देश से पहली बार चंडीगढ़ का दंपत्ति वर्ल्ड ट्रांस्लांट गेम्स में हिस्सा लेगा.
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चंडीगढ़: ट्रांसप्लांट यानि प्रतिरोपण के बाद आम तौर पर लोग यह समझ बैठते हैं कि इसके बाद सामान्य जीवन नहीं जिया जा सकता. मगर चंडीगढ़ में रहने वाले दंपत्ति प्रवीण कुमार रत्न और उनकी धर्मपत्नी रूपा अरोड़ा ने इस धारणा को गलत साबित कर दिया है. ट्रांसप्लांट के बाद दोनों पति पत्नी ने एथलेटिक्स में भाग लेना शुरू किया और अब दोनों वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स में देश का प्रतिनिधित्व करने जा रहे हैं. देश में यह पहला मौका होगा जब वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स में कोई दंपत्ति देश का प्रतिनिधित्व करेगा.
ब्रिटेन में होने जा रहे हैं ये खेल
यह गेम्स 17 से 23 अगस्त तक यू के में न्यू कैसल गेट में होने जा रही हैं इन खेलों का आयोजन अंगदान को बढ़ावा देने के लिए हर दो साल बाद किया जाता है. हालांकि सरकारी तौर पर दंपत्ति को इसके लिए कोई मदद नहीं मिली है. चंडीगढ़ में रहने वाले प्रवीण कुमार और उनकी धर्मपत्नी रूपा अरोड़ा 17 से 23 अगस्त तक ब्रिटेन में होने वाली वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स में हिस्सा लेने के लिए जा रहे हैं. हालांकि भारत से इन गेम्स में कुल 14 प्रतिभागी भाग लेंगे मगर प्रवीण कुमार के मुताबिक़ यह पहला मौका होगा जब देश से कोई दंपत्ति इसमें भाग लेगा. 60 देशों के प्रतिभागी इन गेम्स में भाग लेने के लिए पहुँचने वाले हैं.
पत्नी ने ही पति को दान किया था अपना लीवर
प्रवीण कुमार ने बताया कि वर्ष 2011 में उनका लीवर खराब हो गया था जिसके बाद पत्नी रूपा अरोड़ा ने उनको अपना 65 प्रतिशत लीवर दान किया. अक्सर प्रतिरोपण के बाद लोग जिंदगी को उतने उत्साह से नहीं जी पाते मगर इस दंपत्ति ने प्रतिरोपण के बाद जिंदगी को इस सोच से अलग होकर जीने की ठान ली. दोनों एथलेटिक्स में भाग लेने लगे और धीरे धीरे ट्रांसप्लांट गेम्स की तरफ इनका रूझान बढ़ा. प्रवीण कुमार ने वर्ष 2018 में ट्रांसप्लांट गेम्स आफ अमेरिका में भाग लिया और अब दोनों पति पत्नी वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स में भाग लेने जा रहे हैं. इतना ही नहीं प्रवीण कुमार को दिसंबर 2018 में फेसियल पैरालाइसिस भी हो गया था मगर इन्होने फिर हिम्मत नहीं हारी और इस पर भी विजय प्राप्त कर ली.
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अंगदान को बढ़ावा देने लगे पति-पत्नी
रूपा अरोड़ा के मुताबिक़ उन्होंने ट्रांसप्लांट के बाद अपने पति को इस बात के लिए प्रेरित किया कि क्यों ना अंग दान को बढ़ावा देने के लिए कुछ किया जाए. ट्रांसप्लांट के बाद ही वर्ष 2014 में इनको एक बेटा भी हुआ. अंगदान को बढ़ावा देने के लिए प्रवीण कुमार Indian organisation of organ and tissue Donner नाम से एक संस्था भी चलाते हैं जिससे काफी संख्या में लोग जुड़े हैं और संस्था अंगदान के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करती है.
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नहीं मिली सरकारी मदद
इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए इस दम्पत्ति को प्रशासन या सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिली है. प्रवीण कुमार ने बताया कि इसके लिए इन्होने छह लाख रूपये का लोन लिया है. प्रवीण कुमार चंडीगढ़ प्रशासन में सीनियर अकॉउंट आफिसर के पद पर तैनात हैं और रूपा अरोड़ा सरकारी स्कूल में टीचर हैं. दरअसल अंगदान को बढ़ावा देने के लिए वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स वर्ष 1978 से हर दो साल बाद अलग अलग देशों में करवाई जाती हैं. इसमें डोनर और रेसीपेंट दोनों भाग लेते हैं. फिलहाल चंडीगढ़ के इस दंपत्ति ने यह साबित कर दिया है कि बुलंद इराद शारीरिक असक्षमता को बोना साबित कर देते हैं.