चुनावनामा 2004: बेअसर रही इंडिया शाइनिंग की मुहिम, 8 साल बाद फिर सत्‍ता में लौटी कांग्रेस
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चुनावनामा 2004: बेअसर रही इंडिया शाइनिंग की मुहिम, 8 साल बाद फिर सत्‍ता में लौटी कांग्रेस

लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे आने में अब महज सात दिन शेष रह गए हैं. सात दिन बाद स्‍पष्‍ट हो जाएगा कि इस चुनाव में मतदाताओं ने देश की सत्‍ता किस दल को सौंपी है. फिलहाल, बात उस दौर की, जब बीजेपी की इंडिया शाइनिंग मुहिम बेअसर रही और देश की सत्‍ता एक बार फिर कांग्रेस के हाथों में चली गई.

2004 के लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्‍व वाला एनडीए सरकार बनाने में विफल रहा और केंद्र में डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्‍व में यूपीए की सरकार बनी.

नई दिल्‍ली: लोकसभा चुनाव 2019 के लिए अंतिम चरण का मतदान 19 मई को होने वाला है. अंतिम चरण के मतदान से तीन दिन बाद यानी 23 मई को स्‍पष्‍ट हो जाएगा कि केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी रहती है या जनता किसी अन्‍य दल को देश की बागड़ोर मिलती है. इस बीच, चुनावनामा में हम चर्चा कर रहे हैं 2004 के लोकसभा चुनाव की, जिसमें देश के मतदाताओं ने इंडिया शायनिंग और फील गुड की मुहिम को नकारते हुए बीजेपी को सत्‍ता से बेदखल कर दिया और देश की बागडोर एक बार फिर कांग्रेस के नेतृत्‍व में संयुक्‍त प्रगतशील गठबंधन के हाथों में सौंप दी. 2004 के इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 145 संसदीय सीटें जीतकर संख्‍याबल में देश की सबसे बड़ी पार्टी बनी, वहीं बीजेपी इस चुनाव में 138 सीटें ही हासिल कर सकी.  

  1. चुनाव से पहले कमजोर हुआ राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन
  2. 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस बनी सबसे बड़ी पार्टी
  3. 2004 के चुनाव में 6 राज्‍यों में बरकरार रहा BJP का जादू

चुनाव से पहले कमजोर हुआ राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन 
1999 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्‍व में बीजेपी ने 20 राजनैतिक दलों के साथ मिलकर राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन बनाया था. 2002 में गुजरात के दंगों के बाद बीजेपी का यह गठबंधन धीरे-धीरे कमजोर होता गया और एक-एक करके छह राजनैतिक दलों ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया. बीजेपी का सबसे पहले साथ छोड़ने वालों में जम्‍मू और कश्‍मीर नेशनल काफ्रेंस और द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम ने बीजेपी का साथ छोड़ा. दोनों राजनैतिक दल 2002 में राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से अलग हो गए. इसके बाद, 2003 में लोक जन शक्ति पार्टी और समता पार्टी भी रार्ष्‍टीय जनतांत्रिक गठबंधन से अलग हो गए. वहीं 2004 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले, इंडियन फ़ेडरल डेमोक्रेटिक पार्टी और ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम ने भी बीजेपी का साथ छोड़ दिया. 

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2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस बनी सबसे बड़ी पार्टी 
2004 का लोकसभा चुनाव में कांग्रेस एक बार फिर देश की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी. इस चुनाव में कांग्रेस ने कुल 417 उम्‍मीदवारों को मैदान में उतारा, जिसमें 145 उम्‍मीदवार चुनाव जीतने में सफल रही. देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर बीजेपी सामने आई. इस चुनाव में बीजेपी को 138 संसदीय सीटें मिली. वहीं, 2004 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी ने 19, सीपीआई ने 10, सीपीएम ने 43 और एनसीपी ने 9 संसदीय सीटों पर जीत दर्ज की. इस चुनाव में इन्‍हीं 6 राजनैतिक दलों को  राष्‍ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला हुआ था. देश की 14वीं लोकसभा के लिए हुए इस चुनाव में सर्वाधिक 26.53 प्रतिशत वोटों पर कांग्रेस ने कब्‍जा किया, जबकि बीजेपी के खाते में 22.16 फीसदी वोट आए. इसके अलावा, क्षेत्रीय दलों ने इस चुनाव में करीब 28.90 फीसदी वोट बटोरे. 

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इन आठ राज्‍यों में बीजेपी को लगा सबसे बड़ा झटका 
1999 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने करीब 18 राज्‍यों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी. महज, पांच साल के भीतर 18 में से आठ राज्‍यों में बीजेपी की स्थिति बेदह कमजोर हो गई. 2004 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सबसे बड़ा झटका इन्‍हीं 8 राज्‍यों में लगा था. भारतीय चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 2004 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सबसे बड़ा झटका आंध्र प्रदेश, उत्‍तर प्रदेश और बिहार से लगा. उत्‍तर प्रदेश में बीजेपी सिर्फ 10 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि बिहार में बीजेपी की सीटें 23 से घटकर महज 5 रह गईं. 1999 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने आंध्र प्रदेश की सात सीटों पर जीत दर्ज की थी, वहीं 2004 के चुनाव में बीजेपी आंध्र प्रदेश में अपना खाता भी नहीं खोल पाई. इसके अलावा, बीजेपी को गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्‍मू और कश्‍मीर, दिल्‍ली और कर्नाटक में भी नुकसान का सामना करना पड़ा.

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2004 के चुनाव में छह राज्‍यों में बरकरार रहा बीजेपी का जादू 
2004 के लोकसभा चुनाव में भले ही बीजेपी सरकार बनाने से चूक गई हो, लेकिन देश के करीब छह राज्‍य ऐसे थे, जहां पार्टी का जादू बरकरार रहा था. इन राज्‍यों में कर्नाटक, मध्‍य प्रदेश, महाराष्‍ट्र, उड़ीसा, पंजाब और राजस्‍थान शामिल हैं. 1999 के लोकसभा चुनाव में जहां बीजेपी ने कर्नाटन में 7, मध्‍य प्रदेश में 29, महाराष्‍ट्र में 13, उड़ीसा में 9, पंजाब में एक और राजस्‍थान में 16 सीटें जीती थीं, वहीं 2004 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी कर्नाटक की 18, मध्‍य प्रदेश की 25, महाराष्‍ट्र  की 13, उड़ीसा की सात, पंजाब की तीन और राजस्‍थान की 21 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश एक ऐसा राज्‍य था, जहां बीजेपी ने इस चुनाव में पहली बार 2 सीटें जीती थीं. 1999 के चुनाव में बीजेपी अरुणाचल प्रदेश में अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी. 

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2004 के लोकसभा चुनाव में BJP को फायदा और नुकसान

राज्‍य  1999 में बीजेपी की सीटें  2004 में बीजेपी की सीटें  फायदा और नुकसान  
अरुणाचल प्रदेश  2 +2
आंध्र  प्रदेश  0 +7
असम  2 --
बिहार  23  5 -18
गोवा  2  1 -1
गुजरात  20  14 -6
हरियाणा  1 -4
हिमाचल प्रदेश  1 -2
जम्‍मू और कश्‍मीर  0 +2
कर्नाटक  18 +11
मध्‍य प्रदेश   29  25 -4
महाराष्‍ट्र  13  13 --
उड़ीसा  7 -2
पंजाब  3 -2
राजस्‍थान  16  21 +5
तमिलनाडु  0 +4
उत्‍तर प्रदेश  29  10 -19
पश्चिम बंगाल  0 -2
छत्‍तीसगढ़*  --  10 10
झारखंड* - - 1 1
उत्‍तरांचल* -- 3 3
दिल्‍ली  1 -6
केरल  0 --
मणिपुर  0 --
मेघालय  0 --
त्रिपुरा  --
चंडीगढ़  0 --
दमन-दीव  0 --

* उत्‍तराखंड, झारखंड और छत्‍तीसगढ़ राज्‍य का गठन 1999 के लोकसभा चुनाव के बाद हुआ था. 

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