चुनावी हलचल: PM से कहना, आप ही हटा दो हमारे गांव की किस्‍मत पर पड़ा बदनसीबी का पत्‍थर
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चुनावी हलचल: PM से कहना, आप ही हटा दो हमारे गांव की किस्‍मत पर पड़ा बदनसीबी का पत्‍थर

लोकसभा चुनाव 2019 में मतदाताओं का रुझान बीजेपी की तरफ लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांदा में एक जनसभा को संबांधित किया. इस जनसभा से पहले दक्षिणी बुंदेलखंड के आखिरी गांव औगासी की बदहाली को लेकर कुछ युवक चर्चा कर रहे थे.

 

लोकसभा चुनाव 2019 के लिए बांदा संसदीय सीट पर मतदान होना है, मतदान से पहले प्रधानमंत्री ने रैली कर मतदाताओं से बीजेपी को जिताने की अपील की है.

नई दिल्‍ली: लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर उत्‍तर प्रदेश के बुंदेलखंड में सरगर्मियां बेहद तेज हो गई हैं. आज (गुरुवार) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुदेलखंड की बांदा संसदीय सीट पर रैली कर चुनावी हवा को बीजेपी के पक्ष में लाने की कोशिश की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बांदा में होने वाली जनसभा से कुछ घंटों पहले दक्षिणी बुंदेलखंड के आखिरी गांव औगासी के बस स्‍टैंड में चुनाव को लेकर बेहद रोचक चर्चा चल रही थी. यह चर्चा का केंद्र बिंदु पूरी तरह से यमुना नदी पर निर्माणाधीन एक पुल था. इसी निर्माणाधीन पुल को केंद्र में रखकर गांव के कुछ युवक लोकसभा चुनाव 2019, मतदान और सत्‍ता में रहे राजनैतिक दलों के काम की समीक्षा कर रहे थे. 

  1. दक्षिणी बुंदेलखंड का आखिरी गांव है बांदा जिले का औगासी गांव
  2. यमुना किनाने बसे औगासी में बीते नौ साल से हो रहा है एक पुल का निर्माण
  3. सरकारें बदलती रहीं, लेकिन इस गांव की सुध लेने वाला अब तक कोई नहीं

यमुना नदी के किनारे बसे इस गांव में एक छोटा सा बस स्‍टैंड है. हालांकि यह बात दीगर है कि इस बस स्‍टैंड में कभी बस नहीं आती है. गांव वालों को करीबी कस्‍बे में जाने के लिए विक्रम आटो का सहारा लेना पड़ता है. इस गांव में बस न आने की एक वजह यह भी है कि औगासी के बाद जो अगला गांव गाजीपुर है, उसके बीच में यमुना नदी है. यमुना नदी पर पक्‍का पुल नहीं है. आवाजाही के लिए एक पीपे का पुल है, लेकिन उससे कोई भारी वाहन नहीं गुजर सकता है. इसी वजह से, न ही कोई ट्रांसपोर्टर और न ही सरकार औगासी तक बस नहीं चलाना चाहती है. फिलहाल, इस गांव से सट कर बह रही यमुना नदी पर एक पक्‍के पुल का निर्माण जरूर हो रहा है, लेकिन इसके निर्माण की रफ्तार 'नौ दिन चले अढ़ाई कोस जैसी ही है.'

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खैर, अब हम बात करते हैं इस गांव के कथित बस स्‍टैंड में चल रही चुनावी चर्चा की. दरअसल, इस बस स्‍टैंड एक जनाब बैठे हुए हैं. उम्र कोई 50 के आसपास होगी. सफेद शर्ट-पैंट पहने इन जनाब ने सिर पर एक सफेद गमछा बांध रखा है. देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि कहीं जाने के लिए वे किसी साधन का इंतजार कर रहे हैं. पूछने पर पता चला कि गांव में इनको शंकर भैया के नाम से लोग जानते हैं. इसी बीच, साइकिल से एक लड़का वहां पहुंचता है. मैले-कुचैले पैबंद लगे कपड़ों में आए इस लड़के ने शंकर भैया से बोला- महराज पांव लागी. कहां की तैयारी हो गई. शंकर भैया ने पांव लागी का जवाब खुश रहो बबलू से देकर बताया कि बांदा की तैयारी है, मोदी जी आ रहे हैं ना. 

इनता सुनते ही वह बबलू वहीं रुक गया. थोड़ा बेरुखी से बोला, क्‍या होगा बांदा जाने से, क्‍यों अपना समय और पैसा बर्बाद कर रहे हो. हमारी किस्‍मत से पत्‍थर हटाने वाले कोई नहीं है. इस लड़के की बात से शंकर भैया थोड़ा बिचलित हो गए. उन्‍होंने कहा, क्‍या हुआ, किसने तुम्‍हारी किस्‍मत में किसने पत्‍थर डाल दिए हैं. बबलू ने जवा‍ब दिया - इस गांव में कौन सा सुख है. इस गांव की बदहाली, किस्‍मत में पत्‍थर पड़ने से कम है क्‍या. सबको देख लिया है हमने, सिर्फ नेता वोट लेने के लिए इस गांव में आते हैं, इसके बाद हमारी बदहाली को देखने वाला कोई नहीं है. मै तो कहता हूं कि इस बार किसी को वोट देने की जरूरत भी नहीं है. शंकर भैया, बबलू की बात से थोड़ा विचलित हुए और समझाने के लहजे में बोले, बात तो ठीक है, लेकिन वोट न देने से क्‍या किस्‍मत से पत्‍थर उठ जाएंगे. इस तरह से गांव का विकास बिल्‍कुल नहीं होने वाला. 

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बस स्‍टॉप पर ही मौजूद आनंद शुक्‍ला जो बबेरू कस्‍बे के रहने वाले है इन दोनों की बात को बड़े ध्‍यान से सुन रहे थे. बीचे में टोंकते हुए वे बोले कि बात तो तुम दोनों की ठीक है. लेकिन गांव का विकास हुआ हो ही रहा है. देखो, गांव में स्‍कूल है, यूनानी अस्‍पताल है और अब बिजली भी आ ही जाती है. कुछ दिनों में यमुना का पुल भी बन जाएगा, कानपुर और लखनऊ से बबेरू, अतर्रा, कर्वी, सतना जाने वाली सभी बसे इसी रास्‍ते से गुजरेंगी. फिर देखना गांव का कितनी तेजी से विकास होता है. तुम नौजवानों की यही समस्‍या है, हमेशा हवा में उड़ते रहते हो. यह सुनकर बबलू की भौहें तन गईं. पता नहीं यह पुल कब तैयार होगा, नौ साल में आधा तो बन नहीं पाया है. पूरा होने में अभी पता नहीं कितने दशक बीत जाएंगे. चार कदम बनता नहीं है, फंड खत्‍म होने के नाम पर पुल का निर्माण फिर बंद कर दिया जाता है. 

शंकर भैया एक बार फिर बबलू को समझाने की कोशिश करते हैं. काहें परेशान होते हो बबलू, मुख्‍यमंत्री योगी ने 60 करोड़ रुपए पुल के लिए रिलीज कर दिए हैं. यह पुल अब भाजपा ही पूरा करा पाएगी. शंकर भैया का इतना कहना है था कि विकास पर चल रही यह बस अब पूरी तरह से राजनैतिक हो जाती है. बस स्‍टॉप पर ही मौजूद प्रेमचंद्र बोल पड़ता है, क्‍या कह रहे हो चाचा. अभी तक पुल जितना भी बना है सपा की सरकार में बना है. 2011 में मायावती सरकार में इसका शिलान्‍यास जरूर हुआ हो, लेकिन 2012 में जब अखिलेश भैया (सपा प्रमुख एवं पूर्व मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव) की सरकार आई, तभी इस पुल का काम शुरू हुआ. अब जब तक अखिलेश भैया सत्‍ता में वापस नहीं आते, तब तक यह पुल नहीं बनने वाला है. मेरी बात मानों तो आप भी इस बात सपा-बसपा गठबंधन को वोट देना. अब, वहीं पार्टी हमारा ध्‍यान रख सकती है. 

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प्रेमचंद्र की बात सुनकर शंकर भाइया को थोड़ा तैश आ गया. ऊंची आवाज में बोले, बड़े आए अखिलेश भइया की तरफदारी करने वाले. तुम्‍हारे अखिलेश भइया पांच साल में यह पुल नहीं बनवा पाए. बाहर जाकर देखो, अब तीन-तीन महीने में लंबे लंबे पुल बनकर तैयार हो रहे हैं. दस साल में चाहे बहन जी हों या अखिलेश भइया, गांव के लिए क्‍या करके गए हैं. पुल छोड़ो, गांव में एक खरंजा भी नहीं बना. अब तो हमें मोदी में ही आस बची है. शायद इस बार बबलू की किस्‍मत में पड़े पत्‍थर उठ जाएं. इसी बीच, वहां एक विक्रम आटो पहुंचता है और शंकर भइया आटो की तरफ बढ़ चलते हैं. इतने में बबलू पीछे से चिल्‍लाता है कि भइया मोदी जी से कह देना कि आप ही हटा दो हमारे गांव की किस्‍तम पर पड़ा बदनसीबी का पत्‍थर. शंकर भइया, बबलू की बात सुन मोदी जी की रैली में शरीक होने के लिए औगासी से रवाना हो जाते हैं. 

चुनावी हलचल के आखिर में आपको बता दें कि औगासी दक्षिण बुंदेलखंड के आखिरी जिले बांदा का आखिरी गांव है. यमुना नदी के किनारे बसा यह गांव तहसील मुख्‍यालय बबेरू से महज 15 किलोमीटर की दूरी है. राजनैतिक तौर पर देखें तो इस गांव बबेरू विधानसभा और बांदा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है. बांदा से इस बार बीजेपी की टिकट पर मानिकपुर से वर्तमान विधायक आरके पटेल, सपा-बसपा गठबंधन से प्रयागराज के वर्तमान बीजेपी सांसद श्‍यामचरण गुप्‍ता और कांग्रेस से पूर्व विधायक बाल कुमार यादव मैदान में हैं. श्‍यामचरण गुप्‍ता ने हाल में ही बीजेपी का दामन छोड़कर सपा का हाथ थांम लिया था. वे बीजेपी से टिकट न मिलने से नाराज थे. 

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