त्याग: Coronavirus संक्रमित बुजुर्ग ने पेश की मिसाल, नौजवान को दिलवाया था अपना बेड; 3 दिन बाद हुआ निधन
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त्याग: Coronavirus संक्रमित बुजुर्ग ने पेश की मिसाल, नौजवान को दिलवाया था अपना बेड; 3 दिन बाद हुआ निधन

कोरोना वायरस (Coronavirus) की दूसरी लहर में देश के तमाम शहरों में ऑक्सीजन (Oxygen) से लेकर अस्पतालों में बेड तक की किल्लत देखने को मिल रही है. इसी दौरान नागपुर में एक बुजुर्ग की ओर से मिसाल पेश की गई है.

बुजुर्ग ने अस्पताल में अपना बेड किसी और को दे दिया और तीन दिन बाद उनका निधन हो गया.

नागपुर: कोरोना वायरस (Coronavirus) की दूसरी लहर में देश के तमाम शहरों में ऑक्सीजन (Oxygen) से लेकर अस्पतालों में बेड तक की किल्लत देखने को मिल रही है. इसी दौरान नागपुर में एक बुजुर्ग की ओर से मिसाल पेश की गई है. आरएसएस के स्वयंसेवक रहे 85 वर्ष के बुजुर्ग नारायण भाऊराव दाभाडकर जो खुद कोरोना संक्रमित थे. उन्होंने अपने आखिरी वक्त में ऐसा त्याग किया जिसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है.

  1. Coronavirus संक्रमित बुजुर्ग ने पेश की मिसाल
  2. नौजवान को दिलवाया था अस्पताल में अपना बेड
  3. ऑक्सीजन लेवल कम था फिर भी लौट आए थे घर

'अपना बेड छोड़ घर लौट आए'

महाराष्ट्र (Maharashtra) के नागपुर (Nagpur) के एक बुजुर्ग नारायण भाऊराव दाभाडकर अपना बेड छोड़ने के लिए अनुरोध करके अस्पताल से वापस घर आ गए ताकि एक युवक को अस्पताल में बिस्तर मिल सके. जबकि वो खुद कोरोना संक्रमित थे जिनका ऑक्सीजन लेवल 60 तक पहुंच गया था. अस्पताल से लौटने के 3 दिन बाद ही उनका निधन हो गया.

'मैं जी चुका, इनके बच्चे अनाथ हो जाएंगे'

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े दाभाडकर ने दूसरे सर संघ चालक माधवराव सदाशिव राव गोलवलकर के साथ संघ का काम किया था. अब उनके इस त्याग की मिसाल दी जा रही है. जब उनकी हालत बिगड़ी तो उनके दामाद और बेटी उन्हें इंदिरा गांधी शासकीय अस्पताल ले गए. जहां काफी मशक्कत के बाद आखिरकार उन्हें बेड मिल गया.

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इलाज की प्रकिया अभी चल रही थी तभी एक महिला अपने 40 साल के पति को अस्पताल लाई. अस्पताल ने भर्ती करने से मना कर दिया क्योंकि बेड खाली नहीं था. महिला बेड के लिए डॉक्टरों के सामने गिड़गिड़ाई तो दाभाडकर को दया आ गई. उन्होंने अपना बेड उस महिला के पति को देने का अस्पताल प्रशासन से आग्रह कर दिया. उन्होंने कहा कि मैं अपनी जिंदगी जी चुका, इनके बच्चे अनाथ हो जाएंगे यह कहते हुए उन्होंने अपना फैसला सभी को सुना दिया.

अस्पताल प्रशासन ने बरता एहतियात

उनके आग्रह को देख अस्पताल प्रशासन ने उनसे एक कागज पर लिखवाया कि ‘मैं अपना बेड दूसरे मरीज के लिए स्वेच्छा से खाली कर रहा हूं. दाभाडकर ने ये स्वीकृति पत्र भरा और घर लौट आए जहां उनकी तबीयत बिगड़ती गई और 3 दिन बाद उनका निधन हो गया. 

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