नई दिल्ली: पूरी दुनिया में अभी तक शक्ति के कई केन्द्र बने हुए थे. जो कि एक दूसरे को बैलेंस करते हुए दिख रहे है. अमेरिका, रूस, चीन, यूरोप में दुनिया की आर्थिक और सामरिक ताकत केन्द्रित थी. लेकिन कोरोना वायरस(Coronavirus) और उससे पैदा हुई आर्थिक मंदी और आपसी तनाव ने पूरी दुनिया के इन शक्ति केन्द्रों को कमजोर बना दिया है. ऐसे में पूरे विश्व की उम्मीदों को केन्द्र बनकर उभर रहा है भारत. पूरी दुनिया में हिंदुस्तान के पक्ष में तेजी से शक्ति का संतुलन बदलता हुआ दिख रहा है.
1. आपस में टकरा कर तबाह होते चीन और अमेरिका
चीन और अमेरिका(China and America) को पिछले दिनों कोरोना वायरस के कारण भारी जन धन हानि उठानी पड़ी. इसकी वजह से दोनों के बीच तनाव भी पढ़ गया है. दुनिया के ये दोनों शक्तिशाली देश एक दूसरे को लगातार सबक सिखाने की धमकियां दे रहे हैं.
दो दिन पहले दक्षिण चीन सागर में अमेरिका और चीन के युद्धपोत एक दूसरे के सामने आ गए हैं. चीनी युद्धपोतों ने अमेरिका के गाइडेड मिसाइल विध्वंसक यूएसएस बैरी पर हमला करने की नीयत से उसका पीछा किया.
MV-22 Osprey and AV/8B Harrier aircraft from Marine Attack Squadron #VMA311 and Marine Medium Tiltrotor Squadron #VMM164 launch from #USSEssex during recent flight operations in the eastern Pacific. #LHD2 #BlueGreenTeam pic.twitter.com/yrdj0mSokD
— U.S. Pacific Fleet (@USPacificFleet) April 28, 2020
इस घटना की वजह से दोनो देशों के बीच तनाव बेहद बढ़ गया है. दक्षिण चीन सागर एक व्यस्त समुद्री मार्ग है. जिसपर चीन अपना एकाधिकार चाहता है. लेकिन जापान और ताइवान जैसे देश यहां चीन को हावी नहीं होने देना चाहते. अमेरिका यहां इन देशों की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है.
अमेरिका ने चीन पर कोरोना फैलाने का भी आरोप लगाया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तो खुले तौर पर चीन को सबक सिखाने की धमकी दी है.
कोरोना वायरस अमेरिका में लाखों लोगों की जान ले चुका है. ट्रंप(Donald Trump) को शक है कि चीन ने पश्चिमी देशों को तबाह करने के लिए कोरोना वायरस अपनी लैब में बनाया है. इसलिए उन्होंने चीन को परिणाम भुगतने की धमकी दी है.
अमेरिका और चीन दुनिया की शक्ति के दो बड़े स्तंभ हैं. एक तरफ अमेरिका कोरोना के कहर से बर्बाद हो रहा है. वहीं चीन को अपने उपर हमले का खतरा सता रहा है. दोनो ही देश कोरोना के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कहर की वजह से तबाह होते हुए दिखाई दे रहे हैं. जिसका पूरा फायदा भारत को मिलना तय है.
2. पूरी दुनिया के बीच बदनाम हो गया है चीन
सिर्फ अमेरिका ही नहीं दुनिया के और भी बहुत से देश ये मानते हैं कि कोरोना वायरस प्राकृतिक नहीं है. बल्कि चीन ने इसे एक हथियार के तौर पर अपनी लैब(WuhanVirus) में विकसित किया है. जिसका मकसद अपने प्रतिद्वंदी देशों को तबाह और बर्बाद करना है.
चीन की हरकतें भी ऐसी हैं जिनसे शक पैदा होता है. अमेरिका, इटली, स्पेन, ब्रिटेन, ब्राजील समेत कई बड़े देश मांग कर रहे हैं कि जल्द से जल्द कोरोना वायरस के उद्भव के कारणों की जांच की जाए और इस संक्रमण की जड़ तक पहुंचा जाए. लेकिन चीन अपने यहां किसी को घुसने देने के लिए तैयार नहीं है. जिससे पूरी दुनिया को शक हो रहा है.
यूरोपीय संघ(Europen Union) ने भी चीन पर आरोप लगाया है कि वो कोरोना के सम्बंध में दुनिया मे गलत सूचनाएं प्रसारित कर रहा है. लेकिन ब्रिटेन में चीन के एक शीर्ष राजनयिक चेन वेन ने पूरी दुनिया के आरोपों को नकार दिया है.
दुनिया भर के विद्वान भी कोरोना वायरस को चीन की साजिश करार दे चुके हैं. जिसमें नोबेल पुरस्कार विजेता जैसे प्रतिष्ठित लोग भी शामिल हैं. लेकिन चीन अपने हठ पर अड़ा हुआ है.
ऐसा साफ तौर पर दिखाई दे रहा है कि पूरी दुनिया के देशों से चीन के संबंध खराब हो चुके हैं. हर देश चीन को गुनहगार मान रहा है. अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश तो साफ तौर पर चीन को धमकी दे रहे हैं.
वर्तमान परिस्थितियों में अमेरिका और यूरोप एक तरफ और चीन दूसरी तरफ दिखाई दे रहा है.
ऐसे में दुनिया में कभी भी जंग(World war) छिड़ सकती है. इन परिस्थितियों में भारत हमेशा की तरह तटस्थ बनाए रखेगा और युद्ध के बाद की दुनिया का केन्द्र बनकर उभरेगा.
3. भारत बन रहा है दुनिया का शक्ति केन्द्र
जहां चीन का असली चेहरा पूरी दुनिया के सामने आ रहा है. वहीं भारत की छवि अच्छे और मददगार देश की बन गई है. पीएम मोदी के नेतृत्व में विश्व का हर देश पीएम मोदी की तारीफ कर रहा है.
कोरोना संकट के दौरान भारत दुनिया के किसी भी देश की बिना स्वार्थ मदद के लिए तैयार खड़ा रहा. जिसकी वजह से उसका सम्मान बढ़ा है. खास तौर पर भारत द्वारा हाईड्रोक्सी क्लोरोक्विन(HCq) दवा सप्लाई के लिए तुरंत तैयार होने तो पूरी दुनिया भारत की मुरीद हो गई है.
भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि एक संकटमोचक की हो गई है. लगातार कई देशों ने भारत सरकार के इस कदम के प्रति आभार व्यक्त किया है. ब्राजील, इजरायल, अमेरिका और भारत के पड़ोसी देशों ने तो पीएम मोदी की जमकर तारीफ की है.
यही नहीं दुनिया के छोटे देशों की मदद के लिए भी भारत बिना किसी स्वार्थ के खड़ा है. जिसका भारत की छवि पर बेहद सकारात्मक असर दिखा है.
भारत की इसी मददगार छवि को देखते हुए 22 मई को विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) के कार्यकारी बोर्ड की पहली बैठक में विश्व स्वास्थ्य महासभा के सम्मेलन के उपरान्त भारत को प्रमुख पद प्रदान किया जायेगा. भारत को डब्ल्यूएचओ के कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष का पद दिया जा रहा है.
भारत ने एक राष्ट्र के तौर पर ही नहीं, भारतीयों ने भी पूरी दुनिया में अपनी कार्यकुशलता का झंडा गाड़ दिया है. मां भारती के पुत्र-पुत्री जहां कहीं भी हैं. वहीं से अपनी मिट्टी का सम्मान बढ़ा रहे हैं. पिछले दिनों भारतीय डॉक्टर उमा मधुसूदन का अमेरिका में जिस तरह सम्मान किया गया. वह अत्यंत गौरवशाली था.
भारत के वरिष्ठ राजनेता नितिन गडकरी ने भी संकेत दिया है कि विश्व का सत्ता समीकरण भारत की तरफ झुकता जा रहा है. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि वर्तमान में चीन के खिलाफ "बहुत नफरत" है, जिसका भारत फायदा उठा सकता है.
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को पीएम मोदी के सबसे बड़े फैन हो गए हैं. भारत की यही वैश्विक छवि हमारे देश को विश्व गुरु का पद दिलाएगी.
4. आर्थिक रुप से शक्तिशाली हो रहा है भारत
वर्तमान दुनिया का केन्द्र अर्थव्यवस्था है. अब हथियार और सेना नहीं बल्कि आर्थिक ताकत तय करती है कि दुनिया का नेतृत्व करने की क्षमता किसके पास ज्यादा है. भारत पिछले कुछ समय से पूरी दुनिया की आर्थिक गतिविधियों का केन्द्र बनता हुआ दिखाई दे रहा है.
एप्पल(Apple) और गूगल(Google) जैसी कंपनियां चीन को छोड़कर भारत में अपना भविष्य देख रही हैं. चीन द्वारा कोरोना वायरस फैलाए जाने के संदेह ने चीन की विश्वसनीयता खत्म कर दी है. जिसकी वजह से दुनिया की कई बड़ी कंपनियां वहां से बाहर निकलना चाह रही हैं. ऐसे में भारत ने इस मौके को इनकैश करने की तैयारी कर ली है. केन्द्र सरकार निवेशकों को लुभाने के लिए 'प्लग एंड प्ले' मॉडल पर तेजी से काम कर रही है. इसके लिए दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा जैसे इलाकों में कई स्पेशल इकनॉमिक जोन बनाए जाएंगे. देश के कई और राज्यों को मैन्यूफैक्चरिंग हब के तौर पर विकसित करने की तैयारी की जा रही है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप साफ तौर पर बोल चुके हैं कि अगर कोरोना वायरस फैलाने के आरोपों पर चीन ने अमेरिका के आरोपों का जवाब नहीं दिया तो वह उससे व्यापारिक संबंध खत्म कर लेंगे. यही नहीं चीन पर प्रतिबंध भी लगाया जा सकता है.
यही नहीं पिछले दिनों जब अमेरिकी कंपनियों ने यूएस डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट्स के साथ हुई सीक्रेट बैठक में चीन से अपना व्यापार समेटकर भारत ले जाने का संकेत दिया तो ट्रम्प सरकार ने उसका समर्थन किया. ये भारत के लिए बहुत अच्छी खबर है कि ट्रंप अमेरिकी कंपनियों को भारत का रास्ता दिखा रहे हैं.
5.अपनी पुरानी कमजोरियों से निजात पा चुका है भारत
कोरोना संकट ने भारत में भी सकारात्मक बदलाव किया है. पहले भारत की छवि एक ढीले ढाले और देर से फैसला लेने वाले देश की थी. लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी(PM Modi) के शासन काल में भारत की ये छवि बदल गई है.
भारत ने आंतरिक तौर पर बड़ी मजबूती हासिल की है. यहां सैन्य और नागरिक सुविधाएं अनुशासित हुई हैं. देश को संकट में डालने वाले असामाजिक तत्वों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई गई है.
पूरा देश अपने प्रधानमंत्री के पीछे पूरी तरह दृढ़ रुप से खड़ा है. देश के लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हर बात को समझते ही नहीं बल्कि उसे अमल में भी लाते हैं. भले ही वो बच्चे, बुजुर्ग या फिर जवान हों. लॉकडाउन के बीच भी पीएम मोदी ने जनता से जो जो अपील की थी, सभी ने उसे जरूर माना है. पीएम मोदी के आग्रह की सर्वस्वीकृति होने के कारण भारत कोरोना के खिलाफ लड़ाई जीतने की राह पर अग्रसर है.
पिछले दिनों जनता कर्फ्यू और लॉकडाउन के दौरान शंख,थाली बजाना और दीये जलाने की कवायद भारतीयों की प्रतिबद्धता जांचने का तरीका था. जिसपर पूरा देश खरा उतरा.
पूरी दुनिया देख रही है कि कैसै कोरोना से निपटने के लिए भारत अपने पैरों पर खड़ा हो चुका है और पूरी दुनिया के देशों को मदद प्रदान कर रहा है.
6. भारत के पुराने दुश्मन खुद ही तबाह होते जा रहे हैं
भारत जहां पूरी दुनिया में अपनी पहचान मजबूत करता जा रहा है. वहीं उसके घोषित दुश्मन पाकिस्तान, तुर्की, ईरान और मलेशिया जैसे देश तबाह होते जा रहे हैं. यही नहीं अंतरराष्ट्रीय मंचों से भारत का विरोध करने वाले ये देश अब मदद के लिए पीएम मोदी के सामने गिड़गिड़ा भी रहे हैं.
वैश्विक इस्लामी कट्टरपंथ के झंडाबरदार पाकिस्तान के साथ हाथ मिला कर मलेशिया और तुर्की ने भारत से बिना किसी वजह के शत्रुता मोल ले ली थी. लेकिन कोरोना संकट के काल में ये दोनों ही भारत के सामने दवा और मदद हासिल करने के लिए हाथ फैलाए खड़े हैं.
उधर पाकिस्तान की हालत ये है कि वहां कोरोना वायरस तेजी से फैलता जा रहा है. कट्टरपंथ का शिकार पाकिस्तान अपने ही लोगों को मौत के मुंह में जाते देख रहा है. खुद वहां की संस्था पाकिस्तान इस्लामिक मेडिकल एसोसिएशन ने बताया है कि उनके यहां कोरोना तेजी से फैल रहा है. क्योंकि यहां मस्जिदों को लॉकडाउन से बाहर रखा गया है.
कोरोना से बर्बाद हो रहे पाकिस्तान का प्रधानमंत्री मदद पाने के लिए पूरी दुनिया के आगे हाथ फैला रहा है. लेकिन कोई भी उसकी मदद करने के लिए तैयार नहीं है. जिसकी वजह से पाकिस्तान पाई पाई का मोहताज हो गया है.
तुर्की और ईरान जैसे देशों में कोरोना भारी तबाही मचा रहा है. वहां कोरोना पीड़ितों की संख्या लाखों में है और मरने वाले भी हजारों हैं. इन देशों ने अगर मजहबी कट्टरपंथ की वजह से भारत से दुश्मनी नहीं की होती तो शायद दृश्य ही कुछ और होता. भारत अपने मित्र देशों की मदद के लिए जान की बाजी लगा देता. लेकिन इन लोगों ने मदद पाने के दरवाजे अपने हाथ से बंद कर लिए.
दुनिया भर की महाशक्तियों की तबाही, दुश्मनों का अपनी मौत मरना, हमारे देश का कुशल नेतृत्व, जबरदस्त कूटनीति यह दिखाती है कि आने वाला भविष्य भारत का ही है.
हमारा प्यारा देश भारत पूरी दुनिया पर राज करने के लिए पूरी तरह तैयार है.