रवि किशन इससे पहले कांग्रेस के टिकट पर जौनपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ चुके. हैं. हालांकि उन्हें चुनाव में बुरी तरह से हारना पड़ा था. 2017 में रवि किशन बीजेपी में शामिल हो गए थे.
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नई दिल्ली: बीजेपी ने भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार रवि किशन को गोरखपुर से लोकसभा चुनाव मैदान में उतारने की घोषणा की है. एक तरफ जहां भोजपुरी जुबलीस्टार दिनेशलाल यादव यूपी के आजमगढ़ से बीजेपी के लिए चुनाव लड़ेंगे, वहीं अब रवि किशन भी चुनावी मैदान में पूरी तरह से उतर चुके हैं. हालांकि यह रवि किशन के लिए पहले बार नहीं होगा, क्योंकि इससे पहले भी रवि किशन चुनाव लड़ चुके हैं. रवि किशन इससे पहले कांग्रेस के टिकट पर जौनपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ चुके. हैं. हालांकि उन्हें चुनाव में बुरी तरह से हारना पड़ा था. 2017 में रवि किशन बीजेपी में शामिल हो गए थे.
इतिहास कोई एक दिन में नहीं रचता बल्कि उसकी नींव काफी पहले पड़ गई होती है. देश की लगभग हर भाषा की फिल्मों में अभिनय कर चुके रवि किशन की गिनती देश के उन गिने चुने कलाकारों में होती है, जिन्होंने काफी संघर्ष के बाद न सिर्फ मंजिल पाई, बल्कि देश के कोने-कोने में उनकी भाषा में अपनी आवाज बुलंद की. वह आज भोजपुरी फिल्मों के महानायक हैं. यही नहीं, हिंदी, दक्षिण भाषाई फिल्मों सहित अन्य भाषाई फिल्मों में भी छाए रहते हैं. इतिहास गवाह है कि हर सफलता की नींव काफी पहले रख दी जाती है. कुछ ऐसा ही है अभिनेता रवि किशन के साथ.
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17 जुलाई को उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के केराकत तहसील के छोटे से गांव वराई विसुई में पंडित श्याम नारायण शुक्ला व जड़ावती देवी के घर 49 साल यानी 17 जुलाई 1969 को एक किलकारी गूंजी जिनकी गूंज आज दुनिया के कोने-कोने में हर क्षेत्र में सुनाई दे रही है. 17 जुलाई को जन्में बालक रविंद्र नाथ शुक्ला आज का रवि किशन हैं, जिनकी उपलब्धि को कुछ शब्दों में या कुछ पन्नों में समेटा नहीं जा सकता. रवि किशन को अभिनय का शौक कब हुआ, उन्हें खुद याद नहीं है़. लेकिन रेडियो में गाने की आवाज इनके पैर को थिरकने पर मजबूर कर देती थी. कहीं भी शादी हो, अगर बैंड की आवाज उनके कानों में गई तो वो खुद को कंट्रोल नहीं कर पाते थे. यही वजह है जब नवरात्र की शुरुआत हुई, तो उन्होंने पहली बार अभिनय की ओर कदम रखा.
deviyon ki Pooja sampann hui aur ees Roop में नवरात्र मैंने अपने ghar मनाया Jai maata दी Jay श्री राम pic.twitter.com/x6Wu4cu2Sy
— Ravi Kishan (@ravikishann) April 13, 2019
गांव के रामलीला में उन्होंने माता सीता की भूमिका से अभिनय की शुरुआत की. उनके पिताजी पंडित श्यामनारायण शुक्ला को यह कतई पसंद नहीं था कि उनके बेटे को लोग नचनियां-गवैया कहें, इसीलिए मार भी खानी पड़ी पर बालक रविंद्र के सपनों पर इसका कोई असर नहीं पड़ा. मां ने अपने बब्बू (घर का नाम) रविंद्र के सपनों को पूरा करने का फैसला किया और कुछ पैसे दिए और इस तरह अपने सपनों को साकार करने के लिए रविंद्र नाथ शुक्ला मुंबई पहुंच गए. मां मुम्बा देवी की नगरी काफी इम्तिहान लेती है़. गांव का रविंद्र नाथ शुक्ला यहां आकर रवि किशन तो बन गया, पर मंजिल आसान नहीं थी. संघर्ष के लिए पैसों की जरूरत थी, इसीलिए उन्होंने सुबह-सुबह पेपर बांटना शुरू कर दिया आज जिन अखबारों में उनके बड़े-बड़े फोटो छपते हैं, कभी उन्हीं अखबारों को सुबह-सुबह वह घर-घर पहुंचाया करते थे.
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यही नहीं, पेपर बेचने के अलावा उन्होंने वीडियो कैसेट किराए पर देने का काम भी शुरू कर दिया. इन सबके बीच बांद्रा में उन्होंने पढ़ाई भी जारी रखी. पुरानी मोटरसाइकल से वे अपना फोटो लेकर इस ऑफिस से उस ऑफिस भटकते रहते थे और जब पेट्रोल के पैसे नहीं रहते तो पैदल ही घूम-घूमकर निर्माता निर्देशकों से मिलते रहते थे. कहते हैं परिश्रम कभी व्यर्थ नहीं जाता है. रवि किशन की मेहनत रंग लाई और उन्हें काम मिलना शुरू हो गया. पर जिस नाम और पहचान की तलाश में वे मुंबर्इ आए थे, उसकी खोज जारी रही. इस दौरान उनके जीवन में उनकी धर्मपत्नी प्रीति किशन का आगमन हुआ. उनकी किस्मत से रवि किशन की मेहनत के गठजोड़ ने रवि किशन को लोकप्रियता देनी शुरू कर दी और जब उनकी बेटी रीवा उनके जीवन में आई, तो काम और नाम दोनों में काफी इजाफा होना शुरू हुआ.
— Ravi Kishan (@ravikishann) April 10, 2019
कई हिंदी फिल्मों में काम के बाद भी रवि किशन को उतनी पहचान नहीं मिल पाई जिसकी तलाश में वे मुंबई की गलियों में भटक-भटककर खुद का वजूद ढूंढते थे. दूरदर्शन के एक धारावाहिक हेलो इंस्पेक्टर से उन्होंने अपनी पहचान बनानी शुरू की, लेकिन शायद भोजपुरी इंडस्ट्री को किसी ऐसे अभिनेता की तलाश थी, जो उन्हें नवजीवन दे सके और हुआ भी ऐसा ही. कई हिंदी फिल्मों का निर्माण कर चुके निर्देशक मोहनजी प्रसाद ने भोजपुरी फिल्म निर्माण करने का फैसला किया और रवि किशन को अपनी पहली फिल्म 'सैयां हमार' में बतौर हीरो लॉन्च किया. इस फिल्म ने न सिर्फ बरसों से शांत पड़े भोजपुरी फिल्म जगत को जिंदा किया, बल्कि इसके साथ ही उदय हुआ भोजपुरी के नए सुपरस्टार रवि किशन का. इस फिल्म के बाद रवि किशन ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा. आज वे 300 से भी अधिक भोजपुरी फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं और देश दुनिया में भोजपुरी चेहरा बनकर उभरे हैं. इस दौरान उन्होंने कई टेलीविजन शो में भी नजर आए.