राजस्थान विधानसभा में ऐतिहासिक बाल सत्र, बाल विधायकों ने स्थगन प्रस्ताव के जरिए उठाए मुद्दे
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राजस्थान विधानसभा में ऐतिहासिक बाल सत्र, बाल विधायकों ने स्थगन प्रस्ताव के जरिए उठाए मुद्दे

इस बाल सत्र में बाल स्पीकर ने सदन की कार्रवाई को संचालित किया तो विपक्ष के सदस्यों के रूप में बैठे बाल विधायकों ने सरकार से सवाल पूछे. 

ऐतिहासिक बाल सत्र

Jaipur: देश के लोकतांत्रिक इतिहास और राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Legislative Assembly) के सदन के लिए रविवार का दिन ऐतिहासिक रहा. आमतौर पर विधानसभा के इस सदन में निर्वाचित जनप्रतिनिधि बैठते हैं, प्रश्नकाल चलाते हैं, अपने क्षेत्र की बातें रखते हैं, मुद्दे उठाते हैं और कानून बनाते हैं. इन सबके बीच कई बार पक्ष- विपक्ष के बीच नोकझोंक और हंगामा भी होता है.

रविवार को भी सदन में ऐसा ही नजारा दिखा, लेकिन अंतर था तो सिर्फ इतना कि सदन में विधायक भी बच्चे ही थे. मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष से लेकर मंत्री और नेता प्रतिपक्ष भी बच्चे ही बने थे. मौका था राजस्थान विधानसभा के बाल सत्र का. विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी (CP Joshi) की पहल पर हुए इस बाल सत्र में बाल स्पीकर ने सदन की कार्रवाई को संचालित किया तो विपक्ष के सदस्यों के रूप में बैठे बाल विधायकों ने सरकार से सवाल पूछे. इन सवालों का जवाब भी उतनी ही तत्परता से बाल मंत्री के रूप में बैठे सदस्यों ने दिया. 

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विधानसभा (Vidhan Sabha) में यह पहला मौका था जब मुख्यमंत्री (Chief Minister) के सामने बाल मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष के सामने बाल विधानसभा अध्यक्ष और इसी तरह नेता प्रतिपक्ष तथा विधायकों के सामने बाल नेता प्रतिपक्ष और 200 बाल विधायक मौजूद थे. देश के लोकतांत्रिक इतिहास (Democratic history) के पहले बाल सत्र में सदन की कार्यवाही एक घंटे तक चली. जिसमें स्पीकर जाह्नवी शर्मा ने विपक्ष के सदस्यों को प्रश्न करने का मौका दिया, तो सत्ता पक्ष के मंत्रियों को इनका जवाब देने के लिए भी कहा. 

कार्यवाही को दो हिस्सों में बांटा गया था. प्रश्नकाल (Question Hour) पहले आधे घंटे चला तो बाद के आधे घंटे शून्यकाल (Zero Hour) की कार्यवाही हुई. इस दौरान बाल विधायकों ने स्थगन प्रस्ताव के जरिए मुद्दे उठाए, तो नियम 295 के तहत लिखी हुई सूचनाओं को पढ़कर भी सदन को अपनी भावनाओं से अवगत कराया।

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बच्चों की तरफ से किए गए सवाल और सदन में उठाए गए मुद्दे उनकी सोच और चिंताओं को भी दर्शाते हैं. बच्चों ने उसी तरह के सवाल किए जो वे अपने आसपास के माहौल में देख रहे हैं. इस दौरान बाल विधायकों की तरफ से जैविक खेती को बढ़ावा देने के प्रयास, नशीले पदार्थों से युवाओं को बचाने की कोशिशों, बाल श्रम को रोकने की तैयारी, बेरोजगारी (Unemployment) दूर करने की सरकार की योजना, कोरोना काल में स्कूलों की जबरन फीस वसूली को रोकने के लिए सरकार की तरफ से की गई कोशिशों पर जानकारी चाही. इतना ही नहीं दुष्कर्म के बढ़ते मामलों पर भी बाल विधायकों की चिंता दिखी.

इन बाल विधायकों ने बिजली संकट (Power crisis) का मुद्दा उठाया, तो शराब से होने वाले नुकसान के बावजूद सरकार की तरफ से बिक्री बढ़ाने का दबाव, खाद्य पदार्थों में मिलावट जैसे मुद्दे भी सदन में रखने की कोशिश की. डेंगू (Dengue) से उत्पन्न स्थिति की बात हो या फिर प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए नोटबंदी (Notebandi) से आमजन को होने वाली परेशानी जैसे जान से जुड़े मुद्दे बच्चों की भावनाओं में दिख रहे थे.

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इसी तरह स्मार्ट फोन (Smart Phone) के दुरुपयोग से बच्चों पर होने वाले प्रभाव की बात भी बाल विधायकों ने रखी, तो ग्रामीण क्षेत्र में ऑनलाइन शिक्षा (online education), होटलों में जूठन नहीं छोड़ने की अनिवार्यता, वायु प्रदूषण (Air pollution) रोकने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों (Electric vehicles) को बढ़ावा देने, बालिका शिक्षा (girl child education) को मजबूती देने, गरीब बच्चों को भिक्षावृत्ति से रोकने जैसे मुद्दे बच्चों की तरफ से उठाए गए. 

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) की पौत्री काश्विनी गहलोत भी बाल विधायक के रुप में सदन में मौजूद थी. काश्विनी ने नियम 295 के तहत जंगली जानवरों को संरक्षण और जंगल के बारे में बच्चों को जानकारी दिलाए जाने का मुद्दा उठाया.

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विधानसभा में हुए बाल सत्र में उस दौरान भी रोचक नजारा दिखा, जब सत्ता पक्ष के एक मंत्री के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष के बाल विधायकों ने सदन के वेल में पहुंचकर नारेबाजी की. इतना ही नहीं नशीले पदार्थों के कारोबार पर पाबंदी लगाने के मामले में सरकार (Government) के जवाब से असंतुष्ट यह बाल विधायक वेल में धरने पर भी बैठ गए. इस मामले में सदन के नेता के रूप में बैठे बाल मुख्यमंत्री ने उचित कार्रवाई के निर्देश देने का आश्वासन दिया, तब जाकर मामला शांत हुआ.

इसके थोड़ी देर बाद फिर से गतिरोध की स्थिति बनी, तो आसन पर बैठी बाल विधानसभा अध्यक्ष ने हाउस को ऑर्डर में लाकर कार्यवाही सुचारू कराई. कार्यवाही के दौरान सत्तापक्ष की बात से असहमति जताने के लिए विपक्ष में बैठे बाल विधायकों ने सदन से वाकआउट कर अपना विरोध भी जताया.

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बाल सत्र की कार्यवाही देख रहे सरकार के मंत्री (Ministers) और नेता प्रतिपक्ष भी इन बच्चों के काम से प्रभावित दिखे. बाल सत्र संपन्न होने के बाद सरकार के मंत्री बीडी कल्ला (B.D. Kalla) ने कहा कि बच्चों की तरफ से उठाए गए मुद्दे वाकई गंभीर थे और उन्हें पेयजल (Drinking Water) जैसे मुद्दों पर आगे आने वाले दिनों में काम होता दिखाई देगा. कल्ला ने कहा कि मैं इनको भरोसा दिलाता हूं कि ग्रामीण इलाकों मे पीने का साफ पानी उपलब्ध कराने में हमारी सरकार कोई कसर बाकी नहीं रखेगी.

इसी तरह प्रतिपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया (Gulabchand Kataria) ने भी बच्चों की गंभीरता को सराहा. उन्होंने कहा कि बहुत अनुशासित रूप में सदन चलाकर बच्चों ने दिखाया कि विधानसभा में शालीनता और अनुशासन के साथ भी अपनी बात रखी जा सकती है. कटारिया ने कहा कि जनता भी अपने नेताओं को उनके मुद्दे गंभीरता से उठाने के लिए ही सदन में भेजती है.

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इस सत्र के गवाह बने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (Om Birla) ने भी मान ही लिया की सवाल उठाने से सरकारें जवाबदेह होंगी और शासन में पारदर्शिता आएगी, यह विधानसभाओं और संसद से ही संभव है. इस तरह के कर्यक्रम बच्चों को संविधान (Constitution) के साथ संसदीय प्रक्रियाओं को समझने में काफी सहायक साबित होंगे. विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी (CP Joshi) ने कहा कि बच्चों की तरफ से आए सवालों और उनकी जिज्ञासाओं से भविष्य की समस्याओं को समझने और उसके लिए पहले से तैयारी करने में सरकारों को मदद मिलेगी. ओम बिरला ने कहा कि वह इस प्रयास को अन्य राज्यों तक लेकर जाने जी कोशिश भी करेंगे.

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