वे धारावाहिक जिनसे रौशन है टीवी का सुनहरा दौर

लॉकडाउन के दौर में दूरदर्शन पुराने धारावाहिकों को लेकर लौटा है. रामायण-महाभारत को लोग बड़े चाव से देख रहे हैं, लेकिन बीते जमाने पर नजर डालें तो हमारी टीवी के पास हमारे लिए एक से बढ़कर एक किस्से थे दिखाने के लिए. धार्मिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक हर तरह का कंटेंट होता था. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 19, 2020, 10:22 PM IST
वे धारावाहिक जिनसे रौशन है टीवी का सुनहरा दौर

नई दिल्लीः लॉकडाउन जारी है. बाहर आप कोरोना से लड़ रहे हैं और अंदर रह-रहकर बाहर आने को मचल रहे हैं, ऐसे में दूरदर्शन इस समय का बेहतरीन साथी बना हुआ है. रामायण-महाभारत तो आप देख ही रहे है. लेकिन 80-90 के दशक ने जब टीवी को आम लोगों तक पहुंचाया तो कई बेहतरीन धारावाहिकों की सौगात मिली. यानी रामायण-महाभारत के अलावा भी टीवी के जखीरे में काफी कुछ था. डालते हैं एक नजर-

विक्रम और बेतालः यहीं से शुरू करते हैं
साल था 1985 और सागर साहब टीवी पर शुरुआत के बारे में सोच रहे थे. रामायण का खाका तो पहले से ही था. लेकिन पहले कहानी सामने आई विक्रम और बेताल की. महाकवि सोमदेव भट्ट ने लिखी थी बेताल पचीसी. इसी कहानी को छोटे परदे पर उकेरा गया. बच्चों ने  राजा विक्रमादित्य के बेचाल से पंगे लेने वाले जज्बे को काफी सराहा.

विक्रम थे खुद अरुण गोविल, जो कि बाद में राम बने. बेताल को ले जाने का सिलसिला 25 रातों तक चलता है. कुछ दिन पहले ही सामने आया कि यह सीरियल रामायण का ट्रायल था. इसलिए इसमें अरुण गोविल, दीपिका और सुनील लहरी को कास्ट किया गया था. 

भारत एक खोजः उस समय का सबसे उम्दा सीरियल
1988 में निर्देशक श्याम बेनेगल का बनाया यह पीस आज तक उम्दा और अनोखा है. पहले पीएम रहे जवाहरलाल नेहरू की लिखी ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ को श्याम बेनेगल ने कलात्मकता और संजीदगी के साथ परदे पर पेश किया. एक तरह से देखें तो उन्होंने भारत के पांच हज़ार सालों का इतिहास महज़ 53 एपिसोड में बेहद सजीवता के साथ समेट दिया था.

सिंधु घाटी सभ्यता, वैदिक काल, रामायण-महाभारत, चाणक्य, चंद्रगुप्त, संगम काल, तमाम साम्राज्य और सल्तनत से होते हुए आप आज के भारत तक पहुंचते हैं, जहां खड़े हैं. रोशन सेठ ने नैरेटर जवाहरलाल नेहरू का का किरदार निभाया था. 

चंद्रकांताः छोटे पर्दे पर हिंदी उपन्यास 
नीरजा गुलेरी ने अचानक ही टीवी का कलेवर बदल दिया. वह ईश्वर दर्शन से सीधे राजा-रानी और रंजिश की कहानी ले आए और इसके लिए चुना, हिंदी साहित्य की प्रसिद्ध कहानी चंद्रकांता को. ऐयारियों की जासूसी वाली चमात्कारिक कहानी ने दर्शकों को अचंभित कर दिया.  नौगढ़-विजयगढ़ कि दुश्मनी, चुनारगढ़ में रची जा रही साज़िशों का दर्शक काफी इंतजार था.

दर्शकों ने सब हाथों-हाथ लिया. पंडित जगन्नाथ, जांबाज़, शिवदत्त, तेज सिंह, सूर्या, क्रूर सिंह, आमिर-नाज़िम-अहमद जैसे किरदार लोगों की ज़ुबान पर चढ़ गए. यादों में बस गए. महाभारत के भीष्म( जांबाज) और कर्ण (शिवदत्त) भी इसमें नजर आए थे. एक समय देवकीनंदन खत्री के इस उपन्यास पढ़ने के लिए लोगों ने हिंदी सीखी थी

जानिए, आज कहां हैं और क्या कर रहे हैं टीवी के राम-सीता के दोनों बेटे

अलिफ-लैलाः एक बार और आए रामानंद सागर
यह शो 1993-97 तक दूरदर्शन पर प्रसारित हुआ था. 'रामायण' के बाद रामानंद सागर प्रोडक्शन का यह दूरदर्शन पर दूसरा सीरियल था, जो काफी पॉपुलर हुआ. अलिफ लैला 'अरेबियन नाइट्स' किताब की कहानियों पर आधारित अलिफ लैला में रहस्य और जादुई दुनिया को दिखाया गया था. इसे इस दौर के बच्चों ने काफी पसंद किया था.

अली बाबा चालीस चोर, अलादीन का चिराग और भी बेहद प्रसिद्ध कहानियां इसी अरेबियन नाइट्स का हिस्सा हैं. दरअसल यह एक बादशाह और उसकी बेगम की कहानी है. बेगम, शादी की रात राजा को कहानी सुनाना शुरू करती है. 

मालगुड़ी डेजः आरके नारायण की उम्दा कहानियां
दक्षिण भारत को छोटे पर्द पर उकेरने वाला यह सीरियल अब भी कई आंखों में जीवंत है. आर.के.नारायण की कहानियां इसका प्लॉट थी. साउथ इंडिया का काल्पनिक कस्बा मालगुडी, यहां रहने वाला स्वामी, उसके दोस्त मणि और राजम की कहानियां जनता का मन भी बहलाती रहीं.

इसमें स्वामी का किरदार निभाकर मंजुनाथ काफी प्रसिद्ध हुए थे. बाद में उन्होंने अग्निपथ में अमिताभ बच्चन के बचपन का किरदार निभाया. 

जानिए, आखिर इस सीन के बाद क्यों घंटों तक रोईं थीं 'रामायण' की कैकेयी

 

 

 

ट्रेंडिंग न्यूज़