बिहार में रोड बनाने की तकनीक की प्रदर्शनी

बिहार में इंडियन रोड कांग्रेस प्रदर्शनी की शुरुआत की गई है. इस आयोजन में कम से कम समय में रोड और पुल बनाने की तकनीक की जानकारी दी जा रही है. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 19, 2019, 03:59 PM IST
    • बिहार में शुरु हुआ इंडियन रोड कांग्रेस
    • सड़क निर्माण की नवीनतम तकनीकों की प्रदर्शनी
    • मात्र 45 दिन में बनेगा नदियों पर पुल
बिहार में रोड बनाने की तकनीक की प्रदर्शनी

पटना: बिहार में इंडियन रोड कांग्रेस का आगाज हो गया है. यहां पर 45 दिनों में पुल बनकर तैयार करनेवाली टेक्नोलॉजी की प्रदर्शनी लगाई गई है. 

बाढ़ से जूझने वाले बिहार के लिए बेहद जरुरी है तकनीक
बिहार में बाढ और उससे आनेवाली समस्या नयी नहीं है.  हर साल बाढ के कारण करोड़ो रुपए का नुकसान होता है.  खासतौर पर बाढ के कारण नदियों पर बने पुलों को बहुत ज्यादा नुकसान होता है. 

यही वजह है कि बाढ़ का पानी उतरने के महीनों बाद भी यातायात सामान्य नहीं हो पाता है. लेकिन बाढ के कारण बह चुके जिस पुल को बनाने में यहां सालों साल लग जाते हैं वो मात्र 45 दिनों में बनाया जा सकता है. इंडियन रोड कांग्रेस की प्रदर्शनी में इसी तरह की तकनीक दिखाई जा रही है. 

कई कंपनियों के लगे हैं स्टॉल
पटना में इंडियन रोड कांग्रेस का ये 80वां आयोजन है. बिहार के पथ निर्माण विभाग के मंत्री नंद किशोर यादव ने गुरुवार को आईआरसी के इस तकनीकी सत्र का उद्घाटन किया. 

पटना में लगने वाले इस दूसरे आईआरसी में एक्जविशन के लिए 95 अलग अलग कंपनियों के स्टॉल्स लगाये गये हैं. इस एक्जविशन में कई विदेशी कंपनियां भी शामिल हो रही हैं. 

बिहार के लिए बेहद फायदेमंद है ये आयोजन
पथ निर्माण विभाग मंत्री नंद किशोर यादव ने बताया कि इंडियन रोड कांग्रेस के इस आयोजन फायदा बिहार को मिलेगा. क्योंकि बिहार में कई स्तरों पर पुल और सडकों के निर्माण का काम चल रहा है. ऐसे में हमारी कोशिश होगी कि उसमें लेटेस्ट तकनीक का इस्तेमाल किया जाए. 

इंडियन रोड कांग्रेस के जरिये बिहार के इंजीनियरों को उन लेटेस्ट तकनीकों की जानकारी मिलेगी जिसका इस्तेमाल हम राज्य के प्रोजेक्ट्स में कर सकते हैं. 

मात्र 45 दिन में बन सकता है पुल
कम समय में पुल बनाने की तकनीक को आर्क ब्रिज कहते हैं.  जरुरत पड़ने पर आर्क ब्रिज 45 दिनों में तैयार किया जा सकता है. इसके निर्माण में सरिया का इस्तेमाल नहीं होता है.  ये ब्रिज प्रीकास्ट और स्टील फ्री होता है.  एक बार निर्माण के बाद इसे 120 सालों तक कुछ नहीं हो सकता. 

आर्क ब्रिज बनानेवाली कंपनी इसके मेन्टेनेंस का  जिम्मा भी लेती है. इस टेक्नोलॉजी के जरिये महाराष्ट्र में 65 ब्रिज बनाए जा रहे हैं. इस तकनीक का इस्तेमाल यूके और आस्ट्रेलिया में भी ब्रिज निर्माण के लिए किया जा रहा है.  ब्रिटिश सरकार भी अपने जमाने में ऐसे ही पुलों का निर्माण करती थी. 

 

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