डियर जिंदगी : ‘बलइयां’ कौन लेगा…
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डियर जिंदगी : ‘बलइयां’ कौन लेगा…

बलइयां लेने का अर्थ जो न समझ रहे हों, उनके लिए बस इतना ही कि हमसे बड़े, हमारे हितकारी ऐसे लोग जो हमें हर बला (मुसीबत) से दूर रखने का काम करते थे.

डियर जिंदगी : ‘बलइयां’ कौन लेगा…

अतीत के आंगन में थोड़ा उतरेंगे तो याद आएगा कि जब कभी हम गांव जाते, तो वहां हमारी दादी, नानी, बुजुर्गों की फौज हमारी बलइयां लेने को बेकरार रहती. उनकी आंखों की कोर से निकला काजल, दिल से निकली दुआ में मिल जाता, हमारी उमर कई गुना बढ़ती रहती. वक्‍त की करवट के साथ वह बलइयां लेने वाले हाथ, बलइयां वाली मखमली आवाज हमसे जुदा होती गई.


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