Jammu Kashmir News in Hindi: भारतीय सेना ने जम्मू के पीरपंजाल रेंज में अपना घेर कस दिया है. सेना ने करीब 80 किमी इलाके के चारों ओर घेरा डाल दिया. अब जंगलों में छिपे आतंकियों को घेरकर ठिकाने लगाने की तैयारी है.
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Indian Army anti terrorist operation in Jammu: आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस वाले ड्रोन, हेलीकॉप्टर और स्निफर डॉग्स मिलकर आतंकियों के अड्डे तलाश रहे हैं. जम्मू-कश्मीर में पीरपंजाल की पहाड़ियां आतंकवादियों का नया अड्डा बन गई हैं. सुरक्षाबलों के मुताबिक पिछले 5 महीनों में पाकिस्तान से आया 25 से 30 आतंकियों का नया ग्रुप सुरक्षाबलों पर स्ट्राइक कर रहा है. जम्मू के डोडा, रियासी, पुंछ, कठुआ जैसे इलाके आतंकियों के टारगेट पर हैं. ये आतंकी हमले लगभग वैसे ही हैं, जैसा 90 के दशक में हुआ था. अब सेना इनका जवाब भी 90 के दशक की तरह ही दे रही है.
जंगलों में आतंक की कब्र बनाने की तैयारी
पीरपंजाल के घने जंगल में सबसे ज्यादा विदेशी आतंकियों के होने का दावा है. कश्मीर घाटी के मुकाबले अब आतंकियों ने जम्मू में पीरपंजाल के जंगलों को अपना ठिकाना बनाया है. हालांकि अब इन्हीं जंगलों में आतंक की कब्र बनाने की तैयारी हो चुकी है. 90 के दशक के बाद पहली बार जम्मू में भारी संख्या में फौज की तैनाती हुई है.
आतंकियों के 48 ठिकाने किए गए चिह्नित
आतंक के खिलाफ़ सेना की 6 कंपनियों के साथ CRPF, ITBP, SOG और जम्मू-कश्मीर पुलिस भी शामिल है. सेना ने जम्मू में छत्रगलां से लोहाई मल्हार के बीच 80 किलोमीटर का घेरा डाला है. इसमें आतंकियों के 48 ठिकाने मार्क किये गए हैं. खुफिया सूत्रों के मुताबिक पीर पंजाल के जंगल और गुफाओं में 50 से ज्यादा आतंकी मौजूद हैं. जिनमें ज्यादातर पाकिस्तान से घुसपैठ करके आये विदेशी टेररिस्ट हैं. आशंका है कि इनमें ज्यादातर जैश और लश्कर है.
अफगानिस्तान में ट्रेंड किए गए हैं आतंकी
देवदार के पेड़ों से भरे पीर पंजाल के जंगलों में कई बड़ी प्राकृतिक गुफ़ाएं हैं, जो 90 के दशक में भी आतंकियों के छिपने का प्रमुख अड्डा थीं. दावा है कि ज्यादातर आतंकियों को पहाड़ों और जंगलों में जंग लड़ने की ट्रेनिंग दी गई है. जम्मू कश्मीर के पूर्व डीजीपी एसपी वैद कहते हैं कि पीर पंजाब की पहाड़ियों में छुपे ज्यादातर पाकिस्तानी पंजाब के टेररिस्ट हैं. ये अफगानिस्तान में जंगल वारफेयर में ट्रेंड हैं. उन्हें आधुनिक हथियार दिए गए हैं.
बक्करवालों से खाना पानी छीन रहे
आतंकियों की घुसपैठ और सेना का एक्शन दोनों 90 के दशक की याद दिला रहे हैं. इस बीच पुंछ-राजौरी और डोडा-रियासी में टेररिस्ट ने एक जैसी रणनीति बनाई. इन्होंने सेना के जवानों पर गुरिल्ला अटैक किया और अफगानिस्तान में अमेरिका सेना के छोड़े गये आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल किया. सेना की निगरानी से बचने के लिये आतंकी मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करते. गांव में दाखिल होने के बजाय बकरवालों से खाना लेते हैं. किसी भी इलाके में स्थायी ठिकाना नहीं बनाते.
PoK से ध्यान हटाने की साजिश
आशंका है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं को बढ़ावा देकर पाकिस्तान दुनिया का ध्यान PoK से हटा रहा है. कश्मीर में 2019 के बाद आतंक लगातार कम हुआ..कुछ छिटपुट घटनाओं को छोड़कर बीते 5 सालों में घाटी शांत रही है. अब जम्मू में सेना के कमान संभालने के बाद यहां भी आतंक का ऑलआउट होना तय है.