Opinion : आसाराम को आजन्म कारावास- अब कास्टिंग काउच के शैतानों की खैर नहीं!
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Opinion : आसाराम को आजन्म कारावास- अब कास्टिंग काउच के शैतानों की खैर नहीं!

नए कानून के तहत आसाराम को आजन्म कारावास की सजा भारतीय न्याय व्यवस्था के अकादमिक इतिहास में एक नया मील का पत्थर साबित हो सकती है. रेप मामले में दो सहआरोपियों के बरी होने के बावजूद आसाराम को मिली सजा से कानून की ताकत बुलंद हुई है.

Opinion : आसाराम को आजन्म कारावास- अब कास्टिंग काउच के शैतानों की खैर नहीं!

रेप मामले में दो सहआरोपियों के बरी होने के बावजूद आसाराम को आजन्म कारावास की सजा से कानून की ताकत बुलंद हुई है. अनेक अपराधियों को अदालतों से सजा मिलती रही है, पर आसाराम का मामला कई मामलों में अनोखा है- निर्भया मामले के बाद सख्त कानूनों के तहत आसाराम को आजन्म कारावास की सजा- आसाराम के खिलाफ आईपीसी की धारा 342 (पीड़िता को गैर-कानूनी तरीके से बंद रखना), 354-ए (महिला के सम्मान पर हमला), 370 (4) (मानव तस्करी और शोषण), 376 (बलात्कार), 506 (आपराधिक हमला), 509 (महिला से अश्लील हरकत), 120-बी (आपराधिक षड़यंत्र) के अलावा जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा-23 एवं 26, एससी/एसटी कानून तथा पास्को एक्ट की धारा-7 और 8 के तहत मामले दर्ज हुए थे. निर्भया मामले के बाद 2013 में क्रिमिनल लॉ एमेंडमेंट एक्ट लागू होने के बाद आसाराम के खिलाफ 376-डी और पॉक्सो कानून की नई धाराओं के तहत केस दर्ज हुआ था. नए कानून के तहत आसाराम को सजा भारतीय न्याय व्यवस्था के अकादमिक इतिहास में एक नया मील का पत्थर साबित हो सकती है.

जेल में लगी विशेष अदालत, पर आसाराम को फांसी नहीं
सामान्यतः अदालत के फैसले में सजा के बाद आरोपी को जेल भेजा जाता है, पर आसाराम के मामले में जोधपुर की सेन्ट्रल जेल में ही अदालत का गठन हुआ और दोषियों को सजा सुनाई गई. इसके पहले तिहाड़ जेल से इन्दिरा गांधी के हत्यारों और आर्थर रोड जेल से आतंकी अजमल आमिर कसाब को सजा सुनाई गई थी. रेप के वर्तमान मुकदमों में फांसी तो नहीं हो सकती थी, पर 77 साल की उम्र में आसाराम को आजन्म कारावास की सजा, क्या मृत्युदंड से ज्यादा यातनापूर्ण नहीं होगी?

बड़े वकील काम नहीं आए
आसाराम के मामले में राम जेठमलानी समेत अनेक बड़े वकीलों ने पैरवी की. वकील न होने के बावजूद डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी आसाराम के मामले में पैरवी करने पहुंचे. आसाराम ने अनेक वकीलों के माध्यम से 12 बार जमानत की अर्जी दी. ट्रायल कोर्ट ने 6 बार, राजस्थान हाईकोर्ट ने 3 बार और सुप्रीम कोर्ट ने 3 बार आसाराम की जमानत की अर्जी खारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने गलत मेडिकल दस्तावेज देने के लिए आसाराम के ऊपर एक लाख का जुर्माना भी लगाया था.

हाईकोर्ट में अपील का विकल्प, परंतु गुजरात के अन्य मामले का सिरदर्द
पॉक्सो कानून के तहत आसाराम के मामले की सुनवाई जिला अदालत में हुई, जिसके फैसले के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में भी अपील हो सकती है. आसाराम के खिलाफ सन् 2008 में दो चचेरी बहनों ने गुजरात में बलात्कार का मुकदमा दर्ज कराया था. इस मामले पर जांच और सुनवाई में देरी करने पर सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात पुलिस को फटकार भी लगाई थी. जोधपुर के फैसले के बाद आसाराम के मामले में गुजरात में सुनवाई होगी, जिसकी सजा के आधार पर आसाराम के बकाया जीवन का फैसला होगा.

कास्टिंग काउच और अपराध के गोरखधंधे पर सजा की शुरुआत?
रेप पीड़ित लड़कियां आसाराम को संत के वेश में शैतान मानती हैं. आसाराम के देश-विदेश के 400 से अधिक आश्रम हैं और 4 करोड़ से ज्यादा लोग उनके समर्थक होने का दावा करते हैं. आसाराम के साम्राज्य में 10,000 करोड़ से ज्यादा की सम्पत्ति का अनुमान है.
अपनी ताकत के बल पर आसाराम ने पीड़िता तथा गवाहों को प्रभावित करने के साथ अनेक गवाहों का कत्ल भी करा दिया. धर्म को अपराध से जोड़ने का सिलसिला आसाराम के पहले से ही चल रहा है. पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी समेत अनेक बड़े नेताओं के गुरु रहे स्वामी सदाचारी को वेश्यालय चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. साईं बाबा की तरह चेहरे वाले स्वामी प्रेमानन्द को 13 लड़कियों से रेप के मामले में दोषी पाया गया था. दिल्ली के स्वामी भीमानन्द को सैक्स रैकेट के आरोप पुलिस ने गिरफ्तार किया था. आसाराम को सजा से धार्मिक जगत में अययास बाबाओं पर लगाम लगने की उम्मीद तो होनी ही चाहिए.

अब सवाल यह है कि फिल्म इंडस्ट्री और राजनीति क्षेत्र में कास्टिंग काउच के गुनहगारों पर कानून की तलवार कब चलेगी?

(लेखक सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता और संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञ हैं)

(डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)

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