DNA: विनेश के साथ 'खेल' कैसे हुआ? कौन है मामले का दोषी
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DNA: विनेश के साथ 'खेल' कैसे हुआ? कौन है मामले का दोषी

Vinesh Phogat: विनेश के साथ गड़बड़ कहां हुई? क्या पेरिस ओलंपिक कमेटी के नियमों से विनेश से कोई अन्याय किया? या फिर ये विनेश और रेसलिंग फेडरेशन का गोल्डन प्रयोग था, जिसमें वो गोल्ड तक तो पहुंचीं, लेकिन उनका शरीर ज़्यादती बर्दाश्त नहीं कर सका, और उसने विनेश का और साथ देने से इनकार कर दिया?

DNA: विनेश के साथ 'खेल' कैसे हुआ? कौन है मामले का दोषी

DNA: देश का सोना लुट गया है. सब ढूंढने में लगे हैं कि कैसे लुट गया.  विनेश फोगाट के साथ नियति खेल गई, या उसके शरीर ने उसका साथ नहीं दिया? या फिर गोल्ड की चाहत में कोई गड़बड़ हुई ? इस ख़बर में हम..कब, क्या, कैसे, क्यों और कहां...सब आपको बताएंगे. 

सिर्फ़ 100 ग्राम के चक्कर में देश का ओलंपिक गोल्ड का सपना टूट गया. ओलंपिक रेसलर विनेश फोगाट कल रात साढ़े दस बजे सबसे बड़ी ब्रेकिंग न्यूज़ थीं. पहली बार देश की कोई महिला रेसलर ओलंपिक फ्रीस्टाइल कुश्ती के फ़ाइनल में पहुंची थी. बड़ी बात थी. शर्तें लगने लगी थीं कि गोल्ड लाएंगी या सिल्वर. दावे थे गोल्ड ही लाएंगी.

सुबह होते-होते खेल हो गया...गोल्ड तो दूर, विनेश फोगाट को कॉम्पटीशन से गोल कर दिया गया. फ़ाइनल से पहले तय वक्त पर रेसलर का वज़न किया गया तो विनेश का वज़न 50 किलो 100 ग्राम...यानी तय कैटेगरी से 100 ग्राम ऊपर निकला. उन्हें डिस्क्वालिफ़ाई कर दिया गया. ना सिर्फ फ़ाइनल बल्कि पूरे इवेंट से. ..उन्हें ब्रॉन्ज मेडल तक नहीं मिलेगा.

कल विनेश ने बैक-टू बैक तीन राउंड प्री-क्वार्टर, क्वार्टर और सेमीफ़ाइनल खेले थे. तीनों राउंड से पहले उनका वज़न कैटेगरी के मुताबिक़ 50 किलोग्राम था. बीच-बीच में हाइड्रेट रहने के लिये तय मात्रा में ड्रिंक्स लिये, जिससे तीनों राउंड के बाद वज़न 52 किलो 700 ग्राम निकला. विनेश के पास सिर्फ़ 12 घंटे थे, जिसमें उन्हें फ़ाइनल के लिये वज़न घटाकर वापस 50 किलोग्राम पर लाना था. इसके लिये विनेश और उनकी टीम ने जी-जान लगा दी.

- विनेश ने रात भर जॉगिंग, साइक्लिंग, स्क्पिंग की.
- विनेश के कोच, फिज़ियो, डॉक्टर ने कोशिशें की.
- विनेश को खाने के लिये कुछ भी नहीं दिया गया.
- विनेश के बाल छोटे किये गए, नाखून काटे गये.
- विनेश के रेसलिंग कॉस्ट्यूम का वज़न घटाया गया.
- उसे Sauna दिया ताकि पसीना निकले, पानी घटे.
- रातभर कसरत से 2 किलो 600 ग्राम वज़न घटा

अब आप जानें कि विनेश के साथ गड़बड़ कहां हुई?.. क्या पेरिस ओलंपिक कमेटी के नियमों से विनेश से कोई अन्याय किया?..या फिर ये विनेश और रेसलिंग फेडरेशन का गोल्डन प्रयोग था..जिसमें वो गोल्ड तक तो पहुंचीं, लेकिन उनका शरीर ज़्यादती बर्दाश्त नहीं कर सका, और उसने विनेश का और साथ देने से इनकार कर दिया?

- विनेश का असली वज़न 56-57 किलो रहा है.
- विनेश 53 किलोग्राम कैटेगरी में लड़ती रही हैं.
- पेरिस ओलंपिक में उन्होंने 50Kg वर्ग चुना था.
- विनेश ने 3 राउंड से पहले तेज़ी से वज़न घटाया
- विनेश इसके लिये 4 दिन से कम खा-पी रही थीं.

एक दिन में तीन राउंड खेलने से पहले विनेश के पास वज़न घटाने के लिये 4 से 5 दिन थे. लेकिन सेमीफ़ाइनल से फाइनल के बीच उनके पास सिर्फ़ 12 घंटे यानी बस आधा दिन था. बिना खाए-पीए रात भर एक्सरसाइज़ वो भी तब जबकि शरीर में पहले से ही पानी की बहुत कमी थी.

यहां कुछ और भी सवाल हैं. लेकिन उनसे पहले आपको विनेश फोगाट की पूरी टीम भी दिखाते हैं. ओलंपिक में कोई खिलाड़ी खेलता है तो उसे तैयार करने और जिताने के लिये उसके साथ बाक़ायदा ट्रेनर्स की टीम भी खेलती है.

विनेश को गोल्ड जिताने के लिये जो टीम लगी हुई थी, उसकी तस्वीर देखें. इसमें इंटरनेशनल कोच वोलर अकोस हैं. विनेश के स्ट्रैंथ एंड कंडीशनिंग एक्सपर्ट.. वेन पैट्रिक लोम्बार्ड हैं. फिज़ियोथेरेपिस्ट अश्विनी जीवन पाटिल हैं...और ओलंपिक में भारतीय दल के चीफ़ मेडिकल ऑफिसर दिनशॉ पारदीवाला भी दिखाई दे रहे हैं.

इतने बड़े विशेषज्ञों के होते हुए सवाल उठ सकते हैं कि क्या विनेश के कोच को, उनके स्ट्रैंथ एक्सपर्ट, उनके फिज़ियो और उनके डॉक्टर को अनुमान नहीं था कि-
- विनेश फोगाट के लिये सिर्फ़ 12 घंटों के भीतर अपना वज़न घटा पाना कठिन होगा ?
- उन्हें 2016 का नियम नहीं पता था कि कुश्ती मैच 2 दिन होंगे, दोनों दिन वज़न होगा?
- क्या उन्हें विनेश के वज़न बढ़ने की दर और वज़न घटाने की क्षमता का पता नहीं था?
- विनेश को 24 घंटों में दूसरा मुक़ाबला खेलना है, क्या इसे लेकर तैयारियों में कमी रह गई?

विनेश खिलाड़ी हैं, उनपर जीत का जुनून था, उनमें गोल्ड पाने की चाहत थी, लेकिन क्या टीम को अंदाज़ा नहीं था कि इसके लिये वो अपने शरीर से जो मांग रही हैं, वो कठिन था, बल्कि उनके लिये जानलेवा भी हो सकता था.

वज़न में 100 ग्राम से फेल होने के बाद विनेश मन से नहीं शरीर से भी टूट चुकी थीं. शरीर में पानी नाम की चीज़ नहीं रह गई थी. ..वो लड़खड़ा गईं, उनकी तबीयत बिगड़ गई. था. 

विनेश का गोल्ड से चूक जाना. 'राष्ट्रीय शोक' से कम नहीं दिखा... देश ने इसे दुख की घड़ी के तौर पर लिया. विनेश से सिर्फ़ हमदर्दी ही नहीं जताई, उन्हें हिम्मत भी दी.

प्रधानमंत्री मोदी एक भावुक पोस्ट लिखी. विनेश को चैंपियनों की चैंपियन और भारत का गौरव बताया. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा- पूरा देश विनेश के साथ है. राहुल गांधी ने कहा- विनेश हार मानने वालों में से नहीं हैं,पूरा देश उनके साथ है. प्रियंका गांधी ने विनेश को प्यारी बहन कहा. आगे कहा- आप चैंपियन थी, चैंपियन रहोगी.

ये तो एक खिलाड़ी को हिम्मत देने वाले, उसके दर्द को साझा करने वाले बयान थे. लेकिन आज दूसरे टाइप की सियासत भी हुई, जिसमें साज़िशें ही साज़िशें दिखाई गईं. आपको याद होगा कि कुछ समय पहले दिल्ली में रेसलिंग फेडरेशन के खिलाफ़ कई रेसलर धरने पर थे. उनमें विनेश फोगाट भी थीं. ..रेसलर्स के धरने को कई दलों ने अपने पक्ष में कैश कराना चाहा था. एक एजेंडा भी चला था कि सरकार अपनी रेसलर्स बेटियों पर अत्याचार कर रही है.

आज विनेश के हाथ से गोल्ड छिन जाने को कई विपक्षी नेताओं ने उस धरने-प्रदर्शन का बदला बताकर पेश किया. पंजाब के सीएम भगवंत मान काफिला लेकर विनेश के गांव पहुंच गये. वहां तंज कसा कि मोदी यूक्रेन वॉर रुकवा सकते हैं तो ओलंपिक का फ़ैसला भी पलटा कर दिखाएं.

विपक्षी नेताओं में आज एक Race सी दिखी कि कौन कितने ज़ोरदार ढंग से इसे मोदी की साज़िश बताता है. किसी ने इसे धरने-प्रदर्शन का बदला बताया. किसी ने लिखा- वो कौन है जिन्हें विनेश की जीत हजम नहीं हुई?.. किसने हरियाणा की बेटी की पीठ में छुरा घोंपा?..सारे बयानों, सारी सोशल मीडिया पोस्ट में एक ही बात कि, विनेश का गोल्ड छिन जाना संयोग नहीं साज़िश है, और हो सकता है कसूरवार ओलंपिक के नियम नहीं हों, कोई और हो.

ओलंपिक में भारतीय प्रतिनिधि अपने स्तर पर अपील कर चुके थे. फिर भी देश में सियासी नैरेटिव चलाने की कोशिश हुई तो खेल मंत्री ने संसद में बयान जारी किया. आप सुनिये कि किसने बयान में विनेश के लिये पीड़ा थी और किसने बयान में सिर्फ़ और सिर्फ़ सियासी खेल था.

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