भारतीय रेलवे का कमाल, देश का पहला स्मार्ट पार्सल वैन तैयार; जानिए क्या है इसकी खासियत
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भारतीय रेलवे का कमाल, देश का पहला स्मार्ट पार्सल वैन तैयार; जानिए क्या है इसकी खासियत

कोच के अंदर स्टेनलेस स्टील का उपयोग किया गया है ताकि पार्सल किसी भी तरह का हो सुरक्षित महफूज रहे. इसकी लागत 1 करोड़ 74 लाख रुपये आई है.

एलएचबी पैसेंजर कोच की तरह एलएचबी पार्सल रेक को तैयार किया गया है.

नई दिल्ली: भारतीय रेलवे ने देश का पहला स्मार्ट उच्च क्षमता वाला पार्सल वैन तैयार कर लिया है. यह पार्सल वैन कपूरथला रेल कोच फैक्ट्री में बनाया गया है. अब राजधानी, शताब्दी जैसी ट्रेनों में भी स्मार्ट पार्सल वैन वाले रैक के जरिये तेजी से देशभर में पार्सल को रेलवे पहुंचा सकेगा. 

एलएचबी पैसेंजर कोच की तरह एलएचबी पार्सल रेक को तैयार किया गया है. कोच के अंदर स्टेनलेस स्टील का उपयोग किया गया है ताकि पार्सल किसी भी तरह का हो सुरक्षित महफूज रहे और किसी भी तरह की उसकी क्वालिटी में लाने ले जाने के दौरान नुकसान ना हो. 

यात्री कोच की तरह इस पार्सल रेक को बनाया गया है. यानी जितनी जगह एलएचबी पैसेंजर कोच में होती है, उससे कहीं ज्यादा जगह इस स्मार्ट पार्सल रेक में होगी. स्मार्ट पार्सल रेक में स्टेट ऑफ आर्ट डिजाइन विद आरएफआईडी यानी रेडियो फ्रिकवेंसी आईडेंटिफिकेशन टैग से लैस किया गया है जिससे आसानी से इस रेक को ट्रैक किया जा सकेगा कि वह किस वक्त कहां पर है यानी किसी का भी पार्सल जा रहा है तो रेलवे को अब यह बताने में आसानी होगी की पर्टिकुलर पार्सलवाला यह किस जगह पर पहुंचा है या फिर किस जगह पर खड़ा हुआ है. 

कपूरथला रेल कोच फैक्ट्री के इंजीनियरों के मुताबिक स्मार्ट पार्सल रेक कॉमर्स इंडस्ट्री में एक बड़ा फायदा लाएगा. इसकी खासियत यह है कि इसको इस तरह से तैयार किया गया है कि जो देश की सबसे तेज दौड़ने वाली ट्रेनें हैं जिसमें राजधानी शताब्दी या फिर गतिमान की तरह जो ट्रेनें हैं उन ट्रेनों में भी यह जोड़ा जा सकेगा. 

अमूमन अभी तक जो परंपरागत पार्सल रेक होते हैं उनको पर्टिकुलर ट्रेन में ही लगाया जा सकता है. राजधानी शताब्दी के जितनी उनकी स्पीड से दौड़ने की क्षमता नहीं होती है. लिहाजा अब रेलवे को एक बड़ा फायदा होगा ना सिर्फ रेलवे को बल्कि जिन लोगों का पार्सल जाता है उनका पार्सल वक्त पर देशभर में एक शहर से दूसरे शहर पहुंचेगा.

रेलवे को मुनाफा यह होगा कि उसका ज्यादा कैपेसिटी वाला पार्सल रैक तैयार हुआ है जिसमें अब 24 टन पार्सल की कैपेसिटी होगी. पहले परंपरागत जो पार्सल रैक होते थे. उनमें 23 टन की थी लिहाजा ना सिर्फ इसकी कैपेसिटी ज्यादा है बल्कि इसकी डिजाइन में भी कई बदलाव करके इसको इस लिहाज से तैयार किया गया है कि जो भी पार्सल का सामान है, वह जैसे का तैसा उसी हालत में गंतव्य तक पहुंचे. 

इसके लिए अंदर के पूरे इंटीरियर को बदला गया है. रेल कोच फैक्ट्री के इंजीनियर नितिन चौधरी के मुताबिक कपूरथला रेल कोच फैक्ट्री से यह पहला पार्सल रैक बनकर अभी तैयार हुआ है और इसकी खासियत को देखते हुए और इसके फायदे को देखते हुए अब रेलवे में इसी तरह के स्मार्ट पार्सल रैक लगाए जाएंगे. 

कपूरथला रेल कोच फैक्ट्री इसका उत्पादन आने वाले दिनों में बड़े पैमाने पर करने जा रही है. नितिन चौधरी के मुताबिक नया स्मार्ट पार्सल एक साल के समय में ही अपनी लागत वसूल लेगा. इसके एक स्मार्ट पार्सल रैक पर अभी एक करोड़ 74 लाख की लागत आ रही है. रेलवे बोर्ड के मेंबर और कपूरथला रेल कोच फैक्ट्री के जनरल मैनेजर ने आज इस पहले पार्सल रैक का निरीक्षण किया और इस को आगे बढ़ाने के लिए मंजूरी दे दी. 

इसकी दूसरी खासियत की बात करें तो स्मार्ट पार्सल देखकर अंदर फोल्डेबल टू टीयर लगेज रैक बनाया गया है. स्लाइडिंग डोर लगाई गई हैं किसी भी तरह से एक्सीडेंटल फायर को रोकने के लिए डमी सॉकेट्स का प्रयोग किया गया है. स्लाइडिंग मेन डोर दोनों तरफ लगाए गए हैं जिससे पार्सल की रैपिड लोडिंग अनलोडिंग आसानी से हो सकेगी. 

रेलवे का फोकस माल ढुलाई से होने वाली आमदनी पर पर ज्यादा होता जा रहा है क्योंकि घाटे में चल रही रेलवे का प्लान है किस फ्रैट से ज्यादा अर्निंग की जा सकती है. लिहाजा डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर भी देशभर में इसीलिए बनाए जा रहे हैं और अब ज्यादा पार्सल की आवाजाही के लिए यही हाई कैपेसिटी पार्सल बैन लगाए जा रहे हैं. यानी आने वाले दिनों में कम से कम कॉमर्स इंडस्ट्री को इसका बड़ा फायदा पहुंचेगा और पार्सल की ढुलाई ज्यादा होने से रेलवे को उम्मीद है कि उसका मुनाफा भी बढ़ेगा और उसकी निर्भरता यात्री किराए से होने वाली आमदनी पर कम हो सकेगी. 

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