार्टी आपके जीवन को उन तरीकों से नियंत्रित कर रही है जिसे आप भी नहीं जानते थे. गोंगफेई का अर्थ है कम्युनिस्ट बैंडिट और वू माओ का अर्थ है 50 सेंट पार्टी. ये दोनों शब्द चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के लिए अपमानजनक हैं और शी जिनपिंग के लोग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से उनकी आलोचनाओं को बाकायदा फिल्टर कर रहे हैं यानी हटा रहे हैं.
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अपने पक्ष में Youtube का कहना है कि यह एक्सिडेंटल सेंसरशिप का मामला है, यानी, इन शब्दों को गलती से Youtube के कमेंट फ़िल्टर में जोड़ दिया गया था. लेकिन अगर ऐसा है तो इसपर छह महीने तक किसी का ध्यान क्यों नहीं गया? कुछ उपयोगकर्ताओं का कहना है कि कमेंट पिछले साल अक्टूबर के शुरुआत से हटाए जा रहे थे. और इसलिए इस मामले पर उत्सुकता और बढ़ जाती है.
क्या आप जानते हैं कि Youtube तो चीन में उपलब्ध भी नहीं है और यह कोई एक्सिडेंटल सेंसरशिप भी नहीं है. यह साफ है कि चीन अपनी सीमा के बाहर भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रहा है.
चीन ने पहले भी ऐसा किया है, और वह फिर यही कर रहा है. ड्रैगन का ये नापाक खेल अब किसी से छिपा नहीं है. चीन ने TikTokके जरिए सोशल मीडिया यूजर्स का वैश्विक नजरिया बदलने की कोशिश की और उसका चेहरा बेनकाब हो गया था.
चीन ने ट्विटर पर ट्रोल की एक सेना तैनात की, Milk Tea Alliance (थाईलैंड, हॉंगकॉंग और ताइवान के इंटरनेट उपयोगकर्ता समूह) ने उन्हें लताड़ दिया. और अब यह हैरानी की बात नहीं है कि चीन ने यूट्यूब कमेंट्स को फ़िल्टर करने के लिए भी आदमी तैनात किए हुए हैं.
YouTube की मूल कंपनी Google का इतिहास रहा है कि वो अपने सिद्धांतों को चीन को बेचता रहा है. 2018 में, यह प्रोजेक्ट ड्रैगनफ्लाई पर काम कर रहा था. यह एक सर्च इंजन था जिसमें चीनी स्टेट सेंसरशिप की सहमति थी. खबर लीक हो गई, और 2019 में ये प्रोजेक्ट रद्द करना पड़ा.
अब करीब एक साल हो गया है, और एक बार फिर चीनी बाजार में प्रवेश करने के लिए चीनी सेंसर का साथ Google का सबसे अच्छा दांव हो सकता है.