भारत में मंकीपॉक्स की दस्तक, कितना खतरनाक है Mpox वायरस? जानें लक्षण और बचाव तरीका
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भारत में मंकीपॉक्स की दस्तक, कितना खतरनाक है Mpox वायरस? जानें लक्षण और बचाव तरीका

Churu News: राजस्थान में इन दिनों मौसम बदलने के साथ ही मौसमी बीमारियों का खतरा भी लगातार बढ़ रहा है. वहीं, कोरोना वायरस महामारी की दहशत लोग अभी पूरी तरह से भुला भी नहीं पाए हैं कि एक और वायरस ने भारत में दस्तक दे दी है. भारत में मंकीपॉक्स का पहला केस मिल चुका है. बता दें, इस मामले की पुष्टि खुद 9 सितंबर को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने की है. 

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Churu News: इन दिनों मौसम बदलने के साथ ही मौसमी बीमारियों का खतरा भी लगातार बढ़ रहा है. वहीं, कोरोना वायरस महामारी की दहशत लोग अभी पूरी तरह से भुला भी नहीं पाए हैं कि एक और वायरस ने भारत में दस्तक दे दी है. कई अफ्रीकी देशों में अपना कहर बरपाने वाले एम पॉक्स का पहला मामला भारत में भी सामने आ चुका है, जिसके बाद केंद्र स्वास्थ्य मंत्रालय हरकत हरकत में आ गया है. 

भारत में मंकीपॉक्स का पहला केस मिल चुका है. बता दें, इस मामले की पुष्टि खुद 9 सितंबर को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने की है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोगों को मंकीपॉक्स को लेकर पैनिक नहीं होने की सलाह दी है. जबकि राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को गाइडलाइन जारी करके संदिग्ध रोगियों की स्क्रीनिंग और कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग करने की सलाह दी है. अफ्रीका सहित दुनिया के कई देशों में कोहराम मचा चुके मंकीपॉक्‍स का मरीज भारत में भी निकल आया है. इसके बाद से स्वास्थ्य विभाग इस पर नजर बनाए हुए हैं और राज्यों को इस वायरल बीमारी को लेकर दिशा निर्देश जारी किए हैं. 

स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञों की मानें तो भारत में मरीज मिलने के बाद भी डरने या घबराने की जरूरत नहीं है. इसकी वजह है मरीज में मिला क्‍लैड-2 वायरस. एमपॉक्स वायरस को लेकर लोगों मे बहुत सी भ्रांतियां हैं. आखिर क्या हैं एमपॉक्स, कैसे फैलता है, क्या है इसके लक्षण ? Zee राजस्थान ने जानने की कोशिश की, वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर अब्दुल गफ्फार खान ने जाकारी देते हुए बताया कि दो तरह के वायरस होते हैं, जो मंकीपॉक्‍स बीमारी फैलाते हैं, पहला है क्‍लैड 1 और दूसरा है क्‍लैड 2. फिलहाल पूर्वी और मध्‍य अफ्रीका में जो मंकीपॉक्‍स फैला हुआ है वह क्‍लैड 1 वायरस की वजह से है, जिसे डब्‍ल्‍यूएचओ ने ग्‍लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया हुआ है. 

डॉक्टर अब्दुल गफ्फार खान ने बताया कि मंकीपॉक्स के मरीज को अस्पताल या घर में अलग कमरे में आइसोलेट रखना चाहिए. त्वचा बने फफोले ठीक होने के बाद जब तक जख्म की त्वचा सूखकर झड़ न जाए तब तक मरीज को आइसोलेशन में ही रहना चाहिए. मरीज को लक्षण के आधार पर इलाज किया जाता है. दूसरे बैक्टीरिया के संक्रमण से बचाव के लिए जरूरत पड़ने पर मरीज को एंटीबायोटिक दी जाती हैं.

क्या हैं लक्षण
बुखार शरीर में जगह-जगह गांठ बना सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकावट ठंड लगना और पसीना आना गले में खराश व खांसी त्वचा पर लाल चकत्ते, फफोले, खुजली, त्वचा पर जख्म आदि इसके लक्षण हैं.

मंकीपॉक्स को लेकर घबराने की आवश्यकता नहीं है. इसकी मृत्यु दर बेहद कम है. जिन लोगों को पहले चेचक का टीका लगा है या जिन्हें पहले चेचक हो चुका है उन लोगों में इसका संक्रमण होने का खतरा खास नहीं है. चेचक की तरह मंकीपॉक्स में मृत्यु दर ज्यादा नहीं है. ज्यादातर मरीज दो से चार सप्ताह में ठीक हो जाते हैं. अपने आस पास में सावधानी बरतते रहें और घबराएं नहीं.

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