JNU देशद्रोह मामला: कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को लगाई फटकार, कहा- चार्जशीट में जल्दबाजी क्यों?
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JNU देशद्रोह मामला: कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को लगाई फटकार, कहा- चार्जशीट में जल्दबाजी क्यों?

दिल्ली पुलिस लैपटॉप में वो वीडियो लेकर पहुंची थी, लेकिन जज ने कहा वो वीडियो देख लेंगे. मामले की अगली सुनवाई 29 मार्च को होगी. 

फाइल फोटो

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में कथित देशद्रोह मामले में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने सोमवार (11 मार्च) को एक बार फिर दिल्ली पुलिस को राज्य सरकार की अनुमति लिए बिना आरोप पत्र दायर करने के लिए फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार की परमिशन अगर नहीं मिलनी थी तो चार्जशीट फाइल करने में इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई गई? 

सुनवाई के दौरान चीफ पब्लिक प्रॉसिक्यूटर की तरफ से कहा गया कि फाइल प्रोसेस में है और अभी दो से तीन महीने लगेंगे. कोर्ट ने कहा कि पहले हम वीडियो देखेंगे उसके बाद फैसला करेंगे. इस मामले पर अगली तारीख 29 मार्च की गई है. पिछली तारीख पर कोर्ट ने वो वीडियो देखने के लिए बोला था, जिसमे कन्हैया कुमार उस भीड़ में मौजूद दिख रहा है, जहां देश विरोधी नारे लग रहे थे. आज दिल्ली पुलिस लैपटॉप में वो वीडियो लेकर पहुंची थी, लेकिन जज ने कहा वो वीडियो देख लेंगे. 

आपको बता दें कि पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि हम वीडियो देखेंगे और अगर सरकार अनुमति नहीं देगी, तो भी हम 11 मार्च को सबूत का वीडियो देखकर कार्रवाई करेंगे. इससे पहले कोर्ट ने दिल्ली सरकार द्वारा याचिका को अनुमति न मिलने पर नाराजगी जाहिर की थी. कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि वह फाइल पर बैठ नहीं सकती है. कोर्ट ने सवाल किया था कि अब तक दिल्ली सरकार ने इसे मंजूरी क्यों नहीं दी, इसके पीछे वजह क्या है? सरकार इस पर अपना रुख स्पष्ट करें.

 

9 फरवरी 2016 को आयोजित हुआ था कार्यक्रम
पुलिस ने जेएनयू परिसर में नौ फरवरी 2016 को आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर भारत विरोधी नारे लगाने को लेकर दायर 1200 पन्ने के आरोपपत्र में विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को भी आरोपी बनाया है. पुलिस ने अदालत में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और अन्य के खिलाफ 1200 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल करते हुए कहा था कि वह परिसर में एक कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहे थे और उन पर फरवरी 2016 में विश्वविद्यालय परिसर में देश विरोधी नारों का समर्थन करने का आरोप है.

पूरे घटनाक्रम पर एक नजर
9 फरवरी, 2016 : संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरू को फांसी पर लटकाये जाने के तीन साल पूरा होने के मौके पर जेएनयू परिसर में मार्च.
10 फरवरी 2016 : जेएनयू प्रशासन ने इस मामले में अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश दिया.
11 फरवरी 2016 : दिल्ली पुलिस ने भाजपा सांसद महेश गिरि और आरएसएस के छात्र संगठन एबीवीपी की शिकायतों के बाद अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया.
12 फरवरी 2016 : कन्हैया कुमार की गिरफ्तारी, छात्रों में भारी रोष.
12 फरवरी 2016 : कन्हैया कुमार को देशद्रोह के मामले में दिल्ली की एक अदालत ने तीन दिन की पुलिस हिरासत में भेजा.
15 फरवरी 2016 : पटियाला हाउस अदालत परिसर में हिंसा, कन्हैया कुमार के खिलाफ मामले में सुनवाई से पहले वकीलों ने पत्रकारों, जेएनयू छात्रों और शिक्षकों को राष्ट्रविरोधी बताते हुए उन पर हमला किया.
15 फरवरी 2016 : पटियाला अदालत हमले के मामले में दो प्राथमिकी दर्ज.
17 फरवरी 2016 : पटियाला हाउस अदालत में एक और हंगामे का मामला. वकीलों के कोट पहने लोगों ने कन्हैया कुमार के मामले में सुनवाई से पहले कथित तौर पर पत्रकारों और छात्रों की पिटाई की.
18 फरवरी 2016 : कन्हैया ने उच्चतम न्यायालय में जमानत अर्जी दाखिल की.
19 फरवरी 2016 : उच्चतम न्यायालय ने जमानत अर्जी दिल्ली उच्च न्यायालय को स्थानांतरित की. पुलिस से उचित सुरक्षा बंदोबस्त को कहा.
19 फरवरी 2016 : कन्हैया ने जमानत के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया.
23 फरवरी 2016 : पुलिस ने उच्च न्यायालय में कन्हैया की जमानत अर्जी का विरोध किया.
23 फरवरी 2016 : जेएनयू छात्र उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य ने आत्मसमर्पण से पहले पुलिस संरक्षण पाने के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया.
24 फरवरी 2016 : उमर और अनिर्बान गिरफ्तार.
25 फरवरी 2016 : दिल्ली की अदालत ने जेल में बंद कन्हैया को एक दिन की पुलिस हिरासत में भेजा.
26 फरवरी 2016 : अदालत ने कन्हैया को तिहाड़ जेल भेजा.
2 मार्च 2016 : अदालत ने कन्हैया को छह महीने की अंतरिम जमानत दी.
3 मार्च 2016 : दिल्ली की अदालत ने कन्हैया की तिहाड़ जेल से रिहाई का आदेश दिया.
26 अगस्त 2016 : दिल्ली की अदालत ने कन्हैया, उमर और अनिर्बान को नियमित जमानत दी.
14 जनवरी 2019 : पुलिस ने कन्हैया, उमर और अनिर्बान तथा अन्य के खिलाफ देशद्रोह, दंगा भड़काने एवं आपराधिक षड्यंत्र के अपराधों के तहत आरोपपत्र दाखिल किया था.

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