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नई दिल्ली: यूपी ने एक से एक कद्दावर नेता, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तक दिए हैं. लेकिन यहां पर एक ऐसा मुख्यमंत्री भी हुआ है जिसकी नाकामी के किस्से राजनीतिक हलकों में बेहद मशहूर रहे. जबकि इस नेता ने अपने जीवन में कई ऐसे कठिन फैसले लिये जिन्हें लेना आसान नहीं था. बात हो रही है कि जनसंघ के नेता रहे रामप्रकाश गुप्ता की, जिन्हें बीजेपी ने 1999 में तब सीएम बनाया था पार्टी के नेताओं के बीच खासी कलह चल रही थी.
भले ही बीजेपी ने उम्र का हवाला देकर अपने कई वरिष्ठ नेताओं को घर बैठा दिया हो लेकिन एक समय ऐसा भी था जब इसी पार्टी ने 76 साल के रामप्रकाश गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाया गया था. राजनीति का उनका लंबा अनुभव था. चौधरी चरण सिंह की सरकार में उप-मुख्यमंत्री भी रह चुके थे, इसके बाद भी बतौर सीएम उन्हें नाकाम ही माना गया और उनकी गिनती कमजोर मुख्यमंत्रियों में हुई.
तबादलों का दौर देखना हो तो रामप्रकाश गुप्ता का कार्यकाल इसका अच्छा उदाहरण हो सकता है. उनके सीएम बनने के 3 महीने के अंदर ही साढ़े तीन सौ से ज्यादा अफसरों के ट्रांसफर किए गए, वो बात अलग है कि ये सारे ट्रांसफर रामप्रकाश गुप्ता ने अपनी ही पार्टी के नेताओं के कहने पर किए थे. हालात यह थे कि उन्नाव जिले में 40 दिन में 5 कलेक्टर बदल गए. वहीं श्रावस्ती के डीएम बिहारी लाल का 1 महीने में 6 बार ट्रांसफर किया गया.
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रामप्रकाश गुप्ता की नाकामी की एक और बड़ी वजह उनकी भूलने की बीमारी थी. इस कारण वे कई बार कुछ का कुछ बोल जाते थे. सेक्रेटरी बार-बार उनको स्पीच याद कराते पर गुप्ता वही बोलते जो मुंह से निकल जाता. एक बार तो हद ही हो गई. जब प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भाजपा की इमेज सुधारने की कोशिशों में जुटे थे. तब ही गुप्ता ने अपने भाषणों में ऐसे बयान दिए जिस पर मायावती ने खासे तंज कसे. मायावती ने कहा कि- 'बेचारे गुप्ता जी हमेशा भूल जाते हैं कि उन्हें क्या कहना है. उनको अयोध्या पर भाजपा के विचारों को न बोलने के लिए कहा गया होगा. पर इन्होंने साफ-साफ बोल दिया.' यह बात मायावती ने रामप्रकाश गुप्ता के उस बयान पर कही थी जिसमें उन्होंने कहा था, 'राम मंदिर का निर्माण सरकार के एजेंडे में ना हो, पर भाजपा के एजेंडे में जरूर है.'
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सीएम रहते हुए रामप्रकाश गुप्ता अपने मंत्रिमंडल के मंत्रियों तक के नाम भूल जाते थे. इस कारण उनके ही एक मंत्री प्रेम प्रकाश सिंह ने यहां तक कह दिया था कि यदि इतना भुलक्कड़ इंसान मुख्यमंत्री बनेगा तो राज्य में कुछ भी हो सकता है.
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रामप्रकाश गुप्ता को ज्योतिष शास्त्र और हस्तरेखा में खासी रुचि थी. इमरजेंसी के दौरान जब रामप्रकाश गुप्ता और उस वक्त के जिला स्तर के कार्यकर्ता राजनाथ सिंह एक ही जेल में बंद थे. तब रामप्रकाश गुप्ता ने राजनाथ सिंह का हाथ देख कर भविष्यवाणी की थी कि तुम मुख्यमंत्री जरूर बनोगे. इत्तेफाक देखिए कि जब 20 अक्टूबर 2000 को रामप्रकाश गुप्ता ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया तो उनके बाद राजनाथ सिंह ही सीएम बने थे.
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