नई दिल्ली: दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सभी सियासी पार्टियों ने अपनी-अपनी कमर कस ली है. सियासी युद्ध के मैदान में कौन सिकंदर होगा ये तो चुनावी नतीजों के बाद ही मालूम चलेगा. लेकिन, राजधानी के राजनीतिक किले पर कब्जा जमाने के लिए होड़ शुरू हो गई है.
केजरी के दांव पर शुरू हुआ सियासी घमासान
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने पांच साल के कार्यकाल का हिसाब-किताब दिया, तो सियासी खेमे में उफान का दौर तेज हो गया. अरविंद केजरीवाल ने अपनी सरकार के पांच साल के कामकाज का रिपोर्ट कार्ड जारी किया. जिसके बाद वार पलटवार का सिलसिला शुरू हो गया.
अरविंद केजरीवाल की अगुआई वाली आम आदमी पार्टी सरकार ने मंगलवार को अपने पांच साल के कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड जारी किया, तो वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस ने भी केजरीवाल सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. बीजेपी ने इसे दिल्ली की जनता के साथ किए गए धोखे का प्रतीक बताया है, तो वहीं कांग्रेस ने झूठ का पुलिंदा करार दिया.
मनोज तिवारी ने बताया धोखा
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने दिल्ली की जनता को केवल धोखा दिया है. उन्होंने केजरीवाल सरकार से पूछा कि 509 स्कूल और 20 नए कॉलेज जिसका वादा सरकार ने किया था, वह आखिर कहां हैं?
तो वहीं दिल्ली कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया और कहा कि केजरीवाल सरकार ने अगर अपने सारे वादे पूरे कर दिए होते तो उन्हें मैनेजमेंट कंपनी का सहारा नहीं लेना पड़ता. दिल्ली कांग्रेस प्रवक्ता मुकेश शर्मा ने रिपोर्ट कार्ड को झूठ का पुलिंदा बताया और कहा कि दिल्ली में शीला दीक्षित सरकार ने जितने फ्लाईओवर, स्कूल और कॉलेज बनवाए थे, यह सरकार उसके करीब तक भी नहीं पहुंच पाई.
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अगले कुछ दिनों में किसी भी दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव के तारीखों की घोषणा हो सकती है. ऐसे में चुनावी तारीखों का ऐलान होने के तुरंत बाद आचार संहिता लागू हो जाएगी. जिस दौरान सरकार किसी योजना की घोषणा नहीं कर सकती. ऐसे में सभी सियासी दल अपनी शाख मजबूत करने में जुटे हुए हैं.