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नई दिल्ली: पंजाब में बुधवार को 17वें मुख्यमंत्री के तौर पर आप नेता भगवंत मान ने शपथ ली. आप नेता भगवंत मान (Bhagwant Mann) ने यह शपथ शहीद भगत सिंह के गांव में ली. इस शपथ ग्रहण के बाद अब पंजाब की कमान भगवंत मान के पास आ गई है. AAP की यह जीत इस लिहाज से भी अहम मानी जा रही है क्योंकि पार्टी का विस्तार हुआ है. यहां AAP की ओर से तमाम नए नेताओं को जगह मिलेगी. लेकिन आपने गौर किया होगा कि जब भी मुख्यमंत्री या मंत्री पद की शपथ दिलाई जाती है तो उन्हें कुछ लाइनें बोलनी पड़ती है और कुछ औपचारिकताओं के बाद एक व्यक्ति मंत्री बन जाता है.
ऐसे में जानते हैं कि शपथ के वक्त मंत्रियों को क्या बोलना पड़ता है और किस तरह से मंत्रियों को गोपनीयता की शपथ दिलाई जाती है. जानते हैं इस शपथ ग्रहण से जुड़ी हर एक बात, जिसके बाद आप समझ पाएंगे कि शपथ ग्रहण के दौरान किन-किन औपचारिकताओं का पालन करना होता है… और राज्यपाल या राष्ट्रपति क्या करते हैं.
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दरअसल, राज्य में मंत्रियों और केंद्र में मंत्रियों के लिए अलग-अलग नियम हैं, जिनके जरिए शपथ दिलवाई जाती है. बता दें कि प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को पद और गोपनीयता की शपथ राष्ट्रपति दिलाते हैं. वहीं, राष्ट्रपति को पद और गोपनीयता की शपथ सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दिलाते हैं. इसके अलावा राज्य के मुख्यमंत्री और मंत्रीपरिषद को पद और गोपनीयता की शपथ राज्यपाल दिलाते हैं.
शपथ दिलाते हुए राष्ट्रपति या राज्यपाल पहला शब्द उच्चारण करते हैं और फिर मंत्री पूरी शपथ पढ़ते हैं. इस प्रक्रिया को दो बार दोहराया जाता है और दो बार राष्ट्रपति या राज्यपाल मैं बोलते हैं और फिर शपथ लेने वाले व्यक्ति पूरी शपथ लेते हैं.
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मैं, ………, ईश्वर की शपथ लेता हूं/सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा, मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूंगा, मैं ….. संघ के मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक और शुद्ध अंत:करण से निर्वहन करूंगा तथा मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना, सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार कार्य करूंगा.’
‘मैं, ……….. ईश्वर की शपथ लेता हूं/सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञा करता हूं कि जो विषय संघ के मंत्री के रूप में मेरे विचार के लिए लाया जायेगा अथवा मुझे ज्ञात होगा उसे किसी व्यक्ति या व्यक्तियों को, तब के सिवाय जबकि ऐसे मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों के सम्यक निर्वहन के लिए ऐसा करना अपेक्षित हो, मैं प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से संसूचित या प्रकट नहीं करूंगा.’
पद और गोपनीयता की शपथ लेने के बाद मंत्री एक संवैधानिक परिपत्र पर दस्तखत करते हैं. यह बेहद महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है, जो राष्ट्रपति या राज्यपाल द्वारा संरक्षित रखा जाता है. दरअसल, देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था का यह एक संवैधानिक दस्तावेज होता है, जो हमेशा सुरक्षित रहता है. शपथग्रहण के बाद मंत्रियों में विभागों का बंटवारा किया जाता है. इस तरह से एक आम व्यक्ति मंत्री, मुख्यमंत्री आदि बन जाता है.
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