Independence Day Shayari: आजादी दिवस पर स्कूल में बोलें ये शायरी, चाहकर भी तालियां बजाने से नहीं रुकेंगे बच्चे!

Independence Day Shayari: स्वतंत्रता दिवस ऐसा दिन होता है, जब सभी में देशभक्ति की भावना चरम पर होती है. यदि आप भी इस दिन को अपने बच्चों के लिए खास बनाना चाहते हैं तो उन्हें आजादी दिवस पर ये शायरी जरूर याद करवाएं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 14, 2024, 03:15 PM IST
  • कल 78वां स्वंत्रता दिवस
  • इस दिन स्कूल में कहें शायरी
Independence Day Shayari: आजादी दिवस पर स्कूल में बोलें ये शायरी, चाहकर भी तालियां बजाने से नहीं रुकेंगे बच्चे!

नई दिल्ली: Independence Day Shayari: 15 अगस्त, 2024 को भारत 78वां स्वंत्रता दिवस मनाने जा रहा है. इस दिन स्कूलों में बच्चों को स्पीच देना होता है, शायरी या कविता कहनी होती है. यदि आप भी अपने बच्चे को कोई शायरी या कविता याद करवाना चाहते हैं तो हम आपके लिए देशभक्ति की कुछ बेस्ट शायरी लेकर आए हैं. 

जब देश में थी दीवाली, वो खेल रहे थे होली,
जब हम बैठे थे घरों में, वो झेल रहे थे गोली
-कवि प्रदीप

दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फ़त,
मेरी मिट्टी से भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा आएगी
- लाल चन्द फ़लक

लहू वतन के शहीदों का रंग लाया है,
उछल रहा है ज़माने में नाम-ए-आज़ादी
- फ़िराक़ गोरखपुरी

इसी जगह इसी दिन तो हुआ था ये एलान,
अंधेरे हार गए ज़िंदाबाद हिन्दोस्तान
- जावेद अख़्तर

क्या मोल लग रहा है शहीदों के खून का,
मरते थे जिन पे हम वो सज़ा-याब क्या हुए
-साहिर लुधियानवी

उस मुल्क की सरहद को कोई छू नहीं सकता,
जिस मुल्क की सरहद की निगहबान हैं आंखें
- अज्ञात

नाक़ूस से ग़रज़ है न मतलब अजां से है,
मुझ को अगर है इश्क़ तो हिन्दोस्तां से है
- ज़फ़र अली खां

अजल से वे डरें जीने को जो अच्छा समझते हैं,
मियां! हम चार दिन की जिन्दगी को क्या समझते हैं
- रामप्रसाद बिस्मिल

वतन के जां-निसार हैं वतन के काम आएंगे,
हम इस ज़मीं को एक रोज़ आसमाँ बनाएंगे
- जाफ़र मलीहाबादी

भारत के ऐ सपूतो हिम्मत दिखाए जाओ,
दुनिया के दिल पे अपना सिक्का बिठाए जाओ
- लाल चन्द फ़लक

मौत एक बार जब आना है तो डरना क्या है,
हम इसे खेल ही समझा किये मरना क्या है
-अशफ़ाकउल्ला खां

दुख में सुख में हर हालत में भारत दिल का सहारा है,
भारत प्यारा देश हमारा सब देशों से प्यारा है
- अफ़सर मेरठी

हम शहीदों को कभी मुर्दा नहीं कहते 'अनीस'
रिज़्क़ जन्नत में मिले शान यहां पर बाक़ी
-अनीस अंसारी

ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तिरे ऊपर निसार,
ले तिरी हिम्मत का चर्चा ग़ैर की महफ़िल में है
- बिस्मिल अज़ीमाबादी

लहलहाते हैं मोहब्बत के गुलिस्तां हर सू
कितनी ज़रख़ेज़ ज़मीं है मिरे भारत तेरी
- वासिक़ अंसारी

न इंतिज़ार करो इनका ऐ अजा-दारो
शहीद जाते हैं जन्नत को घर नहीं आते
-साबिर ज़फ़र

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