पवन चौरसिया

चुनाव से अधिक 'नरेटिव' की हार है विपक्ष के लिए ज़्यादा बड़ा झटका!
2019 के लोकसभा चुनावों के नतीजे आने के साथ-साथ यह भी साफ हो गया कि जनता ने मोदी को देश की बागडोर संभालने के लिए सबस

बिना अनुदान, कैसे होगा ‘जय अनुसंधान’?
पंजाब के फगवाड़ा स्थित LPU (लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी) में आयोजित 106वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों से देश में किफायती चिकि

क्या दिल्ली के पास है अपना राज्य मानवाधिकार आयोग?
शीत युद्ध की समाप्ति के बाद से ही मानवाधिकारों को लेकर राष्ट्रीय से लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक की सियासत होती रही है फिर चाहे वो अमेरिका का सीरिया और यमन जैसे देशों में सैन्य-कार्यवाही करना हो या

नेहरू को वंदना और आलोचना की नहीं, जानने की जरूरत है
“हर आदमी में होते हैं दस-बीस आदमी, जिस को भी देखना हो कई बार देखना.”

जरूरत है हिंदी को ‘हिंदीवादियों’ से सुरक्षित रखने की...
भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन द्वारा 2003 में लिखी गई पुस्तक ‘सेविंग कैपिटलिज्म फ्रॉम द कैपिटलिस्टस’ वैश्विक पूंजीवाद के विरोधाभासों को समझने के लिए एक शानदार किताब है.

JNU Elections : लाल के मुकाबले नीला और भगवा
दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में इस साल 14 सितंबर को छात्र-संघ (जेएनयूएसयू- जवाहरलाल यूनिवर्सिटी स्टूडे

जो मृत्यु के सामने भी ‘अटल’ रहा, जिसकी “मौत से ठन गई”
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी की लम्बी बीमारी के चलते हुई मृत्यु के समाचार से पूरा देश गहरे शोक एवं सदमे में है.

मार्क्स @200: कितना प्रासंगिक है मार्क्सवाद?
कुछ दिन पहले जर्मन दार्शनिक, अर्थशास्त्री, लेखक एवं इतिहासकार कार्ल मार्क्स की 200वीं सालगिरह थी.

दलितों के साथ भोजन करने से नहीं होगा सशक्तिकरण
भारत में जाति-व्यवस्था ने जितना देश की एकता को नुकसान पहुंचाया है उतना शायद ही किसी अन्य चीज ने पहुंचाया होगा.