CAA पर बोला अमेरिका - अल्पसंख्यकों के अधिकारों का ध्यान रखें

काफी इंतज़ार के बाद आया अमेरिका का CAA पर बयान, कही बीच की बात   

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 19, 2019, 12:51 PM IST
    • अमेरिका ने कहा -अल्पसंख्यकों के अधिकारों का ध्यान रखें
    • आ गया अमेरिका का बीच का मत
    • अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत का नागरिकता क़ानून
    • अप्रत्यक्ष रूप में फ्रांस और जर्मनी ने समर्थन किया
    • अमेरिका ने कहा भारत ने नागरिकता और धार्मिक आजादी पर मजबूत बहस छेड़ी है.
CAA पर बोला अमेरिका - अल्पसंख्यकों के अधिकारों का ध्यान रखें

वाशिंगटन. अमेरिका यूनाइटेड नेशंस की बड़ी आवाज़ों में एक है. देखा गया है कि संयुक्त राष्ट्र ने प्रायः भारत के कदमों पर सीधा सकारात्मक रुख नहीं दिखाया है, चाहे बात कश्मीर मुद्दे की हो, धारा 370 की हो या नागरिकता क़ानून की. किन्तु अमरीकी चतुराई हमेशा इस बात से जाहिर होती रही है कि वह भारत का कभी कभी विरोध करके भी ज्यादातर उसका समर्थन करता रहा है.

आ गया अमेरिका का अंतर्राष्ट्रीय मत

वैश्विक नेताओं का भारत के नागरिकता क़ानून पर अपना अपना अभिमत जानना दिलचस्प होगा क्योंकि भारत भी विश्व के गणमान्य राष्ट्रों में एक है और मोदी वैश्विक नेताओं में एक. अमेरिका ने आखिर अपना मौन तोडा़और नागरिकता क़ानून पर अपने विचार भारत के सामने प्रस्तुत किये. अमेरिका ने इस क़ानून का न विरोध किया न समर्थन. उसने कहा कि उम्मीद है अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन नहीं होगा.  

अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत का नागरिकता क़ानून

 वैश्विक मंचों पर भारतीय नागरिकता क़ानून 2019 को मिला-जुला समर्थन प्राप्त हुआ है. यूरोपियन यूनियन ने पहले ही कह दिया है कि हमें आशा है कि इस क़ानून में समानता के सिद्धांत का ध्यान रखा जाएगा.  यूनाइटेड नेशंस ने थोड़ी सी नाक-भौं ज़रूर सिकोड़ी थी, पर उनके स्पष्ट विरोध का कोई स्वर मुखर नहीं हुआ है. 

भारत के मित्र देशों का विचार     

भारत के प्रमुख मित्रों में एक फ्रांस ने साफ़ तौर पर कह दिया है कि यह भारत का आंतरिक मामला है, इस पर हम कोई दखल नहीं देंगे. इसी तरह जर्मनी ने भी भारत के इस नए क़ानून पर कोई वक्तव्य जारी करना ज़रूरी नहीं समझा. चीन ने भी पहले तो पाकिस्तान समर्थक रुख दिखाया फिर साफ़ तौर पर इस विवाद से अपने आपको बाहर कर लिया.

अमेरिकी विदेश मंत्री ने रखा अमेरिका का विचार  

भारत के इस नए क़ानून का अमेरिका ने भी विरोध नहीं किया किन्तु राजनीतिक चतुराई दिखाने से अमेरिका फिर बाज नहीं आया. उसने बीच का बयान दिया है. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि हम भारतीय लोकतंत्र का सम्मान करते है और भारत ने अपने देश में नागरिकता और धार्मिक आजादी जैसे मुद्दों पर मजबूत बहस छेड़ी है.

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