कांग्रेस ने AAP के साथ गठबंधन से किया इनकार, त्रिकोणीय लड़ाई में BJP को फायदा होगा: केजरीवाल
उनका यह बयान तब आया है जब उन्होंने एक दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत विपक्षी नेताओं के साथ एक बैठक में भाग लिया.
- एक दिन पहले राहुल गांधी के साथ केजरीवाल एक साथ पहली बार दिखे
- आप की गठबंधन को लेकर उत्सुकता पर बोले, इससे बीजेपी को लाभ होगा
- दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल मुद्दे पर रखी अपनी राय
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नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बृहस्पतिवार को कहा कि कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन से ‘‘काफी हद तक’’ इनकार कर दिया है. उनका यह बयान तब आया है जब उन्होंने एक दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत विपक्षी नेताओं के साथ एक बैठक में भाग लिया. कांग्रेस के साथ गठबंधन पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उसने आप के साथ गठबंधन से ‘‘काफी हद तक’’ इनकार कर दिया है. यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के लिए आप ज्यादा उत्सुक हैं, इस पर उन्होंने कहा कि त्रिपक्षीय मुकाबले से भाजपा को फायदा मिलेगा.
गौरतलब है कि लोकसभा चुनावों के लिए संयुक्त भाजपा रोधी मोर्चे पर आगे बढ़ते हुए राहुल गांधी और ममता बनर्जी समेत विपक्ष के शीर्ष नेता मोदी सरकार को सत्ता से बाहर करने तथा चुनाव पूर्व गठबंधन बनाने पर विचार करने के लिए साझा न्यूनतम कार्यक्रम तैयार करने के वास्ते एक साथ मिलकर काम करने पर बुधवार को राजी हुए. राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने यहां अपने आवास पर बैठक की मेजबानी की. बैठक में कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी और केजरीवाल पहली बार एक साथ दिखे.
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दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल
इससे पहले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सेवाओं के नियंत्रण से संबंधित विवादास्पद मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का खंडित फैसला ‘‘संविधान और लोकतंत्र’’ के खिलाफ होने का दावा करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बृहस्पतिवार को कहा कि आप सरकार इसका कानूनी उपाय तलाश करेगी.
शीर्ष न्यायालय के फैसले के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार आप सरकार के कामकाज में बाधा उत्पन्न कर रही है. केजरीवाल ने कहा, ‘‘फैसला संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ है. हमलोग इसका कानूनी उपाय तलाश करेंगे.’’ उन्होंने यह भी कहा कि यह दिल्ली की ‘‘जनता के साथ अन्याय’’ है.
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न्यायमूर्ति एके सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की दो सदस्यीय पीठ हालांकि भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी), जांच आयोग गठित करने, बिजली बोर्डों पर नियंत्रण, भूमि राजस्व मामलों और सरकारी वकीलों की नियुक्ति से संबंधित विवादों पर उनके विचारों से सहमत दिखी. शीर्ष अदालत ने केंद्र की अधिसूचना का भी समर्थन किया कि उसके कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार के मामलों में दिल्ली सरकार की एसीबी जांच नहीं कर सकती है. खंडित फैसले के बाद मामला बड़ी पीठ को भेज दिया गया.
(इनपुट: एजेंसी भाषा)