जहरीले टुकड़े गैंग का 'Tandav', वामपंथ के चोले में 'जिहादी'

इस्लामिक कट्टरपंथियों को ये बखूबी मालूम है कि अगर भारत (India) की राष्ट्रवादी हवा को खत्म करना है. उसे कमजोर करना है तो भारत की सनातन ढांचे तोड़ना होगा. तांडव (Tandav) जैसी फिल्मों या वेब सीरीज (Web Series) के जरिए आघात वहीं किया जा रहा है.

Written by - Rakesh Pathak | Last Updated : Jan 19, 2021, 02:22 PM IST
  • वामपंथ और इस्लामिक कट्टरपंथ का गठजोड़ खतरनाक
  • तांडव वेबसीरीज के जरिए 'हिंदू फोबिया' गढ़ने की साजिश
जहरीले टुकड़े गैंग का 'Tandav', वामपंथ के चोले में 'जिहादी'

नई दिल्ली: देश में जहर की पुड़िया लेकर घूमने वाले टुकड़े गैंग (Tukde-Tukde Gang) की एक और नफरती साजिश है वेब सीरीज (Web Series) तांडव (Tandav). देश भर में जिसके बॉयकॉट और तीखे विरोध के बाद अब इस्लामिक वामपंथियों की पतलून ढीली होने लगी है...क्योंकि केस दर्ज हो चुका है और यूपी पुलिस (UP Police) तांडव के निर्माता-निर्देशक अली अब्बास  (Ali Abbas) एंड कंपनी से पूछताछ करने निकल भी चुकी है.

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यूपी पुलिस (UP Police) की 4 सदस्यीय टीम निर्देशक अली अब्बास (Ali Abbas) एंड कंपनी से पूछताछ करेगी. ये तो हुई सनातन धर्म (Snatan Dharm) और आस्था पर वार करने के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की बात. लेकिन बात आगे की है जिसे 'क्रिएटिव टेररिज्म' का हिस्सा कहें तो गलत नहीं होगा. वेब सीरीज (Web Series) तांडव (Tandav) टुकड़े गैंग के खालिस नफरत फैलाने वाली साजिश का हिस्सा है ये बात तय हो चुकी है. इस गैंग का एजेंडा साफ है,

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सनातन धर्म पर वार करना, जातीय नफरत का फैलाना
सनातन देवी-देवताओं का अपमान करना नफरत फैलाना
हिंदू अगर विरोध करे तो असहिष्णु बताने का प्रोपेगेंडा करना

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लेकिन क्या तांडव (Tandav) जैसी वेब सीरीज (Web Series) में या हाल फिलहाल को फिल्मों में सनातन धर्म और जातीय नफरत की फैलान की ये लाइन पहली बार ली गई है? अगर ये अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है तो फिर अभिव्यक्ति की यही स्वतंत्रता इस्लामिक कट्टरपंथ, तीन तलाक, हलाला जैसे मुद्दों पर क्यों नहीं दिखती?

फ्रांस में फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन के हिमायती निर्दोष शिक्षक सैमुअल पैटी का गला रेतने की जेहादी सोच के खिलाफ क्यों नहीं दिखती? पाकिस्तान (Pakistan) में ईशनिंदा के आरोपों में किसी गैर मुस्लिम (Non-Muslim) की बर्बर हत्या के खिलाफ कोई फिल्म पर्दे पर क्यों नहीं उतारी जाती?

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इस्लामिक कट्टरपंथ पर चुप्पी, हिंदुओं की आस्था पर आघात

पाकिस्तान (Pakistan) मानवाधिकार आयोग की सालाना रिपोर्ट में 2019 में घटी घटनाओं के हवाले से पाकिस्तान में हिंदुओं-ईसाइयों-सिखों और दूसरे गैर मुस्लिमों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है. आंकड़ों बताते हैं कि इस्लामिक देश पाकिस्तान के सिंध प्रांत में गैर मुस्लिमों पर जुल्म की दास्तां अंतहीन है. ये वही प्रांत है जहां से हिंदू लड़कियों की हत्या, अपहरण, कन्वर्जन और जबरदस्ती निकाह के सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं.

मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि अल्पसंख्यकों के धर्मस्थल भी पाकिस्तान में सुरक्षित नहीं रहे. फ्रांस (France) और पाकिस्तान जैसे देशों में इस्लाम के नाम पर की जाने वाली हत्याओं या ज्यादतियों को भारत में रहनेवाले कट्टरपंथी या वामपंथी दूसरे देश का मामला बताकर कन्नी काट लेते हैं.

सच ये है कि वामपंथियों के लिए हिंदुत्व सबसे बड़ा दुश्मन है. इसलिए क्योंकि ये वो सर्वग्राह्य धारा है जो पूरे विश्व को एक परिवार के रूप में तब्दील कर देने का मंत्र जानती है. वामपंथी बखूबी जानते हैं कि अगर विवेकानंद (Vivekanand) के हिंदुत्व या भारतवर्ष के सनातन परंपरा पर घात नहीं किया गया तो विश्व में साम्यवाद का परचम लहराने का दु:स्वप्न कभी पूरा न होगा. यही बात इस्लामिक कट्टरपंथियों के साथ है. जो मुल्ला के इस्लाम के ज़रिए जिहाद को गति देने में लगे हैं.

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वामपंथ और इस्लामिक कट्टरपंथ का ये गठजोड़ मानवता के लिए खतरनाक है. दोनों ही राजनीतिक धाराएं हैं जो बर्बर तरीके से राजतंत्र चलाने की हिमायती हैं. चीन और पाकिस्तान इसके सबसे ताजा और बड़े उदाहरण हैं. चीन में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तो छोड़िए सामान्य नागरिक अधिकारों का भी गला कैसे घोंटा गया है, इसका ताजा उदाहरण कोरोना आउटबर्स्ट पर वहां के डॉक्टरों और वैज्ञानिकों का दमन है, जिन्होंने वुहान के सच को दुनिया में लाने की कोशिश की.  

'तांडव' जैसी जहरीली साजिश का जवाब 'राष्ट्रवाद'

बहरहाल, भारत (India) को तोड़ने का ख्वाब देखने वाले टुकड़े गैंग (अर्बन नक्सल) और इस्लामिक कट्टरपंथियों को ये बखूबी मालूम है कि अगर भारत की राष्ट्रवादी हवा को खत्म करना है. उसे कमज़ोर करना है तो भारत की सनातन ढांचे तोड़ना होगा. तांडव जैसी फिल्मों या वेब सीरीज के जरिए आघात वहीं किया जा रहा है.

इसके जड़ में है सनातन धर्म और जातीय नफरत का फार्मूला. टुकड़े गैंग को बखूबी मालूम है कि भारत के भीतर अगर अपने मंसूबों को अंजाम देना है तो वीर शिवाजी के बनाए उस फॉर्मूले को तोड़ना होगा जिससे शिवाजी और उनके बेटे संभाजी ने मुगल शासक औरंगजेब की चंडाल चौकड़ी की नाक में दम कर दिया था, ये बीज था राष्ट्रवाद का, क्योंकि  राष्ट्रवाद धर्म और जाति से ऊपर का मुद्दा है, राष्ट्रवाद हर धर्म और जाति को राष्ट्र गौरव से जोड़ता है.

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और अगर राष्ट्र के गौरव से हर जाति-धर्म का व्यक्ति जुड़ेगा तो टुकड़े गैंग की भारत को तोड़ने की मंशा कभी कामयाब नहीं हो पाएगी. गजवा-ए-हिंद से लेकर माओवाद तक की राजनैतिक विचारधारा के लिए भारत का राष्ट्रवाद एक बड़ी बाधा है. ज़रा ओवैसी बंधुओं की सनातनियों के खिलाफ जहरीली लाइन्स को पलट कर देख लीजिए.

हाल फिलहाल वो दलितों भाइयों के हिमायती बनते दिखते हैं. क्या ये अनायास है कि सीएए जैसे देश विरोधी अराजक कारनामों में भीम आर्मी नज़र आती है? या हाथरस कांड को जातीय दंगों में तब्दील करने की गहरी साजिश रची जाती है और पीएफआई की संलिप्तता पाई जाती है?

चंद चेहरे भर नहीं एक धूर्त और कट्टरपंथी सोच

अब एक बार फिर चले आइए उस गैंग पर जिसने ऐसा लगता है जैसे सनातन धर्म (Snatan Dharm)और आस्था पर बार वार करने की मुहिम चला रखी है. तांडव के तेज़ाबी सोच से जुड़े तीन चेहरे अहम हैं. जिनका विवादों का कनेक्शन है,

चेहरा नंबर 1- ज़ीशान अयूब (Zeeshan Ayyub), एक्टर, CAA के खिलाफ प्रदर्शनों को सपोर्ट किया, CAA पर जामिया हिंसा के पक्ष में बोला, तांडव (Tandav) वेब सीरीज में दूसरा अहम चेहरा है,

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चेहरा नंबर 2- सैफ अली खान (Saif Ali Khan), एक्टर, रावण को मानवीय गुणों वाला बताया, सीता हरण को जायज ठहराया था, बाद में बवाल होने पर मांफी मांगी

और तीसरा चेहरा है तांडव (Tandav) के निर्देशक अली अब्बास (Ali Abbas) का जिसके ऊपर सीधे आरोप हैं, कि उसने टुकड़े गैंग के हर एजेंडे फिल्म में शामिल किया, भगवान राम (Bhagwan Ram) और शिव (Shiv) का मजाक उड़ाया, फिल्म से 'हिंदू फोबिया' गढ़ने की साजिश रची, डायलॉग्स के ज़रिए जातिगत नफ़रत फैलाई

ऐसी ही एक कोशिश सहिष्णु आमिर खान भी कर चुके हैं. जिनको हिंदुस्तान में हाल फिलहाल डर लगने लगा था. क्योंकि हिंदु-देवी देवताओं के अपमान पर जब सनातन ने विरोध किया तो असहिष्णुता का राग जपने लगे थे. ऐसा लगता है जैसे फिल्में सॉफ्ट जरिया बना ली गई हैं. जिनके जरिए खुद को मॉडर्न और वामपंथी कहने वाले कट्टरपंथियों ने सनातन को तोड़ने और देश को बांटने की साजिश शुरू की है. नहीं तो टुकड़े गैंग के हर एक एजेंडे को हुबहू पर्दे पर कट कॉपी पेस्ट तो नहीं किया जाता. इसलिए ऐसे लोगों का मुकम्मिल कानूनी इंतजाम जरूरी है.

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क्योंकि लाइन पर चलकर फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन का इस्तेमाल किया जा रहा है वो देश के माहौल और पूरी व्यवस्था के खिलाफ है. ये टुकड़े गैंग का वो एक्सटेंशन है जो जेएनयू के गलियारों में घूमते हुए आतंकी अफजल गुरु के हिंदुस्तान के हर घर में पैदा होने की कामना करता है. और जाति-धर्म की नफरत फैला कर देश के टुकड़े करने की साजिश रचता है. लिहाजा सिर्फ माफी मांग लेने भर से काम नहीं चलने वाला है. ऐसे तत्वों का पक्का हिसाब जरूरी है.

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