ओडिशा की 147 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के अभी 13 विधायक हैं, जो मुख्य विपक्षी दल के दर्जे के लिये जरूरी विधायकों की संख्या से दो कम हैं.
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भुवनेश्वर: एक के बाद एक, दो विधायकों के इस्तीफे से कांग्रेस के सामने अब ओडिशा विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल का दर्जा खोने का खतरा मंडरा रहा है. राज्य की 147 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के अभी 13 विधायक हैं, जो मुख्य विपक्षी दल के दर्जे के लिये जरूरी विधायकों की संख्या से दो कम हैं. नियमों के मुताबिक पार्टी को मुख्य विपक्षी दल का दर्जा हासिल करने के लिये कुल सीटों की कम के कम 10 फीसदी सीटें हासिल करनी होती हैं.
झारसागुडा विधायक नाबा किशोर दास ने कांग्रेस छोड़कर 24 जनवरी को बीजू जनता दल (बीजद) का दामन थाम लिया था. उन्होंने सोमवार को औपचारिक रूप से विधानसभा से इस्तीफा दे दिया. विधानसभा अध्यक्ष पीके अमात ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया.
दास ने बताया, “क्योंकि मैं बीजद में शामिल हो गया हूं, इसलिये कांग्रेस विधायक के तौर पर बने रहने का मुझे कोई मौलिक अधिकार नहीं है.” पिछले हफ्ते, सुंदरगढ़ के विधायक जोगेश सिंह ने भी विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था. इससे पहले कांग्रेस ने उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते निलंबित कर दिया था. पिछले साल नवंबर में कोरापुट से विधायक कृष्णा चंद्र सागरिया ने भी कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था. लगभग उसी समय समता क्रांति दल के एक मात्र विधायक जॉर्ज तिर्की ने कांग्रेस का दामन थाम लिया था.
इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीकांत जेना भी पार्टी छोड़ चुके हैं. वह तो पार्टी आलाकमान के खिलाफ झंडा भी बुलंद कर चुके हैं. उन्होंने साफ कह दिया है कि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के खनन माफिया के साथ संबंध हैं. जेना ने इसके साथ ही इस बात की धमकी भी दी थी कि वह राहुल गांधी के बारे में ऐसा खुलासा करेंगे, जिससे वह किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे.