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नई दिल्ली: e-Shram Card: असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले करोड़ों कामगारों के लिए मोदी सरकार ने ई-श्रम पोर्टल (e-shram Portal) लॉन्च किया. इस पोर्टल पर अब तक 2 करोड़ से अधिक श्रमिक रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं. ई-श्रम कार्ड बनवाने वालों की इस समय जन सेवा केंद्रों पर भारी भीड़ उमड़ रही है. कार्ड बनावाने वालों की संख्या की वजह से से सर्वर पर भारी लोड के कारण लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. कई लोगों को आधार नंबर और कैप्चा कोड डालने के बाद भी Currently experiencing heavy traffic, Please try after sometime का मैसेज आ रहा है. अगर आपको भी ऐसा मैसेज आ रहा है तो हम आपको एक ऐसा तरीका बताने जा रहे हैं, जिसकी मदद से आसानी से आप ई-श्रम कार्ड बना पाएंगे.
ई-श्रम कार्ड बनाने के लिए एक बार इस ट्रिक को अपना कर देखिए. इसके लिए आप रात को 12 बजे से सुबह तक ई-श्रम पोर्टल खोलिए. ये काम आप अपने घर पर लैपटॉप या मोबाइल पर ही कर सकते हैं. सबसे पहले आप ई-श्रम पोर्टल https://www.eshram.gov.in/ खोलिए. यहां आपको रजिस्ट्रेशन करना होगा, जिसके लिए आधार नंबर डालना पड़ेगा. आधार नंबर डालते ही वहां के डाटा बेस से कामगार की सभी जानकारियां अपने आप पोर्टल पर सामने दिख जाएंगी. आपको अपने बैंक की जानकारी के साथ मोबाइल नंबर समेत दूसरी जरूरी जानकारियां भरनी होंगी. इस ऑनलाइन फॉर्म को आगे अपडेट भी किया जा सकेगा.
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केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय असंगठित क्षेत्र के करीब 38 करोड़ मजदूरों के लिए 12 अंकों का यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) और ई-श्रम कार्ड जारी करेगा, जो पूरे देश में मान्य होगा. ई-श्रम कार्ड से देश के करोड़ों असंगठित कामगारों को एक नई पहचान मिलेगी. ये श्रम कार्ड भविष्य में उन्हें सरकार के सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का फायदा देने में मदद करेगा. इस पोर्टल पर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स, प्रवासी मजदूर, रेहड़ी-पटरी वाले अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं.
देश में असंगठित क्षेत्र के तीन-चार तरह के श्रमिक या मजदूर काम करते हैं, जिन्हें काफी मदद की जरूरत है. इसमें ग्रामीण इलाकों में खेती के काम या मेहनत मजदूरी करने वाले, दूसरे जो शहरों आदि में घरों में काम करते हैं. वहीं तीसरे वो जो खुद का रोजगार करते हैं, जैसे- रेहड़ी, पटरी वाले. इसके अलावा कंस्ट्रक्शन के काम में लगे मजदूर को भी सामाजिक सुरक्षा की जरूरत है. कोरोना काल में कई स्कीमें चलाई गई, लेकिन उस वक्त समस्या ये थी कि किस मजदूर या श्रमिक तक मदद पहुंच पाएगी या नहीं, इसके लिए कोई डाटाबेस नहीं या रिकॉर्ड नहीं था. ऐसा इसलिए क्योंकि ये मजदूर एक जगह नहीं रहते हैं. जहां काम मिलता है वहां चले जाते हैं.
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