बच्चों को जेहादी बनाने का बड़ा प्लान! धर्म के नाम पर, टुकड़े-टुकड़े गैंग' काम पर?
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बच्चों को जेहादी बनाने का बड़ा प्लान! धर्म के नाम पर, टुकड़े-टुकड़े गैंग' काम पर?

कट्टरवादी संगठन PFI यानी Popular Front of India ने अब अपनी नजर राजस्थान पर गड़ा दी है. उसने अपने स्थापना दिवस पर गुरुवार को देश की कोचिंग सिटी कहे जाने वाले कोटा में मार्च निकाला. 

बच्चों को जेहादी बनाने का बड़ा प्लान! धर्म के नाम पर, टुकड़े-टुकड़े गैंग' काम पर?

नई दिल्ली: आप सबने PFI का नाम तो सुना ही होगा. PFI मतलब Popular Front of India. ये वही PFI है, जिस पर दिल्ली दंगे कराने और शाहीन बाग में हुए आन्दोलन को फंडिग करने के आरोप लग चुके हैं. इस सिलिसिले में PFI के ठिकानों पर ED ने छापे भी मारे थे. 

  1. PFI ने कोटा में मनाया स्थापना दिवस
  2. दंगों में PFI का रहा है संदिग्ध हाथ
  3. कोटा में आने के पीछे क्या है PFI का प्लान?

PFI ने कोटा में मनाया स्थापना दिवस

गुरुवार को उसी PFI का स्थापना दिवस था. क्या आप जानते हैं, उसने अपना स्थापना दिवस कहां मनाया?. PFI ने अपना स्थापना दिवस राजस्थान के कोटा शहर में मनाया. वही कोटा शहर, जहां पूरे देश से हर साल डेढ़ से दो लाख छात्र मेडिकल और इंजीनियरिंग की कोचिंग लेने आते हैं. इससे पहले PFI केरल और कर्नाटक में बड़े बड़े जलसे करता था. इस बार वो राजस्थान के कोटा तक पहुंच गया. इसके पीछे उसका मकसद ये है कि वो इन युवा छात्रों का ब्रेन वॉश कर उन्हें साम्प्रदायिक बना सके और अपनी कट्टर विचारधारा में ढाल सके.

कोटा में आज Popular Front of India यानी PFI के स्थापना दिवस के मौक़े पर एक बड़ी रैली का आयोजन किया गया, जिसमें शरजील इमाम, मसूद अहमद, उमर खालिद और सिद्दीक कप्पन जैसे लोगों को निर्दोष बताते हुए उन्हें भारत का नायक बताने की कोशिश की गई.

PFI के कार्यकर्ताओं ने इन लोगों के मास्क भी पहने हुए थे और इस कार्यक्रम में लगातार आज़ादी के नारे गूंज रहे थे. सोचिए, जिन लोगों को देशविरोधी गतिविधियों में गिरफ़्तार किया गया है, उनका महिमामंडन किया जाता है और देश को अस्थिर करने के लिए इस तरह के कार्यक्रम खुलेआम होते हैं.

दंगों में PFI का रहा है संदिग्ध हाथ

PFI एक इस्लामिक संगठन है, जो भारत के मुसलमानों के हक में आवाज उठाने की बात करता है. लेकिन सच ये है कि पिछले एक दशक में भारत में जितने बड़े दंगे और आन्दोलन हुए, उनमें इस संगठन की भूमिका संदिग्ध रही है.

ये संगठन, ज्यादा पुराना नहीं है. इसकी स्थापना वर्ष 2006 में National Development Front यानी NDF के उत्तराधिकारी के रूप में हुई थी. तभी से PFI की जड़ें केरल के समुद्री इलाक़ों में काफ़ी मजबूत रही हैं. इसलिए यहां एक सवाल ये भी है कि, जो संगठन दक्षिण भारत के केरल में मजबूत है, वो उत्तर भारत आकर, कोटा जैसी जगह पर अपना स्थापना दिवस क्यों मना रहा है? ये सवाल आपके मन में भी होगा.

राजस्थान के कोटा को भारत की कोचिंग फैक्ट्री कहा जाता है, जहां हर साल डेढ़ से दो लाख छात्र, सरकारी नौकरी और Competitive Exams की तैयारी करने के लिए आते हैं.

कोटा में आने के पीछे क्या है PFI का प्लान?

Competitive Exams का मतलब उन परीक्षाओं से है, जो इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए होती हैं. इस तरह के Exams की तैयारी के लिए बच्चे 10वीं कक्षा के बाद ही कोटा आ जाते हैं. इन छात्रों की उम्र 16 साल ही होती है. इतनी कम उम्र के बच्चों को गुमराह करना और उन्हें भड़का कर एक खास विचारधारा को समर्थन करने के लिए प्रेरित करना आसान होता है. PFI कोटा की इसी कोचिंग फैक्ट्री को बन्धक बना कर धार्मिक कट्टरवाद का संक्रमण पूरे देश में फैलाना चाहता है.

वर्ष 2021 की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, कोटा में लगभग 100 बड़े Coaching Institutes, 3 हज़ार Hostels और लगभग 20 हज़ार PG Accommodations है, जहां देशभर से छात्र कोचिंग लेने के लिए आते हैं. यहां आने वाला हर छात्र औसतन ढाई साल कोटा में ही बिताता है.

नटशेल में कहें तो राजस्थान के कोटा में एक छोटा भारत बसा हुआ है, जहां उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूर्व से लेकर पश्चिम तक, सभी राज्यों के बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं.

अब अगर इन छात्रों के दिमाग़ में धार्मिक जेहाद का वैचाऱिक विस्फोट कर दिया गया तो इसका असर पूरे देश में होगा. ये छात्र जब अपने अपने राज्यों में जाएंगे तो PFI जैसे संगठनों ने इनके दिमाग़ में जो नफरत भरी होगी, वो उस राज्य और वहां के समाज को भी प्रभावित करेगी. ये एक Time Bomb की तरह है.

केरल में काट दिया था प्रोफेसर का हाथ

वर्ष 2010 में PFI के एक सदस्य ने केरल के एक प्रोफेसर का इसलिए हाथ काट दिया था, क्योंकि इस प्रोफेसर ने एक प्रश्न पत्र में CPM के नेता पीटी कुंजु मोहम्मद की एक लघु कथा का ज़िक्र किया था. इस प्रोफेसर की गलती सिर्फ़ इतनी थी कि उसने इस कहानी का ज़िक्र करते हुए, पीटी कुंजु का पूरा नाम लिखने की बजाय केवल मोहम्मद लिखना ही सही समझा, जिसके बाद PFI ने इस कॉलेज के मुस्लिम छात्रों को भड़का कर इस प्रोफेसर को मारने की योजना बनाई और बाद में उनका हाथ काट दिया गया. ये प्रोफेसर ईसाई धर्म के थे.

हम आपको यहां ये बताना चाह रहे हैं कि जिस PFI ने केरल में रहते हुए धार्मिक जेहाद के नाम पर छात्रों से एक प्रोफेसर का हाथ कटवा दिया था. वो संगठन, जब कोटा में अपनी जड़ें मजबूत करेगा तो यहां के छात्रों पर इसका क्या असर पड़ेगा?

जेएनयू में लगाए ते देश को तोड़ने के नारे

ये बात हमने वर्ष 2016 में ही बता दी थी कि किसी भी देश को अस्थिर करने के लिए और उसे अन्दर से तोड़ने के लिए उसकी युवा पीढ़ी में धार्मिक उन्माद का ज़हर पैदा किया जाता है. वर्ष 2016 में संसद हमले के दोषी और आतंकवादी अफजल गुरु की बरसी पर दिल्ली की Jawaharlal Nehru University में कश्मीर की आज़ादी के लिए नारे लगाए गए थे. 

ऐसा करने वाले कोई और नहीं इसी देश के छात्र थे और इसी देश के एक बड़े विश्वविद्यालय में ये देशविरोधी नारे लगे थे. तब इन छात्रों में JNU के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार भी थे, जो अब कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं और उमर खालिद जैसे छात्र भी थे, जो देशविरोधी गतिविधियों के लिए जेल में बन्द है. 

तब हमने आपको इन लोगों के लिए तीन शब्द दिए थे, टुकड़े टुकड़े गैंग, अफजल प्रेमी गैंग और डिज़ायनर पत्रकार. मौजूदा स्थिति में यही सारे लोग आज देश को उसकी शिक्षा व्यवस्था के ज़रिए तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. यानी आज वही हो रहा है, जिसकी आशंका हमने 6 साल पहले ही जता दी थी.

कर्नाटक में पहले हिजाब फिर पढ़ाई पर अड़ी छात्राएं

अगर आप इस पूरे पैटर्न को समझने की कोशिश करेंगे तो आपको पता चलेगा कि भारत में एक खास विचारधारा के लोग और टुकड़े टुकड़े गैंग, देश को अस्थिर करने के लिए युवा पीढ़ी को गुमराह कर रहा है. ये लोग राजस्थान के कोटा जाते हैं और फिर उन स्कूलों में हिजाब के नाम पर धार्मिक ज़हर घोलते हैं, जहां असल में धर्म की बात ही नहीं होनी चाहिए. 

कोई भी माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल इसलिए नहीं भेजते कि वो अपने धर्म का प्रदर्शन करना चाहते है, बल्कि स्कूल तो शिक्षा हासिल करने के लिए होते हैं. लेकिन कर्नाटक की मुस्लिम छात्राएं पहले हिजाब चाहती हैं और फिर किताब चाहती हैं. बुधवार को जब कर्नाटक के उडुपि में स्थित एक इंटर कॉलेज में मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनकर Classes अटेंड नहीं करने दी गई तो उन्होंने पढ़ाई करने से ही मना कर दिया. ये कहा कि वो अब तभी पढ़ेंगी, जब हिजाब होगा. अगर उन्हें हिजाब (Hijab) नहीं पहनने दिया गया तो कॉलेज प्रबंधन को उन्हें Online पढ़ाना होगा वर्ना वो इसके लिए भी आन्दोलन करेंगी.

सिखों की पगड़ी पर उठाए सवाल

हिजाब को लेकर इस टुकड़े टुकड़े गैंग का षडयंत्र इतना आगे बढ़ चुका है कि अब इन लोगों ने कर्नाटक हाई कोर्ट से मांग की है कि अगर सिख धर्म के लोगों को स्कूल-कॉलेजों में पगड़ी पहनने की इजाज़त है और सुरक्षाबलों और सेना में भी उन्हें पगड़ी और दाढ़ी रखने की इजाज़त है तो यही हक मुसलमानों को भी मिलना चाहिए. अब अगर ये मामला तूल पकड़ गया तो ये पूरे देश को साम्प्रदायिकता की आग में झोंक देगा. हमारे देश के छात्र राजनीतिक कार्यकर्ताओं की तरह आपस में लड़ने लगेंगे. इसलिए ये बात समझनी ज़रूरी है कि क्या हिजाब (Hijab) के इस मामले में सिख धर्म को घसीटना सही है?

इस्लाम धर्म में जो पांच स्तम्भ बताए गए हैं, उनमें कहीं भी हिजाब या किसी दूसरे पर्दे का ज़िक्र नहीं है. इसके अलावा कुरान में भी कहीं इस बात का उल्लेख नहीं मिलता कि मुस्लिम महिलाओं के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य है और अगर वो ऐसा नहीं करेंगी तो ये इस्लाम धर्म का अपमान होगा. जबकि सिख धर्म में जो पांच स्तम्भ बताए गए हैं, वो हैं, केश, कंघा, कृपाण, कड़ा और कछैरा.

गुरु गोबिंद सिंह ने दिया था ये आदेश

वर्ष 1699 में सिखों के 10वें और आख़िरी गुरु. गुरु गोबिंद सिंह ने अपने अनुयायियों को ये आदेश दिया था कि ये पांच चीज़ें, हर सिख को हर समय अपने साथ रखनी होंगी. यही पांच चीज़ें, उनके धर्म और उनकी पहचान का आधार मानी जाएंगी. मतलब, एक तरफ़ कुरान में हिजाब को कहीं भी अनिवार्य नहीं बताया गया है, जबकि सिख धर्म में ये कहा गया है कि सिखों के लिए केश और पगड़ी को हर समय धारण करके रखना अनिवार्य है. इसलिए पगड़ी की हिजाब से तुलना करना सही नहीं है.

हालांकि कर्नाटक हाई कोर्ट में बुधवार को भी याचिकाकर्ता की तरफ़ से इस मांग को उठाया गया. ये कहा गया कि स्कूलों में हिजाब (Hijab) पहनने पर प्रतिबंध लगाना, कुरान पर प्रतिबंध लगाने जैसा है. इसके अलावा मुस्लिम छात्राओं द्वारा ये भी मांग की गई है कि इस मामले में अंतिम फैसला आने तक कर्नाटक के स्कूलों में उन्हें शुक्रवार को जुमे की नमाज़ के दिन और रमज़ान के महीने में हिजाब पहन कर Classes अटेंड करने की इजाज़त दी जाए.

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कोर्ट से डिस्काउंट मांग रही छात्राएं

पिछले हफ्ते कर्नाटक हाई कोर्ट ने राज्य के सभी स्कूल और कॉलेजों में हिजाब और भगवा गमछा पहनने पर रोक लगा दी थी. अब इस रोक को तत्काल प्रभाव से हटा कर, इसमें डिस्काउंट मांगा जा रहा है.

हमने आपसे पहले भी कहा था कि ये मांग, केवल हिजाब (Hijab) तक सीमित नहीं रहेगी. अब वैसा ही हो रहा है. पहले हिजाब पहनने की इजाज़त मांगी जा रही थी. अब ये कहा जा रहा है कि शुक्रवार और रमज़ान के महीने में स्कूलों में हिजाब पहनने दिया जाए. जब ये मांग पूरी हो जाएगी तो शायद फिर स्कूलों में मुस्लिम छात्रों द्वारा नमाज़ पढ़ने के लिए मुहिम चलाई जाएगी. ये सिलसिला ऐसे ही चलता रहेगा. ये रुकने वाला नहीं है.

'भारत मजहब से नहीं, संविधान से चलेगा'

इस मुद्दे पर हमने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी बात की है. उनका ये कहना है कि भारत की शिक्षा व्यवस्था को संविधान की बजाय एक धर्म की मान्यताओं के हिसाब से चलाने की कोशिश की जा रही है, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता.

बड़ी ख़बर ये है कि कर्नाटक सरकार ने राज्य के सभी अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों में भी हिजाब पहनने पर पाबंदी लगा दी है. इससे पहले ये नियम सिर्फ़ सामान्य स्कूलों पर लागू था. अब ये नियम, अल्पसंख्यक वर्ग के शिक्षण संस्थानों पर भी लागू होगा. ये वो संस्थान हैं, जिन्हें राज्य के अल्पसंख्यक विभाग द्वारा संचालित किया जाता है.

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